नए फरमान से उड़े ग्राम प्रधानों के होश, शासन रखेगा खर्चों पर नज़र

करन पाल सिंहकरन पाल सिंह   26 April 2016 5:30 AM GMT

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नए फरमान से उड़े ग्राम प्रधानों के होश, शासन रखेगा खर्चों पर नज़र

प्रतापगढ़। लोग गाँवों में प्रधान की कुर्सी को किस्मत चमकाने वाली मानते हैं क्योंकि प्रधान गाँव के विकास के लिए आने वाले धन को अपना धन मानते हैं, जिससे गाँव का विकास नहीं हो पाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। शासन की अब प्रधानों की शान-शौकत पर सीधी नजर रहेगी। वa पैसे का बंदरबांट नहीं कर सकेंगे। यही नहीं वह विकास के पैसे से लग्जरी वाहन भी नहीं खरीद सकेंगे, क्योंकि शासन से आए आदेश के बाद प्रधानों को विकास के लिए खर्च किए गए एक-एक पैसे का हिसाब देना होगा, यही नहीं ग्राम सभाओं के विकास के लिए आए हुए पैसे को विकास के लिए खर्च करने में पंचायत अधिकारी से लेकर डीएम तक का चक्कर लगाना पड़ेगा। 

गाँव के विकास के लिए प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र सरकार भी धन मुहैया कराती है। इसके लिए हर ग्राम पंचायतों में दो खाते प्रधान व पंचायत मंत्री के संयुक्त हस्ताक्षर से बैंक में खोले जाते हैं। इसमें से राज वित्त आयोग, जिसमें राज्य सरकार द्वारा पैसा आता है और दूसरा चौदहवां वित्त आयोग, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा विकास के लिए पैसा भेजा जाता है। ग्राम प्रधान पंचायत मंत्री से मिलकर फर्जी एस्टीमेट बनाकर पैसे का बंदरबांट किया जाता रहा है। यही नहीं विकास के नाम पर मोटी रकम निकालकर ग्राम प्रधान लग्जरी वाहन भी खरीद लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। 

ऐसे में अब विकास के लिए गाँवों में आने वाले पैसे का बंदरबांट ग्राम प्रधान व पंचायत मंत्री नही कर सकेंगे। शासन के इस आदेश के बाद प्रधानों में हड़कंप मचा हुआ है। डीपीआरओ कुंवर सिंह यादव का कहना है कि नए शासनादेश से प्रधानों को अवगत कराया जा रहा है।  यही नहीं प्रधान विकास के पैसे से लग्जरी वाहन भी नहीं खरीद सकेंगे, क्योंकि शासन से आए आदेश के बाद प्रधानों को विकास के लिए खर्च किए गए एक-एक पैसे का हिसाब देना होगा, यही नहीं ग्राम सभाओं के विकास के लिए आए हुए पैसे को विकास के लिए खर्च करने में पंचायत अधिकारी से लेकर डीएम तक का चक्कर लगाना पड़ेगा। गाँव के विकास के लिए प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र सरकार भी धन मुहैया कराती है। इसके लिए हर ग्राम पंचायतों में दो खाते प्रधान व पंचायत मंत्री के संयुक्त हस्ताक्षर से बैंक में खोले जाते हैं। इसमें से राज वित्त आयोग, जिसमें राज्य सरकार द्वारा पैसा आता है और दूसरा चौदहवां वित्त आयोग, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा विकास के लिए पैसा भेजा जाता है। 

नए शासनादेश में ये है खास

1- ग्राम पंचायतें गाँव के विकास के लिए स्वत: संज्ञान में लेते हुए 50 हजार रुपये से एक रुपया ज्यादा खर्च नहीं कर सकतीं। 

2-यदि उससे ज्यादा का विकास कार्य है। जैसे 50 हजार से लेकर दो लाख 50 हजार तक तो एडीओ पंचायत से उसका एस्टीमेट पास कराना जरूरी। 

3-इसके बाद ढाई लाख से लेकर पांच लाख तक के विकास कार्यों में डीपीआरओ के पास जाकर उक्त धनराशि पास कराना होगा। 

4-अगर पांच लाख से अधिक का विकास कार्य है तो उसके लिए स्टीमेट तैयार कर धनराशि को अवमुक्त कराने के लिए जिलाधिकारी का आदेश लेना अनिवार्य।

 

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