मतदाताओं ने पुराने प्रधानों को नकारा, युवाओं पर जताया भरोसा

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
मतदाताओं ने पुराने प्रधानों को नकारा, युवाओं पर जताया भरोसागाँव कनेक्शन

प्रतापगढ़। इक्कीस वर्ष के अभिषेक ने प्रधान पद के लिए नामांकन किया तो गाँव वालों को लगा की ये क्या जीतेंगे, लेकिन अभिषेक को न केवल 529 वोट मिले बल्कि अपने निकट प्रतिद्वंदी रामआधार को 69 वोटों से हराया भी।

रामपुर संग्रामगढ़ विकासखंड के बीजूमऊ गाँव के अभिषेक ने इसी साल स्नातक किया है। अभिषेक सबसे कम उम्र के ग्राम प्रधान बन गये हैं। 

अभिषेक बताते हैं, "गाँव में ऐसी बहुत सी समस्याएं हैं, जिन पर काम करना है गाँव वालों ने अपना समझ कर जिताया है तो उनके लिए काम भी करना होगा।"

इस बार जिले में पंचायत चुनाव में मतदाताओं ने ज्यादातर युवाओं को ही जिताया है। करीब 70 फीसदी प्रधान युवा ही चुने गये हैं, जिनमें युवकों के साथ महिलाएं भी शामिल हैं।

शिवगढ़ ब्लॉक के भैंसाने गाँव के मनीष सिंह (27) के पास बीएड की डिग्री है। मनीष बताते हैं, कितने वर्षों से अनपढ़ ही प्रधान होते आये हैं, जिस वजह से गाँव में कोई विकास भी नहीं हो पाया था, लोगों को हमसे उम्मीद है तो हम भी उनकी उम्मीद पर उतरेंगे।

इस बार गाँव की बदहाली से नाराज शिक्षित युवाओं ने पर्चा दाखिल किया और गाँव वालों ने भी पूरे भरोसे के साथ उन्हें जिताया भी।

रानीगंज तहसील के विसंभरपुर गाँव में प्रधान चुने गए हरिश्चन्द्र (30) भी एमए और एलएलबी पास हैं।

आसपुर देवसरा विकास खंड के भनईपुर गाँव के नये प्रधान संतोष कुमार जयसवाल (35) अर्थशास्त्र से एमए और इलाहाबाद में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। 

संतोष बताते हैं, हमारे गाँव में युवाओं में मार्गदर्शन की बहुत कमी है उनके लिए कुछ ऐसा करुंगा जिससे उनको बेहतर रोजगार मिले जिससे उन्हें भटकना न पड़े। पंचायत के युवाओं ने ही तो जिताया है।

अस्सी वर्ष की उम्र में पहली बार बनी प्रधान

कुंडा। अस्सी वर्ष की उम्र में जब बुजुर्ग दूसरों के ऊपर निर्भर हो जाते हैं वहीँ पर सरोज सिंह पहली बार चुनाव में खड़ी हुई और जीतीं भी।

कुंडा तहसील के शहाबपुर गाँव की सरोज सिंह (80) उम्र के आखिरी पड़ाव पर चुनाव लड़ी और और भारी मतों से जीत भी हासिल की।

सरोज सिंह के बेटे प्रभाकर सिंह के प्रयासों से गाँव की तस्वीर बदल गयी है। प्रभाकर सिंह बताते हैं, गाँव वालों ने ही माता जी का पर्चा दाखिल कराया और जीत भी दिलायी, घर में प्रधान होने से गाँव के विकास में और मदद मिलेगी। जो काम गाँव में करवाने को रह गये रहे थे वो अब पूरे हो जायेंगे।

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.