गर्भावस्था में जरूरी है थायराइड की जांच

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गर्भावस्था में जरूरी है थायराइड की जांचफोटो साभार: इंटरनेट

लखनऊ। थॉयराइड की समस्या आज के समय में आम हो गई है, खासतौर पर महिलाओं में। हर पांच में से तीन महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ रही हैं और इस बीमारी के होने के बाद प्रेग्नेंसी में कई तरह की दिक्कतें आती हैं। थायरॉइड की समस्या के गंभीर होने पर मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है।

लखनऊ की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अमिता अरोड़ा बताती हैं, “थायरॉयड से निजात पाने के लिए उसका सही इलाज जरूरी है इसलिए गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान हर महीने थायरॉइड की जांच करवानी चाहिए।”

गर्भावस्था के दौरान थायरॉयड के इलाज के लिए दी जाने वाली डोज जरूरत के हिसाब से घटाई या बढ़ाई भी जा सकती हैं, जिससे होने वाले बच्चे को किसी भी नुकसान से बचाया जा सकें।

थायरॉइड की समस्या से मां और बच्चे दोनों को खतरा

  • हाइपोथायरॉइड होने से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती हैं। इतना ही नहीं भ्रूण के गर्भ में ही मृत्यु होने का खतरा भी बढ़ जाता है, ऐसा होने से रोकने के लिए अपने खानपान को संतुलित करें और ज्यादा हो तो आप डॉक्टर की सलाह भी ले सकती हैं।
  • थायरॉइड के कारण बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता है, बच्चा असमान्य भी हो सकता है। बॉडी को एक्टिव बनाएं रखें और डॉक्टर की सलाह पर योग और हल्के वर्कऑउट की आदत डालें।
  • थायरॉइड पीड़ित गर्भवती महिलाओं के बच्चों को यानी नवजात शिशुओं का नियोनेटल हाइपोथायरॉइड की समस्या हो सकती हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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