महिला दिवस पर इन्हें सलाम करिए ... 80 साल की महिला ने बदली 800 लड़कियों की जिंदगी
Shrinkhala Pandey 8 March 2018 4:41 PM GMT

लखनऊ। हाल ही में नीरजा भनोट अवार्ड से भी सम्मानित सरोजिनी अग्रवाल एक ऐसी मां हैं जिन्होंने एक, दो, पांच, दस नहीं बल्कि 800 से ज्यादा बेटियों की परवरिश की है। लखनऊ के गोमतीनगर में मनीषा मंदिर के नाम से अनाथालय चला रही सरोजिनी अग्रवाल (80 वर्ष) उन बच्चों को गोद लेती हैं जिनके माता पिता उन्हें पैदा करके अकेला छोड़ देते हैं।
सरोजनी अग्रवाल बताती हैं, “मुझे खुशी मिलती है ऐसे बच्चों की परवरिश करके। मैं सिर्फ अपना मां होने का फर्ज निभा रही हूं। मैं ये नहीं चाहती कि कोई भी बेटी इधर उधर ठोकरें खाएं। मेरे आश्रम के पास एक पालना रखा जहां अपनी बेटियों को बोझ समझने वाले बाप उन्हें छोड़ जाते हैं।
एक हादसे के बाद लिया ये फैसला
सरोजिनी बताती हैं, आज से लगभग तीस साल पहले एक रोड एक्सीडेंट में मैनें अपनी आठ साल की बेटी को खो दिया था मेरे तीन बच्चे और थे लेकिन बेटी सिर्फ एक थी। मेरी बेटी का नाम मनीषा था उसकी मौत के बाद मैनें ये फैसला लिया कि जीवन भर अनाथ लड़कियों के लिए ही काम करूंगी। मैनें सड़क पर लड़कियों को भीख मांगते देखा और उसके बाद ही मैनें 24 सितंबर 1984 को मैनें अनाथाश्रम खोला जहां बहुत सारी बेटियां रहती हैं, पढ़ती हैं और उनमें मुझे मेरी बेटी दिखती है।
सरोजिनी आगे बताती हैं, पहले तो मैं सिर्फ उन्हीं बेटियों को गोद लेती थी जिनके माता पिता नहीं थे लेकिन धीरे धीरे ऐसी लड़कियां भी रहने लगी जिनके पिता या तो अपाहिज थे या किन्ही वजहों से जेल में थे। आश्रम में ऐसी लड़कियां हैं जो पलीं जो वेश्यालयों से लायी गयीं थीं। सरोजिनी मानती हैं कि मां बनने के लिए आपको बच्चे को जन्म देना जरूरी नहीं। वह कहती हैं कि सबसे सुखद होता है इन बेसहारा बच्चियों को 'मां' कहते सुनना। उन्होंने अपने आश्रम में ‘संजीवनी पालना’ है, जहां पर कोई भी आकर अपना बच्चा छोड़ सकता है।
लड़कियों को बनाती हैं आत्मनिर्भर
डॉक्टर सरोजनी अग्रवाल ने करीब 2 साल पहले अपनी बेटी के नाम से ‘मनीषा उच्च शिक्षा स्कॉलरशिप योजना’ की शुरूआत की है। इसके जरिये वो उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा हासिल करने वाली लड़कियों को स्कॉलरशिप देती हैं। इस योजना के लिये 27 सितम्बर 2015 को गृहमंत्री राजनाथ सिंह के हाथों 17 लड़कियों को स्कॉलरशिप दे चुकी है।
इस दौरान हर लड़की को 40 हजार रुपये से लेकर 70 हजार रुपये तक की स्कॉलरशिप मिलती है। 2016 में राज्यपाल राम नाइक के हाथों 13 लड़कियों को स्कॉलरशिप दी गई थी। इस वर्ष भी लगभग 25 लड़कियों को स्कॉलरशिप देने की योजना है। आश्रम की कई लड़कियों का विवाह भी हो चुका है कुछ को लीगल एडॉप्शन के ज़रिये अच्छे परिवारों को दे दिया गया और कुछ अलग अलग जगहों पर नौकरी करने के लिए भी जाती हैं।
नीरजा भनोट अवार्ड से नवाजा गया
डॉ सरोजिनी अग्रवाल को इस साल प्रतिष्ठित नीरजा भनोट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। शहीद नीरजा भनोट की याद में यह पुरस्कार का 26वां संस्करण था जो इसके गठन से लेकर आज पहली बार स्वयं नीरजा भनोट के जन्मदिन अवसर 7 सितंबर पर दिया गया था।
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