स्तन कैंसर: डरने की नहीं समय पर इलाज की जरूरत

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   23 Dec 2017 4:58 PM GMT

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स्तन कैंसर: डरने की नहीं समय पर इलाज की जरूरतमहिलाएं दें खुद इस बात का ध्यान, समय समय पर करती रहीं जांच।

स्तन कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में ये बात आ जाती है कि इसका इलाज नहीं हो सकता या ये पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता लेकिन सही समय पर लक्षण पता चलने व इलाज शुरू होने से इस बीमारी का पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

42 साल की विजया देवी एक गृहिणी हैं और उन्होंने ये साबित कर दिखाया कि ब्रेस्ट कैंसर कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। वो बताती हैं, “मेरी मां को भी कैंसर था इसलिए मैं कैंसर को लेकर हमेशा से जागरूक थी, इसके बारे में पढ़ती भी रहती थी और जब मुझे पहली बार गांठ का अनुभव हुआ। मैंने तुंरत बेहिचक होकर अपने घर में बताया और डाक्टर को दिखाया। जांच के बाद पता चला कि कैंसर की शुरूआत है और इलाज शुरू हो गया। इस तरह मैं जल्द ही इस बीमारी से निकल आई।”

पॉपुलेशन ब्रेस्ट कैंसर रजिस्ट्री (PBCR) के अनुसार, भारत में हर साल में करीब 1.44 लाख ब्रेस्ट कैंसर के नए मरीज सामने आ रहे हैं। गलत जीवनशैली और जागरूकता की कमी के चलते भारत में ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

क्यों होता है स्तन कैंसर

महिलाओं में स्तन कैंसर क्यों होता है। इसके पीछ कई कारण हो सकते हैं। इस बारे में लखनऊ की निजी चिकित्सक महिला रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पा जायसवाल बताती हैं, “जिन महिलाओं में मासिक धर्म जल्दी शुरू होकर देर से खत्म होता है। वे महिलाएं जो देर से मां बनी हों या जिनके बच्चे न हो। उन्हें इसका खतरा ज्यादा होता है।”

वो आगे बताती हैं,“ ज्यादा कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन व गर्भनिरोधक दवाइयों के नियमित सेवन से भी इसकी संभावना बढ़ जाती है। स्तन कैंसर की शुरूआत सिर्फ एक कोशिका से होती है जो काम करना बंद कर देती है और धीरे धीरे कई कोशिकाओं में बंट जाती है। इसके बाद ये ट्यूमर बना देती है और यही आगे चलकर कैंसर बन जाते हैं।”

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इलाज को लेकर महिलाओं में डर

45 साल की आंकाक्षा गृहिणी हैं, जो बस्ती की रहने वाली हैं। आंकाक्षा को ब्रेस्ट कैंसर था। जब ये बात पता चती तो डॉक्टरों ने आॅपरेशन से पूरे स्तन को निकाल दिया।वो बताती हैं, मुझे लगा मैं अब अजीब दिखूंगी लेकिन मेरे पति ने मेरे साथ दिया, मेरे बच्चों के भविष्य व मेरी जिंदगी के आगे ये बदलाव कुछ नहीं था।”

ऐसे कई केस होते हैं जिसमें पूरे स्तन को, छाती और बगल की लसिका-ग्रंथियों (लिम्फ नोड्‌स) और छाती की माँसपेशियों से अलग कर दिया जाता है। हांलांकि इसमें महिलाओं का रूप खराब हो जाता है, इस लिए मरीज ब्रेस्ट कैंसर से ज्यादा इसके इलाज से घबराता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में शर्म व संकोच के कारण बढ़ती है बीमारी

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के इंडोक्राइन सर्ज़री विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आनंद कुमार मिश्रा ने आगे बताया, “गाँवों में तो महिलाओं में जानकरी व जागरूकता की कमी इस बीमारी का कारण बनती हैं। जब बीमारी बढ़ जाती है तभी डाक्टर के यहां पहुंचती हैं। कई बार शर्म के कारण वो डाक्टरों से भी पूरी बात नहीं बता पातीं।” वो आगे बताते हैं, “स्तन कैंसर की 4 अवस्था होती है। स्तन कैंसर अगर पहले स्टेज में है तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80% से ज़्यादा होती है, दूसरे स्टेज में अगर स्तन कैंसर है 60-70% तक महिलाएं ठीक हो जाती हैं, वहीं तीसरे या चौथे स्टेज में स्तन कैंसर है तो इलाज़ मुश्किल हो जाता है।”

