नलकूप की तरह इस्तेमाल हो रहे सरकारी हैंडपंप

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नलकूप की तरह इस्तेमाल हो रहे सरकारी हैंडपंपgaonconnection

लखनऊ। ग्रामीणों की पेयजल आपूर्ति के लिए सार्वजनिक तौर पर लगाए इंडिया मार्का हैंडपंपों का जबरदस्त तरीके से दुरुपयोग किया जा रहा है। हैंडपंपों में अलग से बड़ा पंप लगा कर इनका उपयोग नलकूप की तरह किया जा रहा है। हैडपंप को बड़े पाइप से जोड़ कर रसूखदार इनसे अपने खेतों में सिंचाई कर रहे हैं जबकि ग्रामीण इनका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे लोग अपने रसूख का इस्तेमाल कर के हैंडपंपों को अपने ही घरों या खेतों के आसपास ही लगवा लेते हैं जिससे उनको दुरुपयोग में आसानी हो।

प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लगभग डेढ़ लाख इंडिया मार्का हैंडपंप जल निगम ने लगवाए हैं।विभिन्न गाँवों में इनकी संस्तुति आमतौर से विधायक, सांसद और ग्राम प्रधान ही करते हैं। हालांकि अब नजर आने लगा है कि इन हैंडपंपों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। लखनऊ में जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर डूढ़ीखेड़ा गाँव में ये नजारा देखा जा सकता है, यहां के कई हैंडपंपों का इसी तरह से व्यक्तिगत इस्तेमाल लोग कर रहे हैं।

गाँव के शिक्षक रत्नेश कुमार (35 वर्ष) का कहना है, “हम लोगों को जब पानी की आवश्यकता पड़ती है तब हम इन हैंडपंपों का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। थाने से लेकर प्रधान तक शिकायत की जाती है मगर कोई सुनवाई नहीं होती है।” राजधानी से ही करीब 35 किलोमीटर दूर माल ब्लॉक के रानीपारा गाँव में भी इसी तरह का नजारा देखने को मिल सकता है।

यहां भी हैंडपंप का इस्तेमाल ट्यूबवेल की तरह हो रहा है। यहां के निवासी जगदीश कुमार सिंह (55 वर्ष) बताते हैं कि यहां पर कई वर्षों पूर्व हैंडपंप लगा था लेकिन अब इसका यहां के ही एक दबंग परिवार प्रयोग कर रहे हैं। सिंचाई के लिए सबमर्सिबल लगाकर दिया गया है इसमें और अब इससे सिंचाई की जा रही है।

प्रदेश में 48000 नए हैंडपंप लगेंगे

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पेयजल की समस्या के त्वरित निराकरण के लिए हाल ही में घोषणा की थी। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 47,900 नए इंडिया मार्क-2 हैंडपंप स्थापित किये जाएंगे पहले से स्थापित इंडिया मार्क-2 हैंडपंपों को चालू हालत में लाने के लिए हैंडपंपों की री-बोरिंग के आदेश भी दिए हैं। ये सभी 95 हजार 800 नए एवं रीबोर हैंडपंप विधान सभा और विधान परिषद के सदस्यों की संस्तुति पर उनके ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए प्रत्येक सदस्य को 100 नए इंडिया मार्क-2 हैंडपंप स्थापित करने के लिए संस्तुति करने का अधिकार दिया गया है, जबकि इतने ही हैंडपंपों के रीबोरिग के लिए भी प्रत्येक सदस्य संस्तुति कर सकते हैं।

दो लाख हैंडपंप, एक चौथाई खराब

ग्रामीण क्षेत्र में हैंडपंपों की स्थापना और उनके रखरखाव की जिम्मेदारी जल निगम पर है। निगम से मिले आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में हैंडपंपों की संख्या लगभग दो लाख है। इनमें से 50 हजार के लगभग खराब हो चुके हैं। एक लाख रीबोर के योग्य हैं। मात्र 50 हजार ही शत प्रतिशत चालू हालात में हैं। इसमें हैंडपंपों पर भी अवैध कब्जा होने की वजह से आम ग्रामीण इस सुविधा से वंचित है।

रिपोर्टर- ऋषि मिश्र

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

 

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