समूह की मदद से इस महिला को दोबारा मिली रहने के लिए छत

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   14 July 2017 5:30 PM GMT

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समूह की मदद से  इस महिला को दोबारा मिली रहने के लिए छतसमूह की महिलाएं शकुल की मदद के लिए सामान इकट्ठा करते हुए। 

लखनऊ। शकुन शास्त्री के घर में जब आग लगी तो सबकुछ जलकर राख हो गया। परिवार के पास न छत बची और न संपत्ति। ऐसे में मदद के लिए कोई रिश्तेदार भी काम नहीं आ रहे थे तब उनका सहारा बनी समूह की महिलाएं।

शकुल शास्त्री इलाहाबाद जिले के दुधरा ग्राम पंचायत के कोरांव गाँव की रहने वाली हैं, शकुल पंचायत में बने आठ स्वयं सहायता समूह की समूह सखी थीं। जब समूह की मासिक बैठक में सदस्यों को ये बात पता चली तो सहयोग करने की बात की। वहां पर उपस्थित 16 ग्राम संगठनों के अध्यक्ष व सचिव ने भी शकुल की मदद करने की ठानी।

प्रत्येक ग्राम संगठनों से 1000 रुपए और जुड़े सदस्यों से अनाज इकट्ठा किया गया। सभी संगठनों को मिलाकर कुल 15,500 रुपए और लगभग 25 कुंतल अनाज, कपड़े व अन्य सामग्रियां इकट्ठा हुईं।

गाँव कनेक्शन

शकुन बताती हैं, “जब मेरा घर जला तो मेरे पास कुछ नहीं बचा था न कोई मदद के लिए आगे आ रहा था ऐसे में समूह की महिलाएं हमारे यहां आई उन्होंने हमें हौसला दिया कि वो हमारे साथ हैं। संगठन और समूह में कितनी ताकत है ये पता चल गया।”

सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन उद्देश्य भी गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को स्वयं सहायता समूहों के लिए प्रोत्साहित करना था। 2011-12 के मुताबिक भारत में लगभग 61 लाख सहायता समूह है, जिनमें ज्यादातर महिलाओं के हैं।

कोरांव ब्लॉक में आज राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 850 स्वयं सहायता समूह, 60 ग्राम पंचायतों में काम कर रही है। कोरांव में बची सभी पंचायतों को भी इस योजना से जोड़ दिया जाएगा।

नाबार्ड के जनसंपर्क अधिकारी नबीन रॉय बताते हैं, ''महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड का सबसे बड़ा प्रयास स्वयं सहायता समूह रहा है। इससे महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ उन्हें बचत की भावना के लिए प्रेरित किया जाता है। इन पैसों से वो अपना छोटा मोटा व्यवसाय शुरू का सकती हैं।”

क्या है स्वयं सहायता समूह

स्वयं सहायता समूह ग्रामीण गरीबों का समूह है जो अपनी इच्छा अनुसार संगठित होकर सदस्यों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना चाहते हैं। सदस्यगण छोटी रकम जमा करने को तैयार होते हैं जो बाद में संसाधन कोष में बदल जाता है। इसका उद्देश्य सबसे निचले स्तर के लोगों को संगठित कर गरीबी को मिटाना है। यह योजना विश्वास करता है कि गरीबों के बीच में खुद की सहायता करने की संभवना है।

     

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