ये अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली विश्व की पहली महिला राधिका

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ये अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली विश्व की पहली महिला राधिकाgaonconnection

लखनऊ। भारत की मरचैंट नेवी की एक कैप्टन राधिका मेनन समुद्र में दिखाए गए अपने साहस के लिए समूचे विश्व की पहली अंतरराष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वाली महिला बनने जा रही हैं। 

राधिका को यह पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) द्वारा  बंगाल की खाड़ी के उफनते समुद्र में फंसे सात मछुआरों की जान बचाने के लिए दिया जाएगा। 21 नवंबर को आईएमओ के लंदन में स्थित मुख्यालय में होने वाले समारोह में राधिका को सम्मानित किया जाएगा। 

आंध्र प्रदेश के इन सात मछुआरों की नाव 'दुर्गम्मा' जून के दूसरे पखवाड़े में समुद्र के बीच खराब हो गई। उसका इंजन फेल होने के साथ ही नाव को स्थिर रखने वाला एंकर भी टूट गया। समुद्र की भयंकर लहरों से इन मछुआरों की नाव आंध्र प्रदेश से ओडिशा तक बहती चली गई। लहरें खाने-पीने का सब कुछ बहा ले गईं तो इन मछुआरों के पास कोल्ड स्टोरेज की बर्फ खाकर जिंदा रहने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। मछुआरों ने विशाल व उग्र समुद्र के बीच किसी भी तरह के बचाव अभियान की आशा छोड़ दी थी। 

उसी दौरान 'सम्पूर्ण स्वराज्य' के नाम का तेल टैंकर लेकर यात्रा कर रहीं कैप्टन राधिका मेनन के क्रू सदस्य ने ढाई किलोमीटर दूर से ही इन मछुआरों की नाव को देख लिया। समुद्र की लहरें उग्र थीं, और हवाओं की रफ्तार बहुत तेज़। ऐसे में कैप्टन राधिका के सामने अपने जहाज की सुरक्षा का प्रश्न भी था। लेकिन राधिका ने खुद को कमज़ोर नहीं पड़ने दिया और उन्होंने अपने पानी के जहाज के सदस्यों को बचाव अभियान शुरू करने का आदेश दे दिया। 

भारतीय जहाजरानी मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार "बाइस जून को भारी बारिश, 25 फुट ऊंची लहरों और 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली लहरों के बीच सम्पूर्ण स्वराज्य के सेकेण्ड ऑफिसर ने ओडिशा के पास मछुआरों की नाव को देखा। इसके बाद कैप्टन मेनन ने तुरंत ही बचाव अभियान शुरू करने का निर्णय लिया। इस अभियान में उन्होंने पाइलय सीढ़ी और वैकल्पिक लाइफ जैकेट के सहारे उन्होंने अभियान को अंजाम दिया।"

अभियान आसान नहीं था। भयंकर बारिश और तेज़ हवाओं के बीच दो बार प्रयास के बाद भी बचाव में कैप्टन की टीम चूक रही थी पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कैप्टन की अगुवाई में टीम ने तीसरी बार में मछुआरों को बचा लिया। इन सात मछुअरों की उम्र 15 से लेकर 50 साल तक है। इस बचाव अभियान की सफलता के बारे में जब तक कॉल गया तब तक गाँव में मछुआरों के परिवार वालों ने ये मान लिया था कि मछुआरे अब वापस नहीं आएंगे और उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो चुकी थीं।

समुद्र में अपनी जान की चिंता किए बिना अप्रतिम साहस दिखाने वाले विश्व भर के नाविकों के लिए आईएमओ द्वारा 2007 में अवॉर्ड शुरू किए गए थे।केरला की निवासी राधिका कुछ साल पहले मरचेंट नेवी के तहत किसी शिप की प्रमुख के तौर पर पहली महिला कैप्टन बनी थीं।

 

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