पानी की कमी से धीमी पड़ी रबी की बुवाई

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पानी की कमी से धीमी पड़ी रबी की बुवाई

रायबरेली। मानसून की देरी ने जहां इस बार खरीफ  की फसलों की पैदावार पर असर डाला वहीं अब सूखे से रबी फसलों की बुवाई धीमी हो रही है।

जिले में रबी बुआई का लक्ष्य तय कर लिया गया है पर किसानों ने अभी तक बुवाई शुरू नहीं की है।

रायबरेली जिला मुख्यालय से 12 किमी पूर्व दिशा में अमांवा ब्लॉक के मधुपुरवा गाँव के हुकुम सिंह (36 वर्ष) के पास 10 बीघा खेत है। किसान हुकुम सिंह बताते हैं, ''खेत में अभी धान ही खड़ा है, गेहूं कैसे बो दे। हफ्ते भर बाद धान कटेगा। 15-20 दिन बाद गेहूं बोएंगे।"

जिला कृषि विभाग रायबरेली के अनुसार इस बार जिले में एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी बुआई का लक्ष्य रखा गया है। जिसमे अभी तक सिर्फ  12 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की जा सकी है। इस बार बारिश ना होने की वजह से किसानो को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा। ऐसे में किसानो को कुछ उम्मीद नहरों व सरकारी नलकूपों से थी पर इन सुविधाओं ने भी उनका साथ नहीं दिया।

''बुवाई देर से होगी तो गेहूं भी छोटा रहेगा। गांव में कोई सरकारी ट्यूबवेल भी नहीं है, जिससे खेत की छपाई में भी दिक्कत होगी। छपाई के बाद ही गेहूं बोया जा सकेगा। इसके लिए पानी की ज़रूरत पड़ेगी।" हुकुम सिंह आगे बताते हैं।

क्षेत्र के किसान इस समय अलसी, गेहूं, चना, मटर, सरसों और मसूर जैसी रबी फसलों की तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में पानी न मिल पाने के कारण किसानो को रबी बुआई में परेशानी हो रही है।

जिले के सतांव ब्लॉक के किलौली गाँव में किसान गोमती प्रसाद (59 वर्ष) ने दो दिन पहले ही खेत की जुताई की है। अपने खेत को दिखाते हुए गोमती बताते हैं, ''धान की फसल से कुछ नहीं मिला है। फसल पीली पड़ गई थी जिसे हटाकर खेत जोता है, एक हफ्ते बाद गेहूं बोया जाएगा।"

जिले में लगभग तीन लाख से ज़्यादा किसान हैं। ऐसे में अगर वक्त रहते नहरों में पानी न छोड़ा गया तो रबी फसलों की भी हालत खरीफ जैसी हो सकती है।

रबी बुआई के बारे में बताते हुए जिला कृषि अधिकारी सतीश पांडे बताते हैं, ''किसानो ने रबी बुवाई शुरू कर दी है। बारिश न होने के कारण पूरे जिले में रबी बुवाई अभी शुरुआती स्तर पर एक जैसी ही है।" ''सूखे की वजह से किसानो को जो मुश्किल हुई है उसे कम करने के लिए हमने जिलास्तर पर कार्ययोजना तैयार कर ली है। इसके अंतर्गत किसानो को सरकारी नलकूपों और नहरों से छपाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे ज़्यादा से ज़्यादा किसान बुआई कर सकेंगे।" सतीश पांडे आगे बताते हैं।

 

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