अब नहीं मिलेगी किराए की कोख , जानिए क्या हैं सरोगेसी बिल के नियम

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अब नहीं मिलेगी किराए की कोख , जानिए क्या हैं सरोगेसी बिल के नियम

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में फर्टिलिटी सॉल्यूशन मेडिकवर फर्टिलिटी की क्लिनिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसलटेंट डॉ. श्वेता गुप्ता ने सरोगेसी पर को बताया, "आमतौर पर गर्भधारण में परेशानी होने की वजह से दंपति सरोगेसी की मदद लेते हैं। इस प्रक्रिया में पुरुष के स्पर्म और स्त्री के एग को बाहर फर्टिलाइज करके सरोगेट मदर के गर्भ में रख दिया जाता है। हालांकि, सरोगेसी का मकसद जरूरतमंद नि:सन्तान जोड़ों मदद करना था, मगर धीरे-धीरे कुछ लोगों ने इससे पूरी तरह से व्यवसायिक बना दिया है।

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उन्होंने कहा, "अब तो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दर्द से बचने के लिए इस आसान रास्ते का इस्तेमाल करने लगी हैं। सरोगेसी कुछ सेलेब्रिटीज के लिए एक शौक बन गया है और जिनके पास बेटे और बेटियां हैं वे भी सरोगेसी का इस्तेमाल कर रहे हैं।"

देश में सरोगेसी के बढ़ते कारोबार के सवाल पर डॉ. श्वेता गुप्ता ने कहा, "पिछले कुछ सालों से भारत में सरोगेसी का कारोबार बहुत तेजी से बढ़ा है। आकड़ों के अनुसार हर साल विदेशों से आए दंपति यहां 2, 000 बच्चों को जन्म देते हैं और करीब 3,000 क्लीनिक इस काम में लगे हुए हैं।"


सरोगेसी की जरूरत और खर्च के बारे में डॉ. श्वेता गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, "गर्भधारण में दिक्कत होने की वजह से जो लोग मां-बाप नहीं बन पाते, वे किराए की कोख से बच्चा पैदा करते हैं। भारत में इसका खर्च 10 से 25 लाख रुपए के बीच आता है, जबकि अमेरिका में इसका खर्च करीब 60 लाख रुपये तक आ सकता है।"


व्यावसायिक सरोगेसी के संदर्भ में डॉ. श्वेता गुप्ता ने कहा, "व्यावसायिक सरोगेसी एक धंधा बन गया था और कुछ लोग गरीब महिलाओं को जबरन इस धंधे में धकेल रहे थे। विदेश से आने वाले लोगों के लिए जिन्हें बच्चे की चाह थी, उनकी इच्छा पूर्ति के लिए गरीब महिलाओं की कोख का शोषण हो रहा था। जिस पर सरकार रोक लगाना चाह रही है। सामान्य सरोगेसी में नि:संतान दम्पति को यह सुविधा उपलब्ध है, जबकि आजकल अपने शौक के लिए भी लोग इसका दुरुपयोग करने लगे हैं।"

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ये हैं नियम

      • बिल के मुताबिक सिंगल पुरुष व औरतें, अविवाहित जोड़ों और होमोसेक्शुअल को सरोगेसी की इजाजत नहीं।
      • ऐसे दंपती जो माता-पिता बनने में सक्षम नहीं हों या किसी भी वजह से जिनके बच्चे न हों, वे सरोगेसी की मदद ले सकते हैं।
      • सरोगेसी करवाने वाले पुरुषों की उम्र 26 से 55 के बीच और महिला की उम्र 23 से 50 साल के बीच होनी चाहिए।
      • शादी के पांच साल बाद ही इसकी इजाजत होगी और यह काम रजिस्टर्ड क्लीनिकों में ही होगा।
      • सरोगेसी (नियामक) विधेयक, 2016 सरोगेसी के प्रभावी नियमन को सुनिश्चित करेगा, व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करेगा और बांझपन से जूझ रहे भारतीय दंपतियों की जरूरतों के लिए सरोगेसी की इजाजत देगा।
      • सरोगेसी का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को होगा। यह सुविधा एनआरआई और ओसीआई होल्डर को नहीं होगी ।

नियम तोड़ने पर होगी सजा

अगर कोई व्यक्ति सरोगेसी के ये प्रावधान तोड़ता है तो इसके इच्छुक दंपती और सरोगेट मदर को कम से कम 5 साल और 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा 5 लाख तक और 10 लाख का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

    

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