वो फोटो देख हजारों लोग हो गए थे उदास, लेकिन जिला प्रशासन को मुसहरों की ख़बर तक नहीं

चर्चित हुई तस्वीर मिर्जापुर जिले के मुसहरना हथिया फाटक बस्ती में रहने वाले तीन साल की थी जो रोते हुए अपनी मां से रोटी मांग रहा था...

Jigyasa MishraJigyasa Mishra   29 Aug 2018 9:25 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
वो फोटो देख हजारों लोग हो गए थे उदास, लेकिन जिला प्रशासन को मुसहरों की ख़बर तक नहीं

मिर्ज़ापुर (उत्तर प्रदेश)। जिस वक्त देश की राजधानी दिल्ली में भूख से 3 बच्चियों पर हंगामा मचा था, गांव कनेक्शन ने फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की थीं, ये फोटो एक मां और बच्चे की थी, जिसमें छोटा सा बच्चा दोपहर में अपनी मां से रोटी मांगता है और मां कहती है अभी नहीं है, रात में मिलेगी क्योंकि घर में सिर्फ रात के लिए खाने का इंतजाम था।

एक मां और बच्चे की ये फोटो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई। आज तक की वरिष्ठ पत्रकार स्वेता सिंह से लेकर कई नामी गिरामी लोगों ने ट्वीट किया। लाखों लोगों को खबर जरुर हो गई कि एक परिवार ऐसा भी है जो अपने बच्चे को भरपेट खाना नहीं दे पा रहा। लेकिन मिर्जापुर जिला प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है। ये तस्वीर उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के मुसहरना हथिया फाटक बस्ती में रहने वाले तीन साल के रोहित और उसकी मां संतोषी की थी। छुआछूत के शिकार मुसहर समुदाय के ज्यादातर लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं। जंगलों से पत्ते तोड़कर लाना और उनके पत्तल बनाकर ये लोग अपना गुजारा करते हैं। बस्ती में रहने वाले करीब डेढ़ सौ लोगों के पास पक्के घर, सड़क और रोजगार का अभाव है। ये बस्ती मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से ५ से ७ किलोमीटर दूर सिटी ब्लॉक में है।


गांव कनेक्शन संवाददाता ने इस बच्ची के दर्द को उच्च अधिकारियों से अवगत कराने के लिए ब्लॉक से लेकर जिले तक अधिकारियों से कई बार फोन किए लेकिन बात नहीं हो पाई। इस बारे में खंड विकास अधिकारी नीरज ने जरूर कहा, "हमें नियुक्ति लिए कुछ ही दिन हुए हैं अगर पता होता तो कोई कार्रवाई ज़रूर करते, हम देखते हैं क्या कर सकते हैं।"

30 जुलाई को फोटो पोस्ट होने के बाद कार्रवाई के नाम पर सिर्फ इतना हुआ कि यूनिसेफ के सहयोग से कुछ बच्चे आंगनबाड़ी में जरूर जाने लगे। "हमने मुसहराना बस्ती जाकर समुदाय के सभी लोगों को बुलाकर उनसे मुलाकात की और जानने की कोशिश की तो उन लोगों ने हामी भरते हुए कहा उनके करने लायक कोई काम अगर दिया जाए तो वो सब बेशक करेंगे। इस सिलसिले में हमने डीएम सर से बात करनी चाही, तो वह व्यस्त बताये गए। छह बच्चों के आंगनबाड़ी में नामांकन तो हमने करवा दिए लेकिन जीवनयापन के लिए जिला प्रशासन का सहयोग बेहद ज़रूरी है," मिर्ज़ापुर निवासी यूनिसेफ के जिला कार्यकर्ता जीतेन्द्र गुप्ता ने बताया। वह आगे बताते हैं कि अभी भी बस्ती के कई बच्चे कुपोषित हैं जिन पर ठीक तरह से ध्यान दिया जाना अत्यंत आवश्यक है।

गांव कनेक्शन ने इस संबंध में बात करने के लिए जिलाधिकारी को कई मैसेज भी किए। २८ अगस्त को जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने फोन पर बताया, "उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है, वो पता कराने के बाद ज्यादा जानकारी दे पाएंगे।"

यूनिसेफ द्वारा मिर्ज़ापुर के नटवा इलाके के मुसहरना हथिया फाटक में रहने वाले 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और कुपोषण को लेकर कोशिशें की गई हैं। बस्ती वालों के मुताबिक सरकारी अधिकारी और कर्मचारी उनके इलाके में बहुत कम आते हैं। हालांकि स्थानीय एएनएम ने इसका दूसरा पक्ष रखा। उनके मुताबिक बस्ती वाले सहयोग नहीं करते।

" इस बस्ती के 80 फ़ीसदी बच्चे कुपोषित हैं, और उम्र के मुताबिक़ उनका वज़न भी कम है। हम जब भी बच्चों के टीकाकरण के लिए बस्ती जाते हैं तो औरतें बोलती हैं कि उन्हें टीके की या गोलियों की ज़रुरत नहीं, उनकी जाति ही ऐसी है इसलिए बच्चे ऐसे रहते हैं।" एएनएम सोनी बताती हैं। ग्रामीणों के मुताबिक पहले उनके बच्चे आंगनबाड़ी भी नहीं जा पाते थे। बब्बू मुसहर बताते हैं, "बच्चे तो स्कूल ( आंगनबाड़ी) जाने लगे लेकिन हमको काम नहीं मिला अभी तक। बरसात में पत्ते तोड़ने जाते हैं तो कीड़े-मकोड़े काट लेते हैं जंगल में,लेकिन जायेंगे नहीं तो खाएंगे क्या?"

जानिए क्या था बस्ती का हाल: मुसहरों की जिंदगी : बच्चा रोटी मांगता है बेबस मां रात तक इंतजार करने को कहती है...


1/4 "अम्मा ... रोटी!" मिर्ज़ापुर (#UttarPradesh) के मुसहर वनवासियों के एक गाँव में, भूख से व्याकुल बच्चा माँ से खाना मांगता है। मुसहर पत्तल बेचते हैं उसी से अपना गुज़ारा करते हैं। देखिए आगे क्या होता है। गांव कनेक्शन की @ApkiJigyasa की दिल को झकझोर देने वाली #PhotoStory pic.twitter.com/aEUipimPxb

आंगनबाड़ी जाने से रोहित को मिलने लगा पेटभर खाना

एक महीने पहले तक मुश्किल से एक वक़्त भोजन कर पाने वाला रोहित अब सुबह-सुबह उठकर आंगनबाड़ी जाता है और वहां सभी बच्चों के साथ बैठकर पेट भर पोषाहार खाता है। "अब हमारे बच्चों को आंगनबाड़ी मैडम खुद लेने आती हैं और अपने साथ आंगनबाड़ी ले कर जाती हैं। वहां पर इन लोगों को अच्छा खाना भी खिलाती है," संतोषी मुसहर ने बताया

"हम हर सुबह यहाँ पहुंच जाते हैं और फिर बच्चों को लेकर आंगनबाड़ी जाते हैं। वह इनलोगों को दलिया खिलाई जाती है। बस्ती के लोगों को साफ़-सफाई के बारे में बताना बहुत ज़रूरी है ताकि इनका स्वास्थ सही रहे," आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता बताती हैं।


इस में देखें बस्ती का एक महीने पहले का हाल :

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.