क्या महिलाओं की इस परेशानी के बारे में जानते हैं आप ?

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   29 Jan 2018 5:14 PM GMT

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क्या महिलाओं की इस परेशानी के बारे में  जानते हैं आप ?महिलाओं में मेनोपाॅज क्या है जानिए यहां।

अक्सर महिलाओं में 40 साल के बाद चिड़चिड़ापन व तनाव बढ़ जाता है, इसका एक कारण मेनोपाज भी है, जिसको महिलाएं नज़रअंदाज कर देती हैं लेकिन इसके कारण कई बार वो डिप्रेशन तक में पहुंच जाती हैं। मेनोपॉज यानि एक समय के बाद मासिक धर्म का रुक जाना अपने साथ कई बार छोटी मोटी समस्याएं भी लेकर आता है, जिसके लिए सही जानकारी व लक्षणों की पहचान जरूरी है।

लगभग 12 साल से महिलाओं में मासिक चक्र की शुरुआत हो जाती है जो लगभग 50 वर्ष तक चलती है। लेकिन 50 तक पहुंचते पहुंचते यह चक्र बंद होने लगता है और महिलाओं की इसी स्थिति को मेनोपाज़ या रजोनिवृति कहा जाता है। इस समय महिलाओं के हार्मोन्स में कई बदलाव भी होते हैं, जिससे कई बार उनके स्वभाव तक बदल जाता है। ऐसे समय में परिवार के बाकी लोगों की समझ में भी नहीं आता कि ये बदलाव क्यों आ रहा है।

अगर आप 40 वें साल में है तो इस बदलाव के लिए खुद को पहले से ही तैयार कर लें। इस समय महिलाएं कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती है, ये उन्हें चिड़चिड़ा बना देती है, उनका स्वभाव भी तेज़ी से बदलता है। कभी उन्हें बहुत भूख लगने लगती है, कभी कूल्हों की मांसपेशियों में दर्द, मूत्र निकासी के भाग में दर्द, तनाव, असुरक्षा की भावना, डर, स्तनों में सूजन, स्तनों की त्वचा पर झुर्रियां, थकान, वज़न बढ़ना, चिड़चिड़ापन, अचानक तेज व टीस वाला दर्द आदि इसके आम लक्षण हैं जो ज्यादातर महिलाओं में दिखते हैं।

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मेनोपाज तीन चरणों में होता है। इसके बारे में महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अंजू अग्रवाल बता रही हैं।

प्रीमेनोपॉज

मेनोपाज के एक, दो साल पहले अंडाशय में एस्ट्रोजन बनना कम होने लगता है, इस अवस्था में महिलाओं के गर्भधारण करने की सम्भावना न के बराबर हो जाती है। लगभग सभी महिलाओं में यह अवस्था एक जैसी होती है।

मेनोपॉज

यह माहवारी को पूरी तरह बंद करने की अवस्था होती है, इस अवस्था में अंडाशय से अंडों का उत्सर्जन पूरी तरह से बंद हो जाता है, एस्ट्रोजन का निर्माण रुक जाता है। महिला के गर्भधारण करने के क्षमता बिल्कुल समाप्त हो जाती है।

पोस्ट मेनोपॉज

इस अवस्था में महिलाएं तनाव व डिप्रेशन में रहने लगती हैं। यह मेनोपॉज के बाद के कुछ वर्षों तक होता है। ऐसा हार्मोन्स में बदलाव के कारण भी होता है। इसके साथ ही महिला को ये लगने लगता है कि अब वो युवा नहीं है, बूढ़ी हो रही है, कम खूबसूरत दिखेगी। लेकिन धीरे धीरे ये सामान्य हो जाता है।

मेनोपॉज में होने वाली समस्याओं को योग से काफी हद तक दूर किया जा सकता है। लगभग हर महिला में इसके कुछ लक्षण समान होते हैं जैसे नींद में कमी, दर्द, चिड़चिड़ापन आदि। इसके लिए नियमित योग करें। योग से आप तनाव, दर्द, अनिद्रा जैसी समस्याओं से बच सकती हैं।

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अक्सर महिलाओं को लगने लगता है कि रजोनिवृत्ति के बाद उनका बुढ़ापा आने लगता है, वो कम खूबसूरत लगने लगती हैं लेकिन ऐसा नहीं है। ये गलत सोच है जिनसे महिलाओं को बाहर निकलने की जरूरत है। इसलिए सकारात्मक चीजें सोचें, बदलाव को स्वीकार करें और उसके साथ खुद को ढालें।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने इस बारे में कहा, 'पेरीमेनोपॉज के लक्षण हर किसी में अलग होते हैं, जिनमें अनियिमित अत्यधिक रक्तस्राव, अनिद्रा, रात को पसीना आना, खराब पीएमएस, माइग्रेन, वेजीनल ड्राइनेस और पेट का मोटापा बढ़ना आदि समस्याएं होती हैं। इसके अलावा महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य में भी बदलाव आते हैं।”

मेनोपॉज़ के बाद इन बातों पर करें अमल

  • चाय, कॉफी और मसालेदार आहार का सेवन कम करें, इससे मेनोपोज़ की समस्या बढ़ जाती है।
  • व्यायाम ज़रूर करें इससे आस्टिओपरोसिस की समस्या से कुछ हद तक बचा जा सकता है। दूध और दूध से बनी चीजें खाएं।
  • संतुलित और पौष्टिक आहार को खानपान में शामिल करें।
  • अगर शारीरिक और मानसिक समस्या हद से ज़्यादा बढ़ जाए तो तुरन्त चिकित्सक से सलाह लें।

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