घरेलू हिंसा का शिकार 'महिलाओं' को हमसफ़र का साथ
दिति बाजपेई 6 Jan 2016 5:30 AM GMT
लखनऊ। पुरुषों की तरह अब महिलाएं भी जल्द ही सड़कों पर ई-रिक्शा चलाती हुई नज़र आएंगी। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास तो बढ़ेगा साथ ही अशिक्षित महिलाओं के लिए अच्छा आय का जरिया भी बनेगा।
लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर पारा में रहने वाली पुष्पा (30 वर्ष) रोज सुबह ग्यारह बजे से लेकर पांच बजे तक ई-रिक्शा को चलाने का प्रशिक्षण ले रही है, ताकि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके और खुद अपने पैरों पर खड़े हो सके। अपने प्रशिक्षण के बारे में पुष्पा बताती हैं, ''मुझे इसका प्रशिक्षण लेते हुए तीन महीने हो चुके है जल्द ही हम ई-रिक्शा को सड़कों पर चलाऐंगे। इससे हम अच्छा पैसा भी कमा पाऐंगे।’’ पुष्पा के पति ने उसे दो साल पहले छोड़ दिया था। प्रशिक्षण लेने के साथ ही पुष्पा घरों में खाना बनाकर अपने बच्चों को पाल-पोस रही थी।
यह पहल स्वयं सेवी संस्था 'हमसफर’ ने शुरु की है। यह संस्था ऐसी महिलाएं जो हिंसा का शिकार हुई है या जिनको अपनों ने पराया कर दिया उनकी मदद करती है और उनको आत्मनिर्भर भी बनाती है। संस्था में अभी सात महिलाओं है जो ई-रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग ले रही है।
एनजीओ की ओर से ही इन महिलाओं को ई-रिक्शा दिलाया गया और उनके लाइसेंस की भी बनवाए हैं। लखनऊ स्थित हमसफर संस्थान की काउंसलर ऋचा रस्तोगी बताती हैं, ''जिन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है वह महिलाएं किसी न किसी हिंसा का शिकार हुई है। इनके अंदर का डर खत्म करके इनको आगे बढ़ाने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। अभी जितनी भी महिलाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं उनको दो हजार रुपए की मदद भी कर रहे है ताकि उनके घर का खर्च भी निकलता रहे।’’
अपनी बात को जारी रखते हुए ऋचा आगे बताती हैं, ''हम प्रयास कर रहे है फरवरी तक यह सड़कों में चलाए और अच्छी आमदनी कमा सकें। इससे परिवहन क्षेत्र में महिला यात्रियों के लिए सुगमता बढ़ेगी और महिलाओं के लिए भी सफर सुरक्षित होगा।’’ पुष्पा के साथ रशिदा, ममता, सुमन,ललिता ,मीरा, ज्योति यह सभी ई-रिक्शा चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं।
महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के बीच जरूरी सेवा
महिलाओं के प्रति अपराधों के तेजी से बढ़ते ग्राफ के बीच इस प्रकार की सेवाएं और भी ज्यादा जरूरी हो गई हैं। देर सवेर रात को घर लौटने की मजबूरी में सुरक्षा से जुड़ा सवाल और अधिक गंभीर हो जाता है। हमसफर संस्थान की काउंसलर रिचा रस्तोगी बताती हैं, ''रोज बसों, ऑटो में सफर करने वाली महिलाएं हिंसा का शिकार होती है इसको रोकने में भी यह काफी सहायता करेगा।’’
अशिक्षित महिलाओं के लिए आय का जरिया
संस्थान में जितनी भी महिलाएं ई-रिक्शा चलाने के ट्रेनिंग ले रही है वह या तो आठवीं कक्षा तक पढ़ी है या फिर पढ़ी-लिखी ही नहीं है। ऐसे में यह सेवा एक ओर समाज के कमजोर तबकों या कम पढ़ी लिखी महिलाओं को भी अपने परिवार की आय में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बनाऐंगी।
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