TripleTalaq : हलाला, तीन तलाक का शर्मसार करने वाला पहलू, जिससे महिलाएं ख़ौफ खाती थीं

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TripleTalaq : हलाला, तीन तलाक का  शर्मसार करने वाला पहलू, जिससे महिलाएं ख़ौफ खाती थींहलाला के नाम पर महिलाओं का शारीरिक शोषण, 

तीन तलाक बिल एक बार फिर लोकसभा में पास हो हो गया है। ये दूसरी बार है जब संसद के निचले सदन में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने वाला बिल पास हुआ है। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी ट्रिपल तलाक बिल लोकसभा में पास हुआ था।

पिछले कुछ वर्षों से भारत में तीन तलाक का मुद्दा गर्माया हुआ है। बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए इसे खत्म करने के पक्ष में है जबकि कई दल इसके कई पहलुओं पर सवाल उठाते रहे हैं। सरकार में शामिल कई दल भी बिल को लेकर उहापोह जताते रहे हैं। राजनीतिक चर्चा के बीच महिलाएं लगातार इसका स्वागत करती रही हैं। मुस्लिम महिलाएं यह भी कह रही हैं कि हलाला जैसी कुप्रथा के पीछे महिलाओं का शारीरिक शोषण किया जाता है। धर्म के कुछ ठेकेदार मजहब के नाम पर गलत करते हैं।

मुस्लिम महिलाओं के हित में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन की अध्यक्षा ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "सहारनपुर जिले में महिलाओं का हलाला करवाने के लिए मदरसों में लड़कों को रखा जाता है। यही नहीं, उम्र और सुन्दरता के अनुसार वो महिलाओं के हलाला का पैसा लेते हैं।"

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वही आगे बताती हैं, "जहां मुस्लिम समुदाय की संख्या ज्यादा होती है, ऐसी जगहों पर यह लोग अपने दफ्तर बना लेते है। फोन और फैक्स के जरिए तलाक देने की प्रक्रिया अपनाते हैं। कई बार मेल या फोन पर तलाक की जानकारी महिलाओं को नहीं मिल पाती, फिर भी ये ठेकेदार तलाक मानकर हलाला तय कर देते हैं और खुद हलाला के लिए तैयार भी हो जाते है।"

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ऑल इंण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर कहती हैं, "हलाला जैसी कुप्रथाएं इतनी जल्दी खत्म नहीं होंगी, हलाला के नाम पर जाने कितनी महिलाओं की ज़िंदगी बर्बाद हो गई। हलाला कराने में अगर कोई महिला गर्भवती हो गई तो वह किसकी संतान होगी? कौन जिम्मेदार होगा? हलाला करने वाले आदमी ने तलाक नहीं दिया तो क्या करेगी महिलाएं? कुरान में कहा गया है कि हलाला की नीयत से किया गया निकाह हराम है।"

हलाला जैसी कुप्रथाएं इतनी जल्दी खत्म नहीं होंगी, हलाला के नाम पर जाने कितनी महिलाओं की ज़िंदगी बर्बाद हो गई। हलाला कराने में अगर कोई महिला गर्भवती हो गई तो वह किसकी संतान होगी? हलाला करने वाले आदमी ने तलाक नहीं दिया तो क्या करेगी महिलाएं? कुरान में कहा गया है कि हलाला की नीयत से किया गया निकाह हराम है।"
शाइस्ता अम्बर, अध्यक्ष, ऑल इंण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड

वहीं, मुरादाबाद की रहने वाली शैला (35 वर्ष) बताती है, "मेरी दो बेटियां हैं। एक दिन रात में शौहर आए और रात में गुस्से में तलाक दे दिया और घर से निकाल दिया। साथ ही मेरे मां बाप को फोन करके बोल दिया कि तुम्हारी बेटी को तलाक दे दिया है, इसे ले जाओ।" आगे बताती हैं, "जब घर के बड़ों ने बात की तो वो मान गए। मु्फ्ती से मेरे हलाला की बात करके आ गए और कहने लगे हलाला करवाओ तब निकाह करूंगा। मैंने हलाला के लिए मना कर दिया तो मुझे छोड़ दिया। मैंने मना इसलिए किया क्योंकि जरूरी नहीं था कि मुफ्ती तलाक दे या न दे।"

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मेरा जबरदस्ती मेरे देवर से कराया गया हलाला- पीड़ित

"मेरी सात महीने की बेटी थी। मेरी ननद की शादी नहीं हो रही थी। मेरी ननद से मिलने के बहाने से मेरे घर महिला मित्र आती थीं। तभी मेरे शौहर का संबंध उनमें से एक से हो गया और उन्होंने मुझे तलाक दे दिया। इसके बाद मेरे पति मुझसे बोलने लगे कि मेरे भाई से हलाला करवाओ। मैंने मना किया लेकिन जबरदस्ती मेरे देवर से मेरा हलाला करवा दिया," आगे कहती हैं, "उस दिन से आज तक मैंने उस घर में जाने की इच्छा नहीं हुई। मुस्लिम समाज में औरतों को सामान की तरह प्रयोग किया जाता है।"

