मशीनों के बूते चलती है 400 गायों वाली डेयरी

दिति बाजपेईदिति बाजपेई   7 April 2016 5:30 AM GMT

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मशीनों के बूते चलती है 400 गायों वाली डेयरीgaonconnection

लखनऊ। आपने डेयरियों में दूध निकालने वाली मशीनों के बारे में तो सुना होगा लेकिन हरियाणा में एक पूरी की पूरी डेयरी ही मशीनों और कम्प्यूटर से चलती है। हरियाणा के हिसार जिले के स्याहड़वा गाँव में दलबीर सिंह की डेयरी में गायों के खाने-पीने, उनके चलने-फिरने से लेकर उनके स्वास्थ्य संबंधी पूरी जानकारी और गतिविधि मशीनों और सॉफ्टवेयर द्वारा प्रबंधित की जाती है।

इसके लिए हर गाय में एक माईक्रो चिप लगी हुई है, जिससे उनकी पूरी जानकारी का पता चलता रहता है। छह एकड़ जमीन पर संचालित 400 हॉलेस्टाइन फिशियन गायों वाली इस डेयरी में प्रतिदिन 3700 लीटर दूध का उत्पादन होता है। डेयरी प्रबंधक सतीश सिंह बताते हैं, ''हमारी डेयरी में लगी मशीनें जर्मन तकनीक पर आधारित हैं, सभी गायों के पैर में लगी माइक्रो चिप से हर गाय की स्थिति के बारे में पता चलता है। कम्प्यूटर के माध्यम से पशुओं का डाटा अपडेट करने के लिए एक इंजीनियर रहता है। अगर कोई पशु बीमार पड़ता है तो उसका तुंरत इलाज़ किया जाता है।''

दलबीर सिंह की डेयरी में गायों को शेड से दूध निकालने के स्थान तक लाने, इनसे दूध निकालने, निकाले गये दूध की मात्रा, दूध का फ्लोरेट, उसकी इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी को परखने में ज्यादातर मशीनों का ही काम होता है, जिसमें लोगों की कम संख्या की ज़रूरत पड़ती है। मशीनों के ही ज़रिए पशु में बीमारी, उसको पूरे जीवन काल के दौरान दी गई दवाई, वैक्सिनेशन, फीड और अन्य जानकारियां भी चिप के ज़रिए सॉफ्टवेयर में अपडेट रहती हैं। इससे पशु के बरताव में ज़रा सा भी बदलाव दिखने पर वजह का पता लगाया जाता है, बीमारी होने पर तुरंत इलाज किया जाता है। 

डेयरी में पशुओं को चारा खिलाने की मशीनें भी बड़ी उन्नत हैं जिसके ज़रिए 90 मिनट में सभी 400 पशुओं को चारा सही समय से मिल जाता है। सतीश बताते हैं, ''गायों को नापा हुआ फीड दिया जाता है जिसमें हरा चारा, तूड़ी, फीड, विटामिन, खनिज मिश्रण, बायोपास फैट, बायोपास प्रोटीन, टॉक्सिक बाईंडर शामिल हैं। मशीन खुद ही इन सब को आपस में मिलाकर खुद-ब-खुद जानवरों तक पहुंचा देती है।''

मशीनों से ऐसे निकला जाता है दूध

गाय के थनों में मशीन लगाने के बाद और दूध निकल जाने के बाद यह मशीन 12 सैकेण्ड के बाद अपने आप ही थन से अलग हो जाती है, जिससे दूध के ओवर ड्रॉ होने की समस्या नहीं रहती है, इससे गायों के थनों में सूजन और बीमारी भी नहीं रहती है। मशीनों द्वारा निकाला गया दूध पाईपों के माध्यम से चिलर यूनिट में चला जाता है, जहां पर दूध का तापमान चार डिग्री सैल्सियस रखा जाता है। 

गोबर से बनी बिजली से ही चलती हैं मशीनें

यही नहीं इस उत्पादित गोबर से इस डेयरी में लगा बायोगैस प्लांट प्रतिदिन 22 किलोवाट बिजली का उत्पादन करता है। इसी बिजली से फार्म की सभी मशीनों को चलाया जाता हैं। शेड से गोबर को उठाने के लिए भी मशीन का ही प्रयोग किया जाता है, गोबर को उठाने के लिए टैक्टर है जिसमें आगे वाइपर लगा हुआ है। इसके जरिए आधे घंटे में गोबर को साफ कर दिया जाता है।

 

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