इस मशीन से सेनेटरी पैड्स का निस्तारण हो जाएगा आसान

देश भर में करीब 43.2 करोड़ उपयोग किए गए सैनेटरी नैपकिन हर महीने फेंक दिए जाते हैं। भविष्य में यह संख्या तेजी से बढ़ सकती है। सैनेटरी नैपकिन का सही ढंग से निपटारा न होने से चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं क्योंकि उपयोग किए गए सैनेटरी नैपकिन में कई तरह के रोगाणु होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक हो सकते हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   12 Jun 2018 6:49 AM GMT

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इस मशीन से सेनेटरी पैड्स का निस्तारण हो जाएगा आसान

नई दिल्ली। माहवारी के दौरान सबसे बड़ी समस्या इस्तेमाल हुए सेनेटरी पैड के निस्तारण में आती है, खुले में फेंकने से पर्यावरण प्रदूषित तो होता ही है, साथ ही कई तरह की बीमारियां भी फैलतीं हैं। ऐसे में ग्रीनडिस्पो भट्टी सैनिटरी नैपकिन और इसके जैसे अन्य अपशिष्टों के निपटारे में मददगार हो सकती है।

भारतीय शोधकर्ताओं ने ग्रीनडिस्पो नामक एक ऐसी पर्यावरण हितैषी भट्टी का निर्माण किया है, जो सैनिटरी नैपकिन और इसके जैसे अन्य अपशिष्टों के निपटारे में मददगार हो सकती है। ग्रीनडिस्पो में 800 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर अपशिष्टों का तुरंत दहन हो जाता है, जो सैनेटरी नैपकिन और इस तरह के दूसरे अपशिष्टों के सुरक्षित निपटारे के लिए आवश्यक माना जाता है।

नीरी के निदेशक डॉ. राकेश कुमार बताते हैं "देश भर में करीब 43.2 करोड़ उपयोग किए गए सैनेटरी नैपकिन हर महीने फेंक दिए जाते हैं। भविष्य में यह संख्या तेजी से बढ़ सकती है। सैनेटरी नैपकिन का सही ढंग से निपटारा न होने से चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं क्योंकि उपयोग किए गए सैनेटरी नैपकिन में कई तरह के रोगाणु होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक हो सकते हैं। कई बार उपयोग के बाद सैनेटरी नैपकिन इधर-उधर फेंक देने से जल निकासी भी बाधित हो जाती है।"


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इस भट्टी का निर्माण हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (एआरसीआई), नागपुर स्थित नेशनल राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) और सिकंद्राबाद की कंपनी सोबाल ऐरोथर्मिक्स ने मिलकर किया है। नागपुर के नीरी परिसर मेंग्रीनडिस्पो की औपचारिक लॉन्चिंग की गई है।

भारत सरकार जहां सभी महिलाओं व लड़कियों को, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, सैनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराना सुनिश्चित कर रही हैं। वहीं सैनेटरी पैड के निस्तारण के मुद्दे पर खास ध्यान नहीं दिया। सैनेटरी नैपकिन के निस्तारण की जानकारी के अभाव में अधिकांश महिलाएं या युवतियां इसे कचरे के डिब्बे में फेंक देती हैं, जो अन्य प्रकार के सूखे व गीले कचरे के साथ मिल जाता है। इसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता और खुले में सैनेटरी नैपकिन कचरा उठाने वाले के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।

डॉ. कुमार ने आगे कहा, "ग्रीनडिस्पो के खासतौर पर डिजाइन किए गए हीटर्स 800 डिग्री सेल्सियस से अधिक ताप पैदा करते हैं। इसकी मदद से उपयोग किए गए सैनेटरी नैपकिन एवं इस तरह के अन्य अपशिष्टों को न्यूनतम गैसों के उत्सर्जन से पूरी तरह सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जा सकता है। हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को रोकने के लिए इस भट्टी में 1050 डिग्री सेल्सियस तापमान पैदा करने वाला एक अन्य चैंबर भी लगाया गया है।"

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"सिरेमिक सामग्री के उपयोग से इस उपकरण को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है, जो तापमान के समुचित उपयोग में मददगार है। इसके खास डिजाइन की वजह से दहन में कम समय लगता है और ऊर्जा की खपत कम होती है,"एआरसीआई के निदेशक डॉ. जी. पद्मनाभन ने बताया।

सोबाल ऐरोथर्मिक्स से जुड़े वीवीएस राव के अनुसार,"ग्रीनडिस्पो 800 वाट एवं 1000 वाट की क्षमता और 2-3 घन फीट के आकार में उपलब्ध है। इसका उपयोग ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के स्कूलों, कॉलेजों, छात्रावासों, ऑफिस और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर किया जा सकता है। ग्रीनडिस्पो के उत्सर्जन और इसकी उपयोगिता की जांच के लिए इसके प्रोटोटाइप का परीक्षण नागपुर स्थित नीरी परिसर में किया गया है।"

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नीरी को पर्यावरण अभियांत्रिकी एवं गैस उत्सर्जन नियंत्रण, एआरसीआई को सीरेमिक प्रोसेसिंग और सोबाल ऐरोथर्मिक्स को ऊर्जा के कुशल उपयोग के लिए नए डिजाइन एवं निर्माण के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। ग्रीनडिस्पो को बनाने के लिए इन तीनों संस्थानों की विशेषज्ञता का उपयोग किया गया है। वीवीएस राव के अनुसार पैड बर्न नाम से मैसर्स गर्ल केयर द्वारा ग्रीनडिस्पो की मार्किटिंग देश भर में की जाएगी। (इंडिया साइंस वायर)

     

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