इस औरत की कहानी आप मत पढ़िएगा 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   8 Feb 2018 6:01 PM GMT

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इस औरत की कहानी आप मत पढ़िएगा तीन तलाक  फाइल फोटो

लखनऊ। मुझे रात में ही पति का घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। ऐसा लगा कि जिन्दगी खत्म हो गई... उसके बाद का संघर्ष काफी कड़ा था। ये कहना है सोफिया का। तलाक...तलाक...तलाक... के दर्दभेदी आवाज सुनकर जब सोफिया घर से निकली तो उसकी गोद में 40 दिन का बच्चा था।

सोफिया अहमद (24 वर्ष) ने वाणिज्य से स्नातक की पढ़ाई कर रखी है। तीन तलाक पर अकेले दम लड़ाई लड़ने से हुई मशहूर सोफिया को सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाया गया। सोफिया अहमद का सफर संघर्ष की मिसाल है।

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लोग सोचते हैं कि तीन तलाक कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि महिला को कितनी कठिनाइयां पेश आती हैं, जब गुजारा भत्ता मांगने, बच्चे की देखरेख का जिम्मा ऐसी ही अन्य बातों के लिए एक महिला को संघर्ष करना पड़ता है। सोफिया ने कहा कि कोई मदद नहीं मिलती और अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।

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सोफिया पुरानी यादों में खो गई, फिर याद करते हुए बताती हैं कि जब वह तलाक के बाद संघर्ष कर रही थीं तो तीन तलाक के मुद्दे पर भाजपा के नजरिए से प्रभावित हुई और दिसंबर 2016 में पार्टी में शामिल हो गई। सोफिया ने कहा कि वह खुद को किस्मत वाला मानती हैं और महसूस करती हैं कि उन्हें एक मंच मिला है, जिसके जरिए वह इस तरह की कठिनाइयां झेल रही महिलाओं को प्रोत्साहित करेंगी।

सोफिया का निकाह एक राजनीतिक परिवार में हुआ था।

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वह कहती हैं कि उनकी आवाज अन्य पीड़िताओं की आवाज बनेगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने आत्मसम्मान के लिए एक महिला के संघर्ष को पहचाना। इससे यह भी साबित होता है कि भाजपा असल मुद्दों पर संघर्ष कर रहे लोगों को मौका देने में भरोसा करती है। सोफिया ने बताया कि वह निजी तौर पर महिलाओं के साथ काम करती रही हैं और जब वह अदालत में मुकदमा लड़ रही थीं, तब उन्हें महिलाओं का पूरा समर्थन था।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुए सोफिया ने कहा कि मोदी ने जो वायदा किया, उसे पूरा किया। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के लिए उम्मीद की नयी किरण जगाई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सोफिया को कल ही आयोग का सदस्य नियुक्त किया है।

इनपुट भाषा

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