क्यों चाहती हैं महिलाएं माहवारी के दौरान एक दिन की ‘पेडलीव’

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   3 Jan 2018 6:16 PM GMT

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क्यों चाहती हैं महिलाएं माहवारी के दौरान एक दिन की ‘पेडलीव’माहवारी के दौरान छुट्टी के नियम पर फिर तेज हो रही बहस।

माहवारी पर कामकाजी महिलाओं को वैतनिक अवकाश मिले इस पर लंबे समय से बहस जारी है। कुछ निजी कंपनियों ने अपने यहां ये नियम लागू भी कर दिया है जिसमें महिलाओं को इस दौरान एक दिन का अवकाश मिलेगा।

अरुणाचल प्रदेश से लोकसभा सदस्य निनोंग इरिंग ने संसद में एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया जिसमें सार्वजनिक व निजी क्षेत्र से जुड़ी कामकाजी महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म के दौरान दो दिनों को वैतनिक अवकाश देने का प्रस्ताव है।

इससे पहले मुंबई की एक मीडिया कंपनी व कोच्चि के मीडिया समूह 'मातृभूमि' ने महिला कर्मचारियों को उनकी माहवारी के पहले दिन पेड लीव देने की घोषणा की थी इसके बाद पूरे देश में 'माहवारी छुट्टी' लागू करने का मुद्दा छिड़ा था। लेकिन कई लोगों व संस्थाओं ने इसका विरोध भी किया।

माहवारी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन कुछ महिलाओं को इस दौरान बहुत अधिक परेशानी होती है। लखनऊ की एक निजी कंपनी में काम करने वाली रचना दूबे (24 वर्ष) बताती हैं, “इसमें विरोध करने वाली कोई बा नहीं होनी चाहिए। माहवारी का दर्द एक महिला ही समझ सकती है इसके लिए अगर उसे महीने में एक दिन की छ्ट्टी मिल जाएगी तो लोगों को इससे परेशानी नहीं होनी चाहिए।”

माहवारी में छु्ट्टी की मांग करने वाले देश में भारत अकेला नहीं है। जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, इंडोनेशिया और इटली में पहले से इन दिनों में पेड लीव का नियम है। इटली पहला यूरोपीय देश है, जहां इस तरह का फैसला लिया गया है। रूस और आस्ट्रेलिया में भी इस नियम पर चर्चा चल रही है।

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हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का कहना है कि अभी तक मासिक धर्म अवकाश देने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है और मंत्रालय की इस मसले पर अभी कोई कानून बनाने की योजना भी नहीं है।

माहवारी में छुट्टी क्यों मिलें इसके बारे में दिल्ली में काम करने वाली रजनी सिंह (28 वर्ष) बताती हैं, “पीरियड के दौरान कुछ महिलाओं को असहनीय दर्द होता है, वो आराम करना चाहती हैं खासकर ये पहले दिन में होता है कुछ महिलाएं तो छुट्टी ले भी लेती हैं और कुछ इसे बर्दाश्त करती हैं। तो अगर ये नियम लागू होगा तो महिलाओं को इससे काफी राहत मिल सकती है।”

माहवारी के दौरान कुछ महिलाओं में होने वाला दर्द असहनीय होता है।

महीने महिला कर्मचारियों को इस तरह का अवकाश मुहैया करवाने के लिए माकपा की वरिष्ठ नेता वृंदा करात कानूनी समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा था कि धर्म अवकाश का कानूनी प्रावधान होना चाहिए और यह निर्णय महिला कर्मचारी का होना चाहिए कि वह यह अवकाश लेना चाहती है या नहीं।’

महिलाओं के लिए माहवारी पर खुलकर बात करना अभी भी संकोच का विषय है। ऐसे में इस दौरान छुट्टी मांगना उनके लिए थोड़ा परेशानी वाला हो सकता है। लखनऊ के इंदिरानगर की रहने वाली अनुराधा पांडेय (32 वर्ष) बताती हैं, “हमारे यहां ज्यादातर स्टाफ पुरुषों का हैं, बॉस भी पुरुष हैं। उनसे ये सब बात करने में झिझक होती है इसलिए जैसे तैसे काम चलता है। कभी बहुत ज्यादा परेशानी होने पर सिर दर्द या पेट दर्द का बहाना करके छ्टुटी लेनी पड़ती है। ”

हालांकि माहवारी पर छुट्टी देने का नियम लागू हो जाने पर कंपनियों में महिलाओं की नियुक्ति में दिक्कतें भी आ सकती हैं। इस बारे में एक निजी कंपनी के मैनेजर बताते हैं, इससे नुकसान ये हो सकता है कि कंपनियां महिलाओं को कम नौकरी पर रखेगीं क्योंकि इससे पहले भी मेटरनिटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया गया है। अब माहवारी के समय भी छुट्टी देने में कंपनी का नुकसान है वो चाहेगी कि पुरुष कर्मचारियों को रखे जिससे ऐसी परेशानी न आए।

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वहीं महिलाओं को इस दौरान कितने आराम की जरूरत है इस पर लखनऊ की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पा जायसवाल बताती हैं, “ ये अलग अलग महिलाओं पर निर्भर करता है। कुछ महिलाओं को इस समय बहुत ज्यादा दर्द होता है। कुछ को उल्टियां, चिड़चिड़ाहट व घबराहट होती है, तो जिन्हें ज्यादा परेशानी होती है उनके लिए काम करना मुश्किल हो जाता है। वहीं कुछ के लिए ये सामान्य सी बात होती है। ये उनके हार्मोन्स में हुए बदलावों पर निर्भर करता है। ”

इन देशों में पहले से लागू है ये नियम

चीन

चीन में महिलाओं ने पीरियड्स के दिनों छुट्टी मिलने के लिए बड़े स्तर पर आंदोलन किया था और सरकार को इनकी मांगे माननी पड़ी थीं। उसके बाद से पीरियड्स के दौरान महिलाओं को 2-3 दिनों की छुट्टियां देने को मंजूरी दी गई।

इंडोनेशिया

इंडोनेशिया में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को 2 दिनों की छुट्टी देने की घोषणा की गई थी। इस कानून को नजरअंदाज करने वाली कंपनियों के खिलाफ मेंटल हैरेसमेंट का केस दर्ज करने का भी नियम है।

साउथ कोरिया

यहां वर्ष 2001 से महिलाओं को छुट्टी देने का नियम लागू है। इस नियम के लागू होने के बाद नौकरी करने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है।

ताइवान

2013 से यहां महिलाओं को पीरियड्स के दिनों में छुट्टियां देने का नियम लागू हुआ है। यहां की कंपनियों ने महिलाओं को इस दौरान घर से काम करने का प्रस्ताव दिया।

जापान

जापान की महिलाओं को पीरियड्स के दिनों में काफी आराम है क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यहां महिलाओं को मासिक धर्म में छुट्टी देने का नियम लागू हो गया था।

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