शादी के बाद सरनेम न बदलने को लेकर दबाव क्यों, ये तो हमारा कानूनी अधिकार है

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   8 March 2018 4:37 PM GMT

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शादी के बाद सरनेम न बदलने को लेकर दबाव क्यों, ये तो हमारा कानूनी अधिकार हैनाम न बदलने का भी अधिकार।

शादी के बाद एक महिला अपना सरनेम बदलती है या नहीं ये उसकी खुद की मर्जी है, इसमें उसपर कोई दबाव नहीं डाला जा सकता। ये उनका कानूनी अधिकार भी है लेकिन फिर भी महिलाएं चाहकर भी इसका खुलकर विरोध नहीं कर पा रही हैं।

स्नेहा मिश्रा की तीन साल पहले शादी हुई थी, वो पेशे से एक डॉक्टर हैं। स्नेहा ने अपना सरनेम नहीं बदला न ही, फेसबुक पर और न ही कहीं हस्ताक्षर में। इस बात पर उनके ससुराल वालों को हमेशा आपत्ति रहती है। स्नेहा बताती हैं, “कभी भी जब सब परिवार के लोग साथ होते थे तो जानकर इसी मुद्दे पर बात करते थे। पति से ज्यादा परिवार के अन्य सदस्यों को इस बात से ज्यादा तकलीफ थी कि अभी भी मैं मिश्रा क्यों लिखती हूं, मुझे अब तिवारी लिखना चाहिए।”

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान ये ऐलान किया था कि महिलाएं अब अपनी शादी से पहले वाले नाम के साथ भी विदेश यात्रा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि अब महिलाओं को पासपोर्ट के लिए अपनी शादी या तलाक के दस्तावेज दिखाने की कोई जरूरत नहीं है। महिलाएं इस बात को लेकर पूरी तरह से स्वतंत्र होंगी कि वे अपनी माता-पिता के नाम का इस्तेमाल करें। गौरतलब है कि अभी देश में पासपोर्ट को लेकर जो नियम हैं, उसमें महिलाओं को शादी के बाद नाम बदलवाने पड़ते हैं और इसके लिए उन्हें दफ्तरों के चक्कर भी काटने पड़ते हैं।

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ज्यादातर महिलाएं नहीं बदलना चाहतीं अपना नाम

शादी डॉट कॉम' की तरफ से किए गए सर्वे में अविवाहित महिलाओं से जब उनके विचार मांगे गए तो 40.4 फीसदी ने कहा कि शादी के बाद वे अपना उपनाम नहीं बदलना चाहतीं। अन्य 27 फीसदी ने बताया कि शादी के बाद वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहना चाहेंगी जबकि 18 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वह चाहती हैं कि पुरूष भी परिवार की जिम्मेदारी में बराबर की भागीदारी निभाएं।

वहीं एक अंग्रेजी जर्नल में छपे लेख ने इस व्यवहार को इवोल्यूशनरी थियरी का नाम दिया। इस स्टडी से पता चला है कि जो महिलाएं शादी के बाद भी पहले का सरनेम इस्तेमाल करती हैं पुरुष उनके प्रति नकारात्मक भावना रखते हैं। शोध में ये भी सामने आया कि जो महिलाएं पति का नाम लगाती हैं वो उनके प्रति अपनी वफादारी दिखाती हैं।

नाम न बदलने का कानूनी अधिकार भी मिला है

लखनऊ के हाईकोर्ट के एडवोकेट डॉ केके शुक्ला बताते हैं, “शादी के बाद नाम में एकाएक बदलाव होने से परेशानियां खड़ी होती हैं जैसे शादी से पहले सारे शैक्षिक दस्तावेज, पहचान प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, राशनकार्ड पर नाम सब पिता के उपनाम से होते हैं, लेकिन शादी के बाद या तो इन में बदलाव कराया जाता है।” वो आगे बताते हैं कि इसके लिए उन्हें शादी का रजिस्ट्रेशन कराकर एक एफीडेविट जमा करना होता है , जिसके बाद ही सरनेम बदलता है।

लखनऊ की रहने वाली सुनीता तिवारी पेशे से लेक्चरर हैं। वो बताती हैं, “मुझे नहीं लगता कि शादी के बाद एक महिला को अपना नाम बदलना चाहिए। नाम इंसान की पहचान होती है और मुझे नहीं लगता शादी के बाद पहचान बदलनी चाहिए। हालांकि हमारा समाज अभी इस बदलाव के लिए तैयार नहीं है। लेकिन अगर हम विरोध नहीं करेगें तो भी बदलाव कैसे आएगा।”

सरनेम को लेकर क्यों है विवाद।

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परेशानी से बचने के लिए लोग देवी या कुमारी लगाते थे

शादी के बाद पढ़ा लिखी में लड़की का नाम बदलने में परेशानी होगी इससे बचने के लिए पहले लोग अपने बेटिशें के नाम के आगे या पीछे सरनेम न लगाकर देवी या कुमारी लगाते थे। गोण्डा जिले के कुंदरखा गाँव के रहने वाले अशोक मिश्रा (55 वर्ष) बताते हैं, हमारे यहां तो यही मान्यता है कि लड़की जिस घर जाती हैं वहीं की हो जाती है, इसलिए हमारे नाम से क्या है, जो पति का नाम है वही उसकी पहचान है। इसलिए देवी व कुमारी लिखा जाता था कि बाद में कोई दिक्कत न हो, नाम बलने को लेकर।

पूरा नाम बदलने की थी प्रथा

लड़कियों का सरनेम बदलने को लेकर बहस हमेशा से जारी है। इसके पीछे अलग-अलग कारण हैं। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया लॉ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री डॉ संजय सिंह बताते हैं, विवाह का शुरू से संबंध पारिवारिक संपत्ति और सामाजिक दायित्व से रहा है। कबीलाई संस्कृति में भी अगर लड़की दूसरे कबीले के लड़के से शादी करती थी तो उस कबीले की परंपरा के अनुसार उसका नाम बदल दिया जाता था। इसलिए भी कि उसे नए कबीले में एक पहचान मिल सके और संपत्ति की हिस्सेदार बन सके। महाराष्ट्र और कर्नाटक में कई स्थानों पर शादी के बाद पत्नी का सरनेम ही नहीं, नाम भी बदल दिया जाता था। लेकिन अब इस प्रथा में कमी आई है। शिक्षित युवतियां नहीं चाहतीं कि उनका पहला नाम या वो पहचान जिससे पूरी दुनिया उन्हें जानती है, बदल जाए।’

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