पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कैल्शियम की कमी ज्यादा लेकिन प्रोटीन लेती हैं कम

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   6 Jan 2018 6:18 PM GMT

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पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कैल्शियम की कमी ज्यादा लेकिन प्रोटीन लेती हैं कममहिलाओं में कैल्शियम की कमी ज्यादा।

लखनऊ की रहने वाली अमिता श्रीवास्तव (45वर्ष) घर का काम निपटाने के बाद अपने बच्चों व पति को एक गिलास दूध रोज पीने के लिए देती हैं जिससे उनकी सेहत बनी रहे लेकिन वो खुद कभी दूध नहीं पीती।

अमिता बताती हैं, “जब बीमार होती हूं तो पी लेती हूं, ऐसे आदत नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि कमी हो किसी चीज की लेकिन बस वही लापरवाही कह सकते हैं। हम औरतें सबके लिए तो कर देती हैं लेकिन खुद के लिए थोड़े लापरवाह हो जाते हैं।”

हेल्दीफाईमीटर जेंडर वॉच 2017' की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाएं 13 फीसदी कम प्रोटीन का सेवन करती हैं। इसलिए महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ जाता है। हेल्दीफाईमीटर, दिल्ली की मोबाइल स्वास्थ्य एवं फिटनेस कंपनी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा आहार में ग्रहण करती है।

जिन महिलाओं में कैल्शियम की कमी होती है उम्र बढ़ने के साथ में हड्डियों के रोग होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐसे में सबसे ज्यादा खतरा ऑस्टोंपेरोंसिस बीमारी होने का रहता है जिसमें हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में हल्के से झटके से भी उनमें फैक्चर हो जाते हैं।

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कैल्शियम की कमी होने से महिला और शिशु के स्वास्थ्य भी प्रभावित होते हैं। ‘’अगर गर्भावस्था के दौरान या नवजात शिशु के दूध की आवश्यकता के लिए महिलाओं को सही मात्रा में कैल्शियम नहीं लेती है तो इसका असर उनके अपने शरीर पर पड़ता है। ऐसे में कई बार उनके कूल्हे की हड्डी टेढ़ी हो जाती है जिससे उनकी सामान्य प्रसव होने में दिक्कत आती है।” डॉ. मंजू शुक्ला ने बताया।

वो आगे बताती हैं, “महिलाओं को एक दिन में लगभग 1000 मिली ग्राम कैल्शियम की जरुरत होती है, ये उन्हें भोजन या डेयरी उत्पादों से लेना चाहिए। दूसरा महिलाओं में माहवारी, प्रसव, स्तनपान और मेनोपाज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी हो जाती है।”

बस्ती जिले के सिकता गाँव की रहने वाली रुक्मिणी देवी (50वर्ष) बताती हैं, “गाँव में भले गाँव भैस पली होती हैं, दूध रहता है लेकिन बेचकर पैसा भी वहीं से आता है तो ऐसे में जो लोग बीमार हैं या बच्चों को दे देते हैं पीने के लिए। हमें कौन सा दिन भर बाहर रहना होता है।”

महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कम लेती हैं प्रोटीन।

अक्सर देखा जाता है महिलाएं भले पूरे परिवार की सेहत व खानपान का ध्यान रख लें लेकिन खुद के लिए उनके पास समय नहीं होता है। बीमार होने पर भी वो डॉक्टर के पास जल्दी नहीं जाती, अपने खान-पान को लेकर भी गंभीर नहीं होती जबकि महिलाओं को पुरुषों की अपेचा ज्यादा कैल्शियम व कैलोरी की जरूरत होती है।

भारत में स्त्रियों में पेल्विक फ्रेकचर ( कूल्हे की हड्डी का फ्रैक्चर) पुरुषों की अपेक्षा दुगुनी मात्रा में होते हैं, 65 वर्ष की आयु के बाद ये अनुपात चार गुना बढ़ जाती है। स्त्रियों में रीढ़ की हड्डी का फ्रैक्चर पुरुषों की अपेक्षा 10 गुना ज्यादा होता है।

प्रतिदिन लेने वाली कैल्शियम की मात्रा

  • 3 से 6 साल के बच्चे के लिए प्रतिदिन 300 से 500 मिलीग्राम कैल्शियम जरूरी है।
  • 7 से 18 साल तक के लिए 600 से 700 मिलीग्राम रोज।
  • 18 से 30 साल की महिलाओं को 400 से 500 मिलीग्राम।
  • गर्भवती स्त्रियों को 1000 मिलीग्राम।

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