चुप्पी तोड़ें, डॉक्टर को बता दें अपनी परेशानी
डॉ. शिवानी चतुर्वेदी 22 Jan 2016 5:30 AM GMT
लक्ष्मी (58 वर्ष) हर बार बेटी या बहू को लेकर स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाती हैं पर अपनी परेशानी कभी भी डॉक्टर को नहीं बताती है। शर्म और उम्र का लिहाज़ उसे चुप रहने पर मजबूर कर देता है। धीरे-धीरे तकलीफ बढ़ जाती है। कुछ दिनों में वह बाहर आना जाना भी बंद कर देती है। रमाजी (55 वर्ष) कहीं भी जाती है तो वहां जाते ही सबसे पहले बाथरूम तलाशती है। सलमा (65 वर्ष) नमाज़ नहीं पढ़ पाती हैं क्योंकि पाक साफ़ नहीं रह पाती हैं।
दरअसल ये सभी प्रौढ़ महिलाएं उम्र के इस पड़ाव पर मूत्राशय की समस्याओं से पीड़ित हैं। रजोनिवृत्ति यानी मासिकबंदी के बाद औरतों में एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी आ जाती है। इसकी वजह से उसका प्रजनन व मूत्र तंत्र कमज़ोर हो जाता है जिसका लक्षण है पेशाब जाने की इच्छा को कण्ट्रोल ना कर पाना, हंसने, छीकने व वज़न उठाने पर थोडा मूत्र लीक कर जाना। इस परेशानी को GSI यानी जेन्युइन स्ट्रेस इंकॉन्टिनेंस कहते हैं।
इस उम्र पर महिला को इस शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। नाती-पोतों वाली महिला हर पल डर में जीती है। रात को भी कई बार उठकर उसे बाथरूम जाना पड़ता है। इस अवस्था में उसे डॉक्टर के पास जाना और जांच आदि कराना किसी दुर्गति से कम नहीं लगता।
अच्छी खबर यह है कि यह कोई बीमारी नही है बल्कि एक अवस्था है जिसका इलाज संभव है। एस्ट्रोजन क्रीम, कीगल्स एक्सरसाइजेज आदि से कुछ आराम मिल जाता है। इसके अलावा इसका सर्जिकल उपचार भी है जोकि एक छोटे से ऑपरेशन से संभव है। UPHAI जैसी संस्थाए महिलाओं की इसी समस्या पर चिंतन मनन व अनुसन्धान कर रही हैं।
इस उम्र में महिला परिवार की मुखिया होती है व अति सम्माननीय होती है। उसके जीवन के ये वर्ष सुनहरे होते हैं। ये उम्र उसके लिए अभिशाप ना बन जाए और वो भी एक ऐसी समस्या के कारण जिसका निदान संभव है। मत भूलिए, स्वस्थ स्त्री-सुखी परिवार।
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