डॉक्टर से संपर्क करते रहें।

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“मुझे जब पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है। मैं बहुत घबरा गई थी, तीन रात तक मैं सोई नहीं। मुझे लगता था कि शायद अब मैं मर जाऊं। लेकिन डाक्टर ने मुझे कहा मैं शुरूआती स्टेज में हूं और ठीक हो सकती हूं। आज बीमारी से निकल मुझे दो साल हो गए हैं, मैं अपने खानपान व व्यायाम पर ध्यान रखती हूं।” ये बात दिल्ली की रहने वाली सुष्मिता सिंह (44वर्ष) ने हमें बताई जो एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं।

बच्चों को स्तनपान कराने से भी खतरा कम

"शराब, ध्रूमपान, तंबाकू के साथ-साथ बढ़ता वज़न, ज़्यादा उम्र में गर्भवती होना और बच्चों को स्तनपान ना करवाना स्तन कैंसर के प्रमुख कारण हैं."इसलिए ज़रूरी है कि महिलाएं अपने वज़न को नियंत्रित रखें, गर्भधारण का समय निश्चित करें और कम-से-कम 6 महीने तक बच्चों को स्तनपान ज़रूर कराएं. ऐसा करने से स्तन कैंसर का ख़तरा कम हो जाता है।

महिलाएं खुद करें ऐसे जांच

महिलाएं घर पर चाहें तो हर तीसरे चौथे ये जांच कर सकती हैं। स्तन में गांठ, स्तन के निप्पल के आकर या त्वचा में बदलाव, स्तन का सख़्त होना, स्तन के निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना, स्तन में दर्द, बाहों के नीचे भी गांठ होना स्तन कैंसर के संकेत हैं। ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

अन्य जांचें

  • 40 साल की उम्र में एक बार और फिर हर दो साल में मेमोग्राफी करवानी चाहिए ताकि शुरुआती स्टेज में ही ब्रेस्ट कैंसर का पता लग सके।
  • ब्रेस्ट स्क्रीनिंग के लिए एमआरआई और अल्ट्रासोनोग्राफी भी की जाती है। इनसे पता लगता है कि कैंसर कहीं शरीर के दूसरे हिस्सों में तो नहीं फैल रहा।
  • एफएनएसी से भी जांच की जाती है। इसमें किसी ठोस गांठ की जांच सुई से वहां के सेल्स निकालकर की जाती है। ट्यूमर कैसा है, इसकी जांच के लिए यह टेस्ट किया जाता है।

स्तन कैंसर से बचने के लिए छोड़नी पड़ेगी शर्म

स्तन कैंसर महज भारत की समस्या नहीं बल्कि विश्व की क देशों में इनके मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके लिए जागरुकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। हाॅलीवुड अभिनेत्री एंजेलिना ने सर्जरी कराकर स्तन अलग करा दिया, क्योंकि उनके शरीर में स्तन कैंसर होने का 87 प्रतिशत खतरा पैदा हो गया था। एंजलिना जोली ने अपने एक लेख में लिखा, “मैं खुद को सशक्त महसूस कर रही हूं कि मैंने यह फैसला लिया और इससे मेरे स्त्रीत्व में किसी तरह की कमी नहीं आई है। मुझे उम्मीद है कि जो भी महिलाएं इसे पढ़ेंगी, उन्हें पता चलेगा कि उनके पास क्या विकल्प हैं। मैं हर महिला को प्रोत्साहित करना चाहती हूं, खासकर उन्हें जिनके परिवार में ब्रेस्ट या गर्भाशय कैंसर का इतिहास रहा है।”

भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु भी ब्रेस्ट कैंसर को लेकर लोगों को जागरूक करने के मिशन से जुड़ीं थीं।

फिलिप्स ने एक विज्ञापन जारी कर यह संदेश दिया है कि महिलाओं की सेहत के लिए पुरुष भी जिम्मेदार हैं। एक गूंगे बहरे जोड़े का यह वीडियो इंटरनेट में काफी लोकप्रिय हो गया है।

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