यूपी की जेलों में बंद पाकिस्तानी जाधव जैसे बदकिस्मत नहीं

Rishi MishraRishi Mishra   19 May 2017 6:59 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
यूपी की जेलों में बंद पाकिस्तानी जाधव जैसे बदकिस्मत नहींपाकिस्तान में की जेल में बंद कुलभूषण जाधव।

लखनऊ। ये दो देशों के बीच का अंतर है। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कायदे कानूनों को ताक पर रख कर कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुना दी। मगर भारतीय जेलों में बंद पाकिस्तानियों को न्याय प्रक्रिया से जुड़ी हर मदद की जा रही है।

सालों से उत्तर प्रदेश की जेलों में आतंकवाद और जासूसी के आरोप में 24 आरोपियों में से अधिकांश को पाकिस्तान अपना नागरिक तक नहीं मानता है। मगर उप्र के सरकारी वकील ही इनकी अदालत में पैरोकारी कर रहे हैं। भारत की ओर से इन कैदियों की जानकारी गिरफ्तारी के तत्काल बाद इनके उच्चायोग को दी गई थी। पाकिस्तान ने इन पाकिस्तानियों के लिए कभी किसी स्तर पर मुलाकात या राजनयिक मदद की गुहार नहीं लगाई। यह बात दीगर है कि जब-जब पाकिस्तान से भारत के रिश्ते अधिक खराब होते हैं, इन कैदियों की सुरक्षा बढ़ी दी जाती है। जबकि कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ठीक इसका उल्टा किया है। न तो समय पर गिरफ्तारी की जानकारी भारत को दी गई थी। न ही अब किसी भारतीय राजनयिक को जाधव से मिलने दिया जा रहा है।

ये भी पढ़ें- आईसीजे ने अंतिम फैसले तक कुलभूषण की फांसी पर लगाई रोक

देशों के बीच नागरिकों की गिरफ्तारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुछ कड़े नियम वियना समझौते के दौरान बनाए थे। इस समझौते के तहत एक देश का नागरिक दूसरे देश में अगर गिरफ्तार किया जाता है तो उसको लेकर कई नियमों का पालन किया जाता है। इन नियमों के तहत यूपी में भी पुलिस ने पाकिस्तानी नागरिकों को उनके उच्चायोग तक सूचनाएं पहुंचाई हैं।

वियना
में हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समझौते के मुख्य बिंदु

आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधों को लेकर सबसे पहले 1961 में वियना कन्वेंशन हुआ था। जिसके तहत एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय संधि का प्रावधान किया गया जिसमें राजनियकों को विशेष अधिकार दिए गए। इसके आधार पर ही राजनियकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का प्रावधान किया गया। इस संधि के तहत मेजबान देश अपने यहां रहने वाले दूसरे देशों के राजनियकों को खास दर्जा देता है. इस संधि का ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था और 1964 में यह संधि लागू हुई थी।

फरवरी 2017 में इस संधि पर कुल 191 देशों दस्तखत कर चुके थे। इस संधि के तहत कुल 54 आर्टिकल हैं। इस संधि के प्रमुख प्रावधानों के तहत कोई भी देश दूसरे देश के राजनियकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है। यही नहीं जो सामान्य नागरिक किसी अन्य देश में गिरफ्तार किये जा सकते हैं, उसको लेकर भी कड़े प्राविधान किये गये हैं।

जब कोई विदेशी नागरिक किसी मामले में गिरफ्तार किया जाएगा तो मेजबान देश की जिम्मेदारी होगी कि वह तत्काल इसकी जानकारी विदेशी नागरिक के उच्चायोग तक भेजे। जिसमें उसका नाम, पता उसकी गिरफ्तारी का कारण और अन्य सूचनाएं दिये जाना जरूरी होता है। मगर कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने उसकी गिरफ्तारी के दिन बाद भारतीय उच्चायोग को सूचना दी थी। मगर भारत ने ऐसा कभी भी नहीं किया।

आतंक और जासूसी के केसों में 24 पाकिस्तानी यूपी की जेलों में

पुलिस विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यूपी की जेलों में 24 पाकिस्तानी कैदी बंद हैं। इनमें से दो कानपुर, चार लखनऊ और बाकी सीतापुर, बरेली व फतेहगढ़ जेलों में कैद हैं। इन सभी आरोपियों पर भारत आतंकी गतिविधियों को फैलाने और जासूसी कर के सैन्य, सामरिक और धार्मिक महत्व के स्थलों की जानकारी दुश्मनों तक पहुंचाने का आरोप है। इनकी देखभाल अलग तरीकों से की जाती है। इन आरोपियों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से वकील नियुक्त हैं, जो इनका केस लड़ते हैं। बार एसोसिएशनों के भारी विरोध के बावजूद इन आरोपियों को वकील उपलब्ध करवाए जाते हैं। स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) के माध्यम से इनकी जानकारियों को पाकिस्तानी उच्चायोग तक भी पहुंचाया जा चुका है।

ये भी पढ़ें- कुलभूषण जाधव को बचाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा भारत : सुषमा स्वराज

"पाकिस्तानी या किसी भी विदेशी नागरिक को जब भी गिरफ्तार किया जाता है, संबंधित एजेंसी और थाने के जरिए इसकी सूचना एलआईयू को दी जाती है। एलआईयू ये जानकारी उस विदेशी नागरिक के देश से जुड़े उच्चायोग को फैक्स के माध्यम से उसी दिन देता है। इन नागरिकों को केस लड़ने के लिए हरसंभव कानूनी मदद दी जाती है।"
एके सिंह, एएसपी, स्थानीय अभिसूचना इकाई

उत्तर प्रदेश में पाकिस्तानी कैदियों को मिलती है पूरी सुरक्षा

पाकिस्तान की जेल में करीब दो साल पहले जब सरबजीत की हत्या कर दी गई थी उसके बाद जम्मू की कोट भलवाल जेल में बंद एक पाकिस्तानी कैदी पर जेल में बंद दूसरे कैदियों ने हमला करके गंभीर रूप से घायल कर दिया था। कुछ दिनों बाद उस कैदी की मौत हो गई थी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश की सभी जेलों को जारी सर्कुलर में तत्कालीन डीजीपी (जेल) आरपी सिंह ने जेल अधीक्षकों से जेलों में बंद पाकिस्तानी नागरिकों को 24 घंटे सुरक्षा मुहैया कराने को कहा था। इस सर्कुलर में जेल अधिकारियों से यह भी कहा गया था कि पाकिस्तानी कैदियों को दूसरे कैदियों से अलग और जेल के हाई सिक्यूरिटी हिस्से में रखा जाए।

             

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.