मुस्कुराइए कि आप कैमरे पर हैं

Swati ShuklaSwati Shukla   26 March 2016 5:30 AM GMT

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मुस्कुराइए कि आप कैमरे पर हैंगाँवकनेक्शन

लखनऊ। अगर किसी पुलिस वाले को चौराहे पर न देख कर आप सोच रहे हैं कि नियम तोड़ कर बच जाएंगे, तो गलतफहमी में हैं। लखनऊ पुलिस की तीसरी आंख सब देखती है।

लखनऊ के भीड़-भाड़ वाले इलाकों और व्यस्ततम 70 चैाराहों पर लखनऊ पुलिस द्वारा लगाए गए 270 कैमरों में कैद होकर पिछले साल 36,565 ई-चालान किए गए। जबकि 95 गाड़ियां पकड़ी गईं। पुलिस के अनुसार चैाराहों पर कैमरे लगने के बाद महिलाओं से छेड़छाड़ कम हुई है और अपराधियों को पकड़ने में आसानी हुई है।

“सत्तर जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे अच्छे से काम कर रहे हैं। पर इनकी संख्या बहुत कम है। मुख्य चौराहों पर लगे हैं, या फिर भीड़-भाड़ की जगहों पर। कम कैमरे होने की वजह से हम सब कुछ कवर नहीं कर सकते।” मॅाडल पुलिस कंट्रोल रूम में अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गेश कुमार बताते हैं। चैाराहों पर लगे इन सभी कैमरों को पुलिस कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है।

लखनऊ के चैाराहों पर यह कैमरे 12 अप्रैल, 2015 को लगाए गए थे। कन्ट्रोल रूम व रिकॉर्डिग रूम से लगा के मोबाइल पुलिस व यातायात पुलिस तक अच्छा सामंजस्य बना रहता है। इससे जल्दी कार्रवाई होती है। कैमरे में इलेक्ट्रनिक मीटर लगे हैं। कैमरे को कन्टोल रुम से ही घुमाया जा सकता है। जूम इन, जूम आउट करके देखा जा सकता है। 

“ट्रैफिक नियमों का उलघंलन करने वालों का तुरन्त ई-चलान काटा जाता है। कई बार पुलिस पर आरोप लगते हैं कि पैसा लेकर छोड़ दिया, पर कैमरे लगने से इन सब पर काबू पाया गया है। अगर कोई गाड़ी तेज चला कर आ रहा है जो हमारी नज़र में नहीं है, उस पर यह अच्छा काम कर रही है। कहीं पर एम्बुलेंस जाम में फंसी हो तो कंट्रोल रूम से फोन आया तो हमने उनको निकाला है।” मोहम्मद ज़फर खान, सीओ यातायात पुलिस, लखनऊ बताते हैं। हालांकि, इन कैमरों के खराब होने की भी बात अक्सर उठती रहती है। इस पर मॉडल कंट्रोल रूम के अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गेश कुमार कहते हैं, “जो कैमरे खराब या बन्द पड़े हैं, वो कैमरे हमारे नहीं है। प्राइवेट या पर्सनल हो सकते हैं। कैमरे तभी बन्द होते हैं, जब ट्रान्सफर होते हैं, और तकनीकी खराबी या बहुत देर तक बिजली नहीं आती या फिर मौसम खराब हो, बस वो भी कुछ समय के लिए।

इन कैमरों की मदद से शहर में हर रोज करीब 250-300 ई-चालान काटे जाते हैं। इनमें से कई अधिकारी भी शामिल रहते हैं।  “हमने कैमरे की सहायता से एक महीने में 10 चोरों को पकड़ा। आसपास कोई दुर्घटना होती है तुरन्त फोन आता है हम लोकेशन पर पहुंच जाते हैं। हाल ही, में एक गाड़ी एक्सीडेन्ट करके भाग रही थी, तो तुरंत कैमरे में देख कर फोन आया और सही लोकेशन होने से पकड़ ली गई।” गोमतीनगर के 1090 चैाराहे पर ड्यूटी करने वाले सौरभ यादव बताते हैं।

 

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