मेरी 7 महीने की बेटी थी। मेरे शौहर का संबंध एक महिला से हो गया। और उन्होंने मुझे तलाक दे दिया। इसके बाद मेरे पति मुझसे बोलने लगे कि मेरे भाई से हलाला करवाओ। मैंने मना किया लेकिन जबरदस्ती मेरे देवर से मेरा हलाला करवा दिया। अब मेरी उस घर में जाने की इच्छा नहीं होती।
हलाला पीड़ित एक महिला

तीन तलाक और हलाला: धर्म के नाम पर हो रहा है 'धंधा'

शिया गुरु मौलाना अली सज्जाद नकवी नकसार बताते हैं, "धर्म के नाम पर अब बिजनेस हो रहा है। हलाला को लेकर इतना बड़ा जुर्म हो रहा है। हलाला कराने के बाद निकाह खुशी से हो और अपनी मर्जी से तलाक दे, ये कायदे हैं। उसके बाद एक मासिक धर्म हो जाने के बाद ही दूसरा निकाह हो सकता है। अब तो मुफ्ती, मौलाना ही हलाला करने के लिए तैयार हो जाते हैं। ये काम चोरी चुपके करते हैं लेकिन शिया लोगों में ऐसा नहीं होता है।" मुरादाबाद के वर्शीनगर कालोनी में रहने वाली एक तीस वर्षीय महिला का जबरदस्ती हलाला करवा दिया गया। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया।

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पीसीएस अधिकारी रहे और पूर्व विशेष सचिव गृह मोहम्मद इदरीस अम्बर बहराइची बताते हैं, "मेरे गाँव में मेरा एक दोस्त है जिसकी बीवी बहुत सुन्दर है। कई लोगों ने उसकी बीवी की तारीफ कर दी तो गुस्से में आकर तलाक दे दिया। उसके बाद अफसोस करने लगे। लेकिन तलाक दे चुके थे। बीवी सुन्दर थी इसलिए हलाला करवाने में डर था कि कही दूसरे आदमी ने निकाह के बाद तलाक न दिया तो क्या करेंगे। इसलिए उसने हलाल के लिए अपने बहनोई को तैयार किया। लेकिन उसकी बीवी ने हम बिस्तर होने से मना कर दिया।"

लखनऊ के चौक में रहने वाली फिरदोस (27 वर्ष) बताती हैं, "बीवी से मन भर गया या कोई दूसरी औरत पसन्द आ जाए तो पहली बीवी को तलाक दे दो। जब पहली औरत की कमी महसूस होने लगे तो हलाला करवा दो और निकाह कर लो। औरतें मजबूरी में या अपने बच्चों के कारण हलाला करवाने के लिए तैयार हो जाती हैं। मौलाना औरतों की नहीं सुनते किसी ने नहीं पूछा कि तुम क्या चाहती हो?

बिजनौर की रहने वाली 40 वर्ष की एक महिला ने बताया, "मेरे पति ने शराब की हालात मुझे तलाक दे दिया और उसी रात वो मेरे साथ सोये, सुबह मुझे मायके छोड़ आए और बोले, तेरा मेरा कोई रिश्ता नहीं, न जिस्मानी, न जुबानी। मैंने अपने सासुराल और मायके में सब कुछ साफ-साफ बता दिया तो बोले ये तलाक नहीं माना जाएगा। क्योंकि दुबारा सोये थे। लेकिन काज़ी ने इसे तलाक मान लिया। मेरे पति बोले एक शर्त पर साथ रखेंगे जब ये हलाला करवा ले। हमने अपने बच्चों के खातिर हलाला करवा लिया, मगर मैं अपने को कभी माफ नहीं कर पाई। औरत की इज्ज़त के साथ खिलवाड़ करना है। यह वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देना है।"

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क्या है हलाला

मुस्लिम समुदाय में तलाक देने के बाद अगर पति फिर उसी महिला से निकाह करना चाहे, या फिर महिला उसी शौहर से निकाह करना चाहती है तो उसे किसी दूसरे व्यक्ति के साथ निकाह करके शारीरिक संबंध बनाना होगा। उसके बाद वह व्यक्ति तलाक देगा, उसके बाद ही महिला अपने पूर्व शौहर से निकाह कर सकती है। ज्यादातर मामलों में व्यक्ति गुस्से में तलाक देता है लेकिन गुस्सा शांत होने पर उसे गलती का अहसास होता है, ऐसे में इस शर्मनाक पहलू से गुजरना होता है। ज्यादातर महिलाओं का आरोप है, हलाला के बाद घर में लोगों ने नजरे नहीं मिला पातीं। (ये खबर मूल रूप से दिसंबर 2017 में गांव कनेक्शन वेबसाइट पर प्रकाशित हुई थी)

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नोट- ये ख़बर मूलरुप से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दौरान प्रकाशित की गई थी।

      

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