मन में था हौसला, दबंगों से छुड़ा लिया तालाब और करने लगी सिंघाड़े की खेती

Neetu SinghNeetu Singh   10 May 2017 1:24 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
मन में था हौसला,  दबंगों से छुड़ा लिया तालाब और करने लगी सिंघाड़े की खेतीइन्द्रकली पासी।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

इलाहाबाद। ग्रामीण महिलाएं जागरूक होकर अब अपने हक़ के लिए खुद ही आगे आने लगी हैं। ऐसी ही एक महिला हैं इन्द्रकली पासी (58 वर्ष)। उन्होंने गाँव के गरीब लोगों को तालाब के पट्टे वापस दिलाए, जिन पर दबंगों ने कब्जा कर रखा था। अब इन तालाबों में गाँव के लोग मछली पालन, सिंघाड़ा की खेती करके अपने परिवार का खर्चा चला रहे हैं।

इलाहाबाद जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर शंकरगढ़ ब्लॉक से दक्षिण दिशा में बबंधर गाँव की रहने वाली इन्द्रकली पासी का कहना है, “मैंने अपने नाम भी 17 बीघा पट्टा कराया, उसमें मछली पालन का काम शुरू किया है। 14 महीने में मछली पालन में एक लाख लागत आती है और छह-सात लाख रुपए की बचत हो जाती है।”

ये भी पढ़ें- सोनिया को फूड प्वॉइजनिंग, गंगाराम अस्पताल में भर्ती

इन्द्रकली का कहना है, “मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं लेकिन जब 1995 में महिला समाख्या से जुड़ी और समूह की मीटिंग में जाने लगी तो वहां बड़ी ज्ञान की बातें होती थीं। आसपास की समस्याओं पर भी बात होती थी। एक दिन समूह की बैठक में जब हमने कहा कि हमारे गाँव में कमाई का कोई जरिया नहीं है हमारे पास खेत भी नहीं है तो दीदी ने तालाब के पट्टे पर चर्चा की।”

गरीबों के पास गाँव में मजदूरी के अलावा कोई दूसरा कमाई का जरिया नहीं था, जो ग्राम सभा के तालाब थे उस पर दबंगों का कब्जा था, जब मुझे ये जानकारी हुई कि गाँव के गरीब लोग इस पट्टे को कुछ पैसे देकर पांच साल के लिए पंचायत से ले सकते हैं तो मैंने पहल की और गाँव के कई लोगों को तालाब का पट्टा दिलवाया।
इन्द्रकली पासी, बंबधर गाँव

इन्द्रकली को जब ग्रामसभा के पट्टे लेने की पूरी प्रक्रिया पता चल गई तो उन्होंने प्रधान से बात की। दबंग तालाब छोड़ने को तैयार ही नहीं थे इन्द्रकली के पास समूह की महिलाओं की ताकत थी। “एक साल लगातार भागदौड़ करने के बाद ग्राम पंचायत के तालाब के पट्टे आखिर लोगों को वापस मिल ही गए। मेरे पास पैसे नहीं थे। मैंने समूह में बचत के पैसे जमा किये थे, तालाब का पट्टा लेने के लिए समूह से पैसे लिए और पांच साल मछली पालन किया। अच्छा मुनाफा कमाया हमारी गरीबी दूर हो गयी।” ये कहना है इन्द्रकली का।

ये भी पढ़ें- परती भूमि पर तैयार होंगे चारागाह

जब से इन्द्रकली ने लोगों के पट्टे कराए हैं, तब से गाँव के लोग इन्हें नेताइन कहकर बुलाते हैं। जो काम कभी कोई नहीं कर पाया वो काम इन्द्रकली ने अपने मजबूत इरादों से करके दिखाया। इससे इन्द्रकली का आत्मविश्वास बढ़ा और अब इन्द्रकली गाँव के छोटे-मोटे झगड़े खुद ही सुलझा देती हैं। इन्द्रकली का कहना है, “मैंने सिर्फ एक बार कोशिश करके लोगों को पट्टा दिला दिया, लोगों ने हजारों दुआएं दीं और अब वो हर पांच साल पर खुद ही पट्टा करा लेते हैं। ग्राम सभा के तालाब पर अब कोई नजर नहीं डालता है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

          

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.