मशरूम की फसल में बरतें सावधनियां
गाँव कनेक्शन 19 April 2016 5:30 AM GMT
लखनऊ। हर फसल को रोग और कीटों का भय होता है। कई बार किसान जानकारी की कमी में गलत कीटनाशक का छिड़काव कर देते हैं, जिससे श्रम और पैसे दोनों की हानि होती है। मशरूम की खेती में भी कई तरह के कीट लगते हैं उनकी पहचान बहुत जरूरी है, जिससे सही कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकें।
रोग
हरी फफूंद (ट्राइकोडर्मा विरिडे) : यह कस्तूरा कुकुरमुत्ते का सामान्य रोग है, जहां क्यूबों पर हरे रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं।
नियंत्रण : फॉर्मालिन घोल में कपड़े को डुबोइए (40 प्रतिशत) और प्रभावित क्षेत्र को पोंछ दीजिए। यदि फफूंदी आधे से अधिक क्यूब पर आक्रमण करती है तो सम्पूर्ण क्यूब को हटा दें।
कीड़े
मक्खियां: स्कैरिड मक्खियां, फोरिड मक्खियां, सेसिड मक्खियां कुकुरमुत्ते और स्पॉन की गंध पर हमला करती है। वे भूसी, कुकुरमुत्ते या उनसे पैदा होने वाले अण्डों पर अण्डे देती हैं और फसल को नष्ट कर देती हैं। अण्डे माइसीलियम, मशरूम पर रहते हैं और फल पैदा करने वाले शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं।
नियंत्रण : फसल की अवधि में बड़ी मक्खियों के प्रवेश को रोकने के लिए दरवाजों, खिड़कियों और रोशनदानों पर पर्दा लगा दीजिए। मशरूम गृहों में मक्खीदान अथवा मक्खियों को भगाने की दवा का इस्तेमाल करें।
कुटकी: ये बहुत पतले एवं रेंगने वाले छोटे-छोटे कीड़े होते हैं, जो कुकुरमुत्ते के शरीर पर दिखाई देते हैं। ये हानिकारक नहीं होते है, किन्तु जब ये बड़ी संख्या में मौजूद होते हैं तो नुकसान पहुंचाते हैं।
नियंत्रण: घर और आसपास साफ सफाई रखें।
शम्बूक, घोंघा: ये कीट मशरूम के पूरे भाग को खा जाते हैं और वैक्टीरिया फसल के गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
नियंत्रण : क्यूब से कीटों को हटाकर वहां सफाई बने रखें।
More Stories