पानी किफ़ायत से खर्च कर जलसंचय की क्षमता बढ़ाएं

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पानी किफ़ायत से खर्च कर जलसंचय की क्षमता बढ़ाएंgaonconnection, water, editorial

महाराष्ट्र में एक हैलीपैड पर लाखों लीटर पानी का छिड़काव इसलिए किया गया कि जब वहां मंत्री जी का हेलिकाप्टर उतरेगा तो धूल ना उड़े। ऐसा ही काम राजस्थान में भी हुआ जहां हमेशा ही पानी का संकट रहता है। इस तरह की हरकत कम से कम उन 12  प्रान्तों में न करें जहां सूखे का संकट भीषण है। ऐसे स्थानों पर आईपीएल मैचों का आयोजन अदालतों के आदेश के बाद रोक दिया गया है लेकिन पानी के पाइप न फटें और पानी सड़कों पर न भरे इसकी व्यवस्था भी करनी होगी।

प्रकृति ने जितना पानी बचा रखा है उसे किफ़ायत से खर्च करते हुए हम दो महीने का समय काट सकते हैं। स्वाभाविक है चाहे टैंकर, ट्रेन या ट्राली से पानी ढोना पड़े, लोगों की जान तो बचानी ही होगी लेकिन शहरों में कितने ही लोग गमलों और बागवानी में पानी खर्च कम बर्बाद ज्यादा करते हैं, यह बन्द होना चाहिए। लॉन की हरियाली और गमलों के फूलों से कहीं अधिक कीमती है लोगों की जिन्दगी। भूजल का स्तर अधिक न गिरने पाए इसकी चिन्ता होनी चाहिए।

मध्यपूर्व के मुस्लिम देशों में जहां पानी की कमी है वे किस प्रकार किफायत से पानी खर्च करते हैं उनसे हमें सीखना चाहिए। बड़े होटलों और बंगलों में स्विमिंग पूल और बाथटब बनाकर पानी बरबाद करने की झूठी शान बन्द होनी चाहिए। दफ्तरों और घरों में भी एसी और कूलर घटाए जाने चाहिए। गाँवों में खेतों में जलभराव सिंचाई न करके उसमें किफ़ायत होनी चाहिए। जानवरों को नहलाने के बजाय उन पर पानी का छिड़काव करना चाहिए। पानी पिलाने में किफायत नहीं। जिन किसानों के पास ड्रिप सिंचाई, फव्वारा सिंचाई अथवा पालीहाउस और ग्रीनहाउस जैसी सुविधाएं हैं उनका प्रयोग करके कम पानी की खपत वाली फसलें उगाएं। जिनके पास ये साधन नहीं हैं वे नाली बनाकर थोड़ा-थोड़ा अनेक बार में सिंचाई में पानी खर्च करें। अन्न के बिना गांधी जी 21 दिन तक रहे थे और दूसरे लोग और अधिक रहे हैं लेकिन पानी के बगैर रहना कठिन होगा। हवा के बाद हमारे अस्तित्व के लिए पानी की प्राथमिकता है।

इस साल के बाद अगले साल समस्या और बढ़ेगी क्योंकि संचित जलसंग्रह कम हो जाएगा। आवश्यक है भविष्य के लिए जलसंग्रह क्षमता को बढ़ाया जाए। मानव अस्तित्व बचाने का सवाल है विशेषकर दक्षिण के पठारी भागों में जहां जमीन के अन्दर पानी का भंडार बहुत कम है। ऐसे स्थानों पर जेलों में बन्द कैदियों को युद्धस्तर पर तालाब खोदने के काम में लगा दिया जाय। रूस में साइबेरिया क्षेत्र आबाद करने और वहां रेलवे लाइन बिछाने में कैदियों को लगाया गया था। साइबेरिया आबाद हो गया। यूगोस्लाविया में लैंड आर्मी बनाकर मार्शल टीटो ने विकास के दसों काम कराए थे। उन प्रयोगों से सीखना चाहिए। यदि डर हो कैदी भाग जाएंगे तो आसाम के कैदियों को गुजरात और महाराष्ट्र में और यूपी के कैदियों को तमिलनाडु में तालाब खोदने के लिए लगाया जाए और उनके रहने खाने तथा फावड़ा डलिया की व्यवस्था छोटे-छोटे बैचेज़ में ग्राम प्रधान और पुलिस करे तो बहुत काम हो सकता है। कैदियों में जो यौन उत्पीड़न के अपराधी हों उनसे भरपूर काम लिया जाना चाहिए क्योंकि उनके पास अतिरिक्त ऊर्जा है जिसका सदुपयोग हो सकता है। समाज में अच्छा सन्देश भी जाएगा। दो महीने बाद जब पानी बरसेगा तब यदि तालाब खोदना आरम्भ करेंगे तो देर हो जाएगी। अब तालाब खोदने का काम आरम्भ होना चाहिए।

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