पांच महीने बीत गए, नहीं मिली ड्रेस

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
पांच महीने बीत गए, नहीं मिली ड्रेस

सत्र शुरू होने के बाद भी फटे-पुराने कपड़ों में स्कूल आना मजबूरी

गोंडा। नया सत्र लागू होने के बाद जहां बच्चों को नई ड्रेस और किताबों के साथ पढऩे आना था, फिर भी बच्चे पुरानी ड्रेस में स्कूल आने को मजबूर हैं क्योंकि अभी तक उन्हें नई ड्रेस नहीं मिली है।

गोंडा जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर वीरपुर प्राथमिक विद्यालय में 138 बच्चे हैं लेकिन स्कूल खुलने के एक महीने बाद भी बच्चे पुराने, फटे और घर के कपड़े में पढऩे आ रहे हैं। कक्षा तीन में पढऩे वाला अंकित कुमार (09) बताता है, ''हम लोगों को अभी तक नई ड्रेस नहीं मिली है। हमारी पुरानी ड्रेस तो एकदम से फट गई है, एक थोड़ी ठीक है तो वही रोज पहन लेेतेे हैं। हमारे कई दोस्त तो घर के कपड़ों में ही पढऩे आते हैं।"

ड्रेस वितरण के लिए प्रति छात्र चार सौ रुपए का बजट निर्धारित है, जो सर्वशिक्षा अभियान के तहत बच्चों की संख्या के अनुसार हेडमास्टर के खाते में आता है। इसके बाद छात्रों की संख्या के अनुसार शिक्षकों के खाते पैसा ट्रांसफर किया जाता है। इसमें छात्र को दो सेट ड्रेस प्रदान किया जाता है। इसके लिए 75 प्रतिशत धनराशि अग्रिम तथा शेष 25 प्रतिशत धनराशि का ड्रेस वितरण के बाद दी जाती है।

वीरपुर प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक नितिन कुमार बताते हैं, ''ड्रेस का पैसा अभी तक खाते में नहीं आया है इसलिए ड्रेस नहीं बंट पा रही। ड्रेस का बजट आ तो गया है, लेकिन अभी अध्यापकों तक पैसा नहीं पहुंचा है। सुनने में आ रहा है कि पैसा आने में 20 से 25 दिन और लगेगा। उसके बाद ही ड्रेस बंट पाएगी।"

नियम के अनुसार ड्रेस बच्चों की नाप लेकर सिली जाएगी। लखनऊ के सर्वशिक्षा अभियान के परियोजना समन्वयक और वरिष्ठ विशेषज्ञ आशुतोष गौड़ बताते हैं, ''ड्रेस देने का प्रावधान यही है कि बच्चों की नाप लेकर ही सिली जाए।" भले ही सरकार नाप की ड्रेस बांटने का दावा करती हो लेकिन अभिवावकों कि ये शिकायत रहती है कि बच्चों की ड्रेस बिना नाप के रहती हैं।

वीरपुर गाँव के रहने वाले नरेन्द्र यादव (34) के दो बच्चे प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हैं। नरेन्द्र बताते है, ''हर साल झोले जैसी ड्रेस पकड़ा देते हैं। कपड़ा भी बिल्कुल बेकार, 400 रुपए में ठीक ठाक कपड़ा आ जाए लेकिन न जाने क्या करते हैं स्कूल वाले। खाना और कपड़ा सब बिल्कुल बेकार। मजबूरी है तो यहां पढ़ा रहे हैं।"

30 तक हो जाएगा वितरण

ड्रेस वितरण में देरी के बारे में पूछने पर गोण्डा जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी फतेह बहादुर सिंह बताते हैं, ''ड्रेस का बजट अभी जल्दी ही आया है और धीरे-धीरे अध्यापकों के खाते में सूची के हिसाब से जा रहा है। बजट आने में इस बार देरी हुई है लेकिन 30 अगस्त तक ड्रेस वितरण पूरा हो जाएगा।"

एक नज़र में यूपी के स्कूल

देश में शैक्षिक गणना करने वाली संस्था राष्ट्रीय शैक्षिक प्रंबधन सूचना प्रणाली (डीआईएसई) की रिपोर्ट 2013-14 के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों की संख्या 1 लाख 53 हजार 220 है और माध्यमिक स्कूलों की संख्या 31 हजार 624 है।

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.