अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जेलों में बंद आठ महिला कैदियों को तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड-2017  

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   8 March 2017 12:57 PM GMT

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जेलों में बंद आठ महिला कैदियों को तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड-2017  तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड-2017 का प्रतीकात्मक लोगो।

नई दिल्ली (भाषा)। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर देश की विभिन्न जेलों में बंद आठ महिला कैदियों को ‘तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड-2017' दिए गए। जिन महिला कैदियों को अवॉर्ड दिए गए, वे अलग-अलग जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रही हैं, इन महिलाओं में कोई उम्रकैद की सजा काट रही हैं तो किसी को मौत की सजा सुनाई गई है।

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विदेश मंत्रालय में सचिव ज्ञानेश्वर मुले की ओर से ये अवॉर्ड जारी किए गए, ये अवॉर्ड जानीमानी जेल सुधार कार्यकर्ता डॉ. वर्तिका नंदा की ओर से संचालित संस्था ‘तिनका तिनका फाउंडेशन' की ओर से दिए जाते हैं।

कैदियों को कानूनी जागरुकता देने के लिए मिला प्रथम पुरस्कार

छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल में बंद कमला रेखा पांडेय को कैदियों को कानूनी जागरुकता प्रदान करने के कारण ‘तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड-2017' के तहत प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया। कमला की ओर से समय पर दी गई सही सलाह के कारण 14 बंदी जेल से रिहा हो सके। कमला आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के जुर्म में पिछले करीब 12 साल से जेल की सजा काट रही हैं, उनके साथ उनकी बहनें भी जेल में हैं, वह जेल में विधिक प्रकोष्ठ की सदस्य हैं।

गुजरात की वडोदरा जेल में बंद परवीन बानो नियाज हुसैन मलिक (26 वर्ष ) को कैदियों को कंप्यूटर कौशल और सिलाई सिखाने के कारण इस अवॉर्ड के लिए चुना गया। परवीन को जेल में ‘मास्टर ट्रेनर' के नाम से जाना जाता है, उन्हें दूसरे पुरस्कार के लिए चुना गया।

इस अवॉर्ड का मकसद कैदियों की जिंदगी में बदलाव लाना और मानवाधिकारों की तरफ ध्यान आकृष्ट करना है। उन्होंने कहा कि इन अवॉर्ड्स के जरिए जेल में महिला सशक्तिरण की कोशिश की जा रही है।
वर्तिका नंदा जेल सुधार कार्यकर्ता ‘तिनका तिनका फाउंडेशन’

जेल में महिलाओं और बच्चों के मेडिकल सहायक के तौर पर अहम योगदान के लिए अनिता बनर्जी, फमीदा, वंदना जैकब और सरिता को विशेष सेवा के लिए सम्मानित किया गया. जेल में कौशल सृजित करने को लेकर एक ट्रांसजेंडर को भी इस अवॉर्ड के लिए चुना गया।

पश्चिम बंगाल की बहरमपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रही अनिता (47 वर्ष ) को मेडिकल सहायिका के तौर पर योगदान की खातिर इस पुरस्कार के लिए चुना गया। करीब 14 साल की सजा काट चुकीं अनिता भी कैदियों को कानूनी सहायता देती हैं।

छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल में बंद वंदना (33 वर्ष ) को नर्स के तौर पर सराहनीय सेवा के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया। हिंदी साहित्य और समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर वंदना अभी समाजशास्त्र में पीएचडी कर रही हैं। जेल में मरीजों के इलाज में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई है।

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की जिला जेल में बंद फमीदा को जेल अस्पताल में प्रशंसनीय सेवाएं देने के कारण इस पुरस्कार के लिए चुना गया, वह 2014 से ही जेल में बंद हैं।

लखनऊ के नारी निकेतन में सजा काट रही सरिता (32 वर्ष ) को भी नर्स के तौर पर कैदियों की सराहनीय सेवा के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया। एक किशोरी की मां सरिता अपनी बहन और मां के साथ छह साल से जेल में बंद हैं।

बिलासपुर जेल में ट्रांसजेंडर कैदी को विशेष पुरस्कार

बिलासपुर जेल में बंद शकीला नाम की एक ट्रांसजेंडर कैदी को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जेल में खिलौने बनाने और दूसरे कैदियों को ये हुनर सिखाने के लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जेल में रहते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना में पंजीकरण कराया और खिलौने बनाने को लेकर इसमें 80.5 फीसदी अंक प्राप्त किए।

इंदौर में मौत की सजा पाने वाली कैदी भी सम्मानित

इंदौर की जिला जेल में बंद नेहा (28 वर्ष ) को कैदियों को ‘जरदोजी' सिखाने और जेल में ही ब्यूटीशियन के तौर पर काम करने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नेहा को हत्या के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई है।

                 

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