निजी स्कूलों में कब होगा गरीब बच्चों का प्रवेश ?

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निजी स्कूलों में कब होगा गरीब बच्चों का प्रवेश ?gaonconnection

लखनऊ/ललितपुर।शिक्षा का अधिकार अधिनिमय के तहत माध्यमिक विद्यालयों में गरीब बच्चों के कम दाखिले पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र भेजकर कड़े निर्देश दिए हैं।

शिक्षा का अधिकार अधिनिमय (आरटीई) के तहत सभी प्राइवेट स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को फ्री में प्रवेश दिलाना होता है। इन छात्रों की फीस का भुगतान राज्य सरकार करती है। इसके बावजूद भी लापरवाही के कारण गरीब बच्चों का अच्छे स्कूलों में दाखिला नहीं हो पाता। इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमर नाथ वर्मा ने पत्र में बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग ने 3200 बच्चों का दाखिला कराया है, जबकि माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित विद्यालयों में प्रवेश की प्रगति काफी कम है।

ललितपुर के महरौनी मण्डी रोड पर रहने वाली बेनी बाई (41 वर्ष) बताती हैं, “छह लोगों का परिवार है। मेरे पति बलबोदा विकलांग हैं, तीन एकड़ जमीन है। पानी न होने के कारण फसल नहीं बो पाई ,खाने-पीने के लाले हैं, ऊपर से दो बच्चो की पढाई का खर्चा।” उन्होंने बताया कि मेरा लड़का जितेन्द्र ( कक्षा-2) व दीक्षा (कक्षा-4) में पढ़ती है। सपना था कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दूं, लेकिन सूखा के कारण अन्न का एक दाना भी नहीं हुआ। 

जैसे-तैसे बच्चों की पिछली बार 4300 रुपए फीस किसी तरह से अदा की, लेकिन अभी भी दो हजार देने हैं। दीक्षा बताती हैं, “आचार्य जी फीस मांगते हैं और क्लास में खड़ा भी कर देते हैं, बहुत बुरा लगता है क्योंकि पापा गरीब हैं और मम्मी मजदूरी करती है, इसलिए फीस नहीं भर पाते।” यही हाल मुख्यालय से 65 किमी दूर महरौनी ब्लॉक के भौटा गाँव के भैया लाल का है। वह बच्चों परवेश (कक्षा 3) व नीलेश (कक्षा 1) को सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ा रहे हैं। भैयालाल बताते हैं, “दो वक्त की रोटी बचा पाना मुश्किल है, स्कूल में प्रवेश कैसे होगा। सुना था अच्छे स्कूल में फ्री में प्रवेश होगा लेकिन अधिकारियों के चक्कर काट-काट कर थक चुका हूं।”

निदेशक अमरनाथ वर्मा ने यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आईएससी बोर्ड के विद्यालयों में कक्षा एक अथवा उससे पूर्व प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने के निर्देश दिए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने वर्ष 2015 में 679 गरीब बच्चों का निजी स्कूल में दाखिला कराया था। अमरनाथ वर्मा ने बताया, “सभी डीआईओएस को पत्र भेजकर अधिक से अधिक बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं। 18 या 19 अप्रैल तक सभी जि़लों से प्रवेश लेने वाले बच्चों की संख्या मिल जाएगी।

बच्चो को रोचक ढंग से पढ़ाने की तैयारी 

लखनऊ। सरकारी स्कूलों में बच्चों का रुझान पढ़ाई की ओर बढ़े, इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग नए प्रयोग करता रहता है। इसी क्रम में सूक्ष्म नवाचार (माइक्रो इनोवेशन) के माध्यम से प्रदेश के छह जि़लों में बच्चों को पढ़ाये जाने की तैयारी है।

बेसिक शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को रोचक ढंग से बच्चों को पढ़ाने की योजना बनाई है। एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) ने एनजीओ एसटीआईआर (स्कूल टीचर इनोवेशन एंड रिसर्च) के माध्यम इस कार्यक्रम को शुरू किया है। प्रदेश के छह जिलों लखनऊ, उन्नाव, कानपुर, रायबरेली, बनारस, जौनपुर और फैजाबाद में सभी ब्लॉकों पर दो दिन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। 

लखनऊ जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर स्थित मॉडल स्कूल सोहरामऊ में माइक्रो इनोवेशन कार्यक्रम का मंगलवार को आयोजन किया गया। शिक्षा प्रमुख नामित की गईं शिक्षिका स्नेहिल पांडेय ने 18 स्कूलों से आए शिक्षक-शिक्षिकाओं का बच्चों को पढ़ाने के रोचक ढंग बताए। स्नेहिल ने कहा कि शिक्षकों को बताया गया कि बच्चों को आडियो विजुयल और प्ले-ड्रामा के माध्यम से पढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा स्कूलों में बच्चों को कार्ड बनवाकर, पढ़ाई में कमजोर बच्चों का ग्रुप बनाकर उन पर विशेष ध्यान देने और बच्चों को प्रेरणादायक कविता-कहानी सुनाई जाएं, ताकि उन्हें ज्ञान के साथ-साथ अच्छा माहौल मिल सके।

रिर्पोटर - अंकित मिश्रा/सुखवेंद्र सिंह परिहार

 

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