नारी संजीवनी केंद्र की महिलाएं प्राकृतिक तरीकों से कर रहीं इलाज, लोगों को हो रहा फायदा

Neetu SinghNeetu Singh   6 May 2017 11:20 AM GMT

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नारी संजीवनी केंद्र की महिलाएं प्राकृतिक तरीकों से कर रहीं इलाज, लोगों को हो रहा फायदानारी संजीवनी केंद्र की महिलाओं द्वारा संचालित एक व्यवस्था है ।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। नारी संजीवनी केंद्र की महिलाओं द्वारा संचालित एक व्यवस्था है जिसमें महिलाएं जड़ी-बूटियों से कई बीमारियों की दवाएं बनाती हैं। इन जड़ी बूटियों से इलाज करने पर कम पैसे में महिलाएं ठीक हो जाती हैं। इस केंद्र की शुरुआत के बाद जड़ी बूटियों से बनी दवाओं का प्रयोग बढ़ा है ।

जौनपुर जिले के जमुहाई गाँव की शकुंतला देवी (38 वर्ष) का कहना है,“कई सालों से मुझे सफेद पानी (ल्यूकोरिया) की शिकायत है, लम्बे समय से इलाज चल रहा है, अंग्रेजी दवा खा खाकर मुझे परेशानी होने लगी पर आराम नहीं मिला।” वो आगे बताती हैं, “जब जड़ी बूटियों से बनी दवा के बारे में पता चला तो सोचा एक बार इसे भी खाकर देख लें। तीन महीने लगातार दवा खाने से बहुत आराम मिला, एक साल लगकर दवा खायी, सफेद पानी की समस्या जड़ से खत्म हो गयी, बीमारी ठीक होने के बाद हमारा विश्वास बढ़ गया।”

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महिला समाख्या द्वारा उत्तर प्रदेश के 14 ज़िलों में 59 नारी संजीवनी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं जिनमें 690 जड़ी बूटी ज्ञानी महिलायें हैं। इन केंद्रों पर अब तक 13 हजार से ज्यादा मरीज आ चुके हैं जिसमे 10 हजार से ज्यादा ठीक हो चुके हैं । इन केंद्रों पर गैस, मधुमेह, चर्मरोग, ल्यूकोरिया, गठिया वात, बवासीर, पीलिया, दस्त, पायरिया, खाँसी, चोट-मोच, बुखार, अनियमित माहवारी जैसी तमाम बीमारियों की दवा मिलती है ।

जौनपुर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर मछली शहर ब्लॉक के तिलौरा गाँव की रहने वाली राजकुमारी मौर्या (62 वर्ष) ‘हरियाली तुलसी स्वास्थ्य केंद्र’ के नाम से नारी संजीवनी केंद्र संचालित कर रही हैं। राजकुमारी मौर्या बताती हैं, “हमारी जड़ी बूटियों से बहुत पुरानी से पुरानी बीमारियां लोगों की ठीक हुई हैं, जब किसी एक की बीमारी ठीक हो जाती है तो वो दूसरे को बताती हैं, ऐसे हमारे केंद्र का प्रचार-प्रसार होता है और दूर-दूर के लोग दवा लेने आते हैं।” वो आगे बताती हैं, “हमारी दवा लखनऊ महोत्सव में भी बिकने जाती है, 10 साल से जुड़े हैं, कौन दवा कैसे बनानी है मुंहज़बानी याद है। जंगल से जड़ी बूटी और घास ले आते हैं, कुछ चीजें बाजार से भी खरीदतें हैं, ये दवाइयां घर में हम खुद ही बना लेते हैं।”

शिविर लगाकर करती हैं लोगों को जागरूक

राजकुमारी का कहना है, “मौसम के हिसाब से पहले जड़ी बूटी इकट्ठा करते हैं, इसके इन्हें कूटपीस कर दवाई बनाकर इनकी पैकिंग करते हैं,जगह-जगह जड़ी बूटी शिविर लगाते हैं, दवा देने के बाद मरीजों का फॉलोअप जरूर करते हैं। बीमारियों से बचाव और क्या परहेज करना है इसकी भी सलाह देते हैं।” जड़ी बूटी की जानकार महिलाओं का कहना है कि हम परम्परागत ढंग से दवाइयां तैयार करते हैं इसलिए ये दवाइयां नुकसान नहीं करती हैं। राजकुमारी ने ये भी कहा कि अगर कोई मरीज की बीमारी ऐसी है कि वो हमारी जड़ी बूटी से ठीक नहीं हो सकती है तो उसे तुरंत हॉस्पिटल जाने की हम सलाह देते हैं ।

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