बाल विवाह पर दलील, ‘जल्द शादी नहीं करेंगे तो बेटी भाग जाएगी’

Divendra SinghDivendra Singh   10 May 2017 1:13 PM GMT

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बाल विवाह पर दलील, ‘जल्द शादी नहीं करेंगे तो बेटी भाग जाएगी’ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोग लड़कियों को बोझ समझते हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बहराइच। “ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोग लड़कियों को बोझ समझते हैं। उनकी जल्द से जल्द शादी करा देना चाहते हैं। कम उम्र में शादी करना अब भी यहां आम बात है। यहां के लोगों को मना करो तो कहते हैं अगर लड़की की शादी नहीं करेंगे तो वो भाग जाएंगी।“ यह कहना है महिला समाख्या श्रावस्ती की जिला समन्यवक इंदु का।

वह बताती हैं, “आजकल हम क्षेत्र में बाल विवाह पर सख्ती से काम कर रहे हैं जब हम किसी की शादी रोकते हैं तो वो हमसे लड़ने को तैयार हो जाते हैं।उन्हें लगता है कि हम उनके खिलाफ काम कर रहे हैं, लेकिन हम लोगों की बेहतर जिंदगी के लिए ही ऐसा करते हैं।”

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पांच साल की गुड़िया (बदला हुआ नाम) जिसे शादी का मतलब भी नहीं पता था, उसकी शादी उससे चार गुना बड़े उम्र के लड़के से की जा रही थी। महिला समाख्या के प्रयास से गुड़िया की शादी रोक दी गयी। गुड़िया तो एक उदाहरण है, प्रदेश में बाल विवाह के सख्त कानून बनने के बावजूद भी आज भी लोग अपनी लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर देते हैं। जो उन लड़कियों के लिए आगे चलकर बड़ी समस्या बन जाती है।

बहराइच जिला मुख्यालय से 45 किमी. दूर शिवपुर ब्लॉक के गुलाहनपुरवा में रहने वाले धुम्मन यादव अपनी बेटी का ब्याह बीते महीने की 18 तारीख को कर रहे थे। किसी तरह महिला समाख्या को इस बारे में जानकारी मिली तो वो रोकने पहुंच गए। महिला समाख्या की जिला समन्यवक रजबुल निशा बताती हैं, “जब हम गाँव में पहुंचे तो पांच साल की उस लड़की की हाथों में मेहंदी लगायी जा रही थी।

जब हमने रोकने की कोशिश की तो कोई मानने को ही नहीं तैयार था।” रजबुल आगे कहती हैं, “जब हमने लड़की की मां से बात की तो उसने बताया कि लड़के वालों से बीस हजार रुपए लिए हैं, किसी तरह हमने बच्ची की शादी रोकी।” ये अकेले एक जिले की समस्या नहीं है, श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर जिलों में ज्यादातर लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है।

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इन जिलों में वर्षों से बाल-विवाह करने की प्रथा रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। ऐसे में महिला समाख्या ऐसी लड़कियों के लिए मददगार साबित हो रही है।इसी तरह श्रावस्ती जिला मुख्यालय से 75 किमी. दूर सिरसिया ब्लॉक के सोनबरसा और फुलराहवा गाँव में भी लड़कियों की शादी 11 से 16 वर्ष की उम्र में हो जाती है। पिछले महीने महिला समाख्या ने कई लड़कियों का बाल विवाह रोककर उनकी जिंदगी बचायी।

एक करोड़ से ज्यादा बच्चों का बाल विवाह

कई जिलों के महिला और पुरुष भी इसी सोच के साथ अपनी बेटियों की कम उम्र में शादी कर देते हैं। जनगणना 2011 के आंकड़ों अनुसार, बाल विवाह गैर कानूनी होने के बावजूद भारत में करीब एक करोड़ 20 लाख बच्चों की शादी 10 साल की उम्र में हो चुकी है। बाल विवाह करने वालों में सबसे ज्यादा 84 फीसदी हिंदू हैं और बाकी 11 फीसदी मुस्लिम समुदाय से हैं। बाल संरक्षण के लिए विश्वभर में काम करने वाली संस्था यूनिसेफ के अनुसार दुनिया में बाल विवाह सबसे अधिक 40 फीसदी भारत में होते हैं।

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