इस शर्मनाक खुलासे के बाद सरकार को आप कोसेंगे, सरकारी नौकरियों के लिए 54 फीसदी महिलाओं ने रिश्वत दी
Sanjay Srivastava 8 March 2018 5:34 PM GMT
नई दिल्ली। देश-विदेश में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। आज के दिन हम ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशल इंडिया की एक सर्वे रिपोर्ट का खुलासा करने जा रहे हैं, जिसमें बताया गया है कि भारत में सरकारी नौकरियों के लिए 54 फीसदी महिलाओं ने रिश्वत दी है।
करीब 54 फीसदी भारतीय महिलाओं ने माना है कि उन्होंने सरकारी नौकरी पाने के लिए रिश्वत दी और 33 फीसदी का कहना है कि अधिकारियों ने उत्पीड़न के लिए उन्हें बार बार बुलाया।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशल इंडिया (टीआईआई) की सर्वे रिपोर्ट 'द जेंडर डाइमेंशन ऑफ करप्शन : मुद्दे और चुनौतियां' में बताया गया कि करीब 54 फीसदी भारतीय महिलाओं ने माना है कि उन्होंने सरकारी नौकरी पाने के लिए रिश्वत दी और 33 फीसदी का कहना है कि अधिकारियों ने उत्पीड़न के लिए उन्हें बार-बार बुलाया। सर्वे में ग्रामीण इलाकों की 1,100 उत्तरदाताओं और शहरी इलाकों की 3,500 उत्तरदाताओं को शामिल किया गया।
इसमें कहा गया है कि 38 फीसदी नागरिकों को लगता है कि जिम्मेदारी और शीर्ष पद पर अधिक महिलाओं के होने से रिश्वतखोरी कम हो सकती है। इसमें यह भी कहा गया है कि 35 फीसदी महिलाओं ने कहा है कि नौकरी योजनाओं के तहत लाभ पाने के लिए उन्हें प्रत्यक्ष तौर पर रिश्वत देने के लिए कहा गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुष और महिला उत्तरदाताओं में से ज्यादातर का मानना है कि भ्रष्टाचार और लिंग (जेंडर) के बीच एक सीधा संबंध है।
रिपोर्ट में कहा गया, "महिलाएं और पुरुष दोनों ही इस बात से सहमत हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम भ्रष्टाचारी होती हैं।"
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इसमें कहा गया, "38 फीसदी नागरिकों को लगता है कि जिम्मेदार और शीर्ष पदों पर अधिक महिलाओं के होने से रिश्वतखोरी कम होगी, जबकि केवल पांच फीसदी इस बात से असहमत हैं।"
नतीजों में सुझाया गया है कि शहरी महिलाओं से रिश्वत के लिए कम कहा जाता है।
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रिपोर्ट में कहा गया, "54 फीसदी महिलाओं ने माना कि सरकारी नौकरी पाने के लिए उन्होंने रिश्वत दी, जबकि 43 फीसदी ने कहा कि सरकारी नौकरी पाने के लिए उन्होंने किसी तरह की कोई रिश्वत नहीं दी।"
इसमें कहा गया, "38 फीसदी महिलाओं ने माना कि अधिकारियों ने उत्पीड़न के लिए उन्हें बार-बार बुलाया। साथ ही कुल उतरदाताओं में से 93 फीसदी महिलाएं सूचना के अधिकार के प्रति जागरूक नहीं हैं।"
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इनपुट आईएएनएस
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