वीडियो : ग्रामीण महिलाओं के लिए ‘संजीवनी’ बनीं खुद महिलाएं

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   26 May 2017 7:28 PM GMT

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वीडियो : ग्रामीण महिलाओं के लिए ‘संजीवनी’ बनीं खुद महिलाएंजिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा का नया अध्याय शुरू हो चुका है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

सहारनपुर। जातीय हिंसा को लेकर सुर्खियों में चल रहे सहारनपुर में बहुत कुछ अच्छा हो रहा है लेकिन वो लोगों की नजर में नहीं आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा का नया अध्याय शुरू हो चुका है। यहां के चार ब्लॉकों में तुलसी संजीवनी केंद्र चलाए जा रहे हैं, जिसकी मदद से ग्रामीणों का जड़ी-बूटियों द्वारा इलाज किया जाता है।

जिले के नो नागल ब्लॉक में साधारणसिर गांव में तुलसी संजीवनी केंद्र वर्ष 1996 से चल रहा है। केंद्र की प्रभारी मुन्नी (35 वर्ष) गाँव के बाहर जंगलों से जड़ी-बूटियां तोड़कर लाती हैं , जिसकी मदद से वह अपने केंद्र पर लोगों का इलाज करती हैं ।

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मुन्नी बताती हैं, " महिला समाख्या की मदद से कई महिलाओं को चित्रकूट जिले में औषधीय जड़ी-बूटियों से इलाज करने की ट्रेनिंग दी गई । इसके बाद हम गाँव में महिलाओं को होने वाली परेशानियों और छोटे मोटे रोग जैसे काली खांसी , मांसपेशियों में खिंचाव और बुखार-जुखाम जैसी बीमारियों का इलाज करते हैं।"

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तुलसी संजीवनी केंद्र की मदद से सिर्फ जुखाम खांसी ही नहीं बल्कि महिलाओं की समस्याओं और हड्डियों से संबंधित बीमारी का भी सफल इलाज किया जाता है। इस केंद्र की मदद से अब गांव के आसपास के लोगों को सस्ता इलाज मिल ही रहा है, साथ ही दूर अस्पतालों में जाकर इलाज करवाने के लिए जाने की परेशानियों से भी निजात मिली है।

अपनी एक साल की बेटी का इलाज तुलसी संजीवनी केंद्र की मदद से करवा चुकी बबली (24 वर्ष) ने बताया," मेरी बेटी मंजू की दाएं पैर की हड्डी जन्म से ही थोड़ा मुड़ी हुई थी। इसका इलाज करवाने के लिए हम दिल्ली भी गए और काफी पैसा खर्च हुआ, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद तुलसी संजीवनी केंद्र पर बिटिया को दिखाया। यहां एक महीने तक उसके पैर की मालिश अलसी के तेल से की गई, जिससे पैर की हड्डी में काफी सुधार है।"

नागल ब्लाक के ही शीतलाखेड़ा गांव में 33 वर्षीय सुमन को पेट में सूजन की शिकायत थी। कई प्राइवेट अस्पतालों में दिखाने के बावजूद परेशानी ना सही हो पाने पर सुमन ने तुलसी संजीवनी केंद्र की मदद ली ।

सुमन ने बताया, " मुझे मेरी एक सहेली ने बताया कि पास के ही गांव में तुलसी संजीवनी केंद्र खुला है, जहां पर जड़ी-बूटियों द्वारा इलाज किया जाता है।यहां पर मैंने अपनी समस्या बताई अब मुझे ऐसी कोई भी शिकायत नहीं है।"

नागल ब्लाक के साधारण सरगांव में शुरु हुए तुलसी संजीवनी केंद्र की सफलता के कारण जिले के चार ब्लॉकों में नारी संजीवनी केंद्रों की स्थापना की गई है । यहां महिलाओं के जटिल रोग जैसे गठिया, पीलिया, यूटरस का ढीला होना का इलाज आसानी से किया जाता है।

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तुलसी संजीवनी केंद्र के माध्यम से ग्रामीणों को सरलता से इलाज पहुंचाने की मुहिम के बारे में महिला समाख्या सहारनपुर की प्रमुख बबीता वर्मा ने बताया," पहले गांव में रहने वाली महिलाएं अपनी अंदरुनी समस्या बताने से संकोच करती थी, इसलिए हमने गांव में एक ऐसे केंद्र की शुरुआत की, जहां पर महिलाएं बेझिझक होकर अपना इलाज व अपनी समस्या बताती हैं। इन केंद्रों के माध्यम से अभी तक हजार से ज्यादा महिलाओं को लाभ पहुंचाया जा चुका है।"

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