महिलाओं की जि़ंदगी में जगा रहीं उम्मीद  

Astha SinghAstha Singh   30 May 2017 6:18 PM GMT

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महिलाओं की जि़ंदगी में जगा रहीं उम्मीद  महिला सशक्तिकरण के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं पूरे भारत में कार्य कर रही हैं।

अंबेडकरनगर। महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं पूरे भारत में कार्य कर रही हैं। ऐसी ही एक गैर सरकारी संस्था अंबेडकरनगर में महिलाओं और युवतियों को उनके हक, सामाजिक बुराइयों की पहचान और रोजगारपरक शिक्षा देकर उनके जीवन में उम्मीद का प्रकाश फैला रही हैं।

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उत्तर प्रदेश की राजधानी से करीब 200 किमी दूर अंबेडकरनगर के राबीपुर बहाउद्दीन की रहने वाली रीता प्रकाश (43 वर्ष) ने लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए करने के साथ ही महिलाओं के उत्थान व समाजसेवा का जो बीड़ा उठाया है उसे बाखूबी निभा रही हैं। ‘उर्मिला सुमन द फाउंडेशन’ नामक संस्था का गठन कर कई वर्षों से पर्यावरण संरक्षण, महिलाओं पर अत्याचार, महिलाओं-युवतियों को रोजगारपरक शिक्षा, गोरैया संरक्षण मुहिम, जल संरक्षण जागरुकता, महिला स्वास्थ्य जागरुकता, परिवार नियोजन जैसे मुद्दों पर काम कर रही हैं।

रीता बताती हैं, “मैं शुरुआत से ही गरीब महिलाओं और किशोरियों के लिए कुछ करना चाहती थी। मैंने पढ़ाई पूरी करने के बाद उर्मिला सुमन द फाउंडेशन का गठन किया। मेरा मकसद सिर्फ किशोरियों व महिलाओं का सशक्तिकरण था। पिछले पांच वर्षों से हम लोगों ने गाँव-गाँव जाकर महिलाओं को उनके हक, किशोरियों को उनकी शिक्षा के बारे में जागरूक किया। कई गाँवों में सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, टेराकोटा आदि विषयों की ट्रेनिंग दी।”

रीता आगे बताती हैं, “हमारे द्वारा दी गई शिक्षा से आज कई गाँवों में किशोरियां और महिलाएं सिलाई-कढ़ाई को कार्य कर अपना परिवार चला रही हैं। मुझे सिर्फ इस बात की खुशी है कि हम किसी के जीवन में उजियारा लाए हैं।” रीता बताती हैं, “अंबेडकरनगर में हमने सभी कस्तूरबा विद्यालयों को मॉडल स्कूल बनाने की शुरुआत की है। कस्तूरबा की छात्राओं को जागरुकता के साथ-साथ सिलाई-कढ़ाई जैसी रोजगारपरक शिक्षा दी जा रही है।”

कस्तूरबा स्कूल की वार्डन अलका देवी (42 वर्ष) बताती हैं, “छात्राओं ने बड़े मन से वर्कशॉप में भागीदारी ली। छात्राएं सिलाई-कढ़ाई सीख कर रोज मुझे कुछ न कुछ बनाकर दिखाती हैं। नए एडमिशन जो लेने आ रहे हैं उन बच्चों के अभिभावक भी वर्कशॉप की डिमांड कर रहे हैं।” रीता बताती हैं, “झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए भी प्रयास किया जा रहा है।”

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