प्रधान और सचिव ने सीखा भवन निर्माण का आधुनिक तरीका

गाँव कनेक्शन और एमपी बिरला सीमेंट ने उत्तर प्रदेश से एक साझा मुहिम शुरू की है। इसके तहत गाँव और ब्लॉक स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में ग्राम प्रधानों और ग्रामीणों को भवन निर्माण के संबंध में बेसिक जानकारी दी जा रही हैं

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प्रधान और सचिव ने सीखा भवन निर्माण का आधुनिक तरीका

गोरखपुर। गांवों में होने वाले निर्माण कार्यों में तेजी लाने, पक्के निर्माण और मजबूती के साथ निर्माण कार्य में सही तकनीक के इस्तेमाल के लिए प्रधानों औ सचिवों को प्रशिक्षित किया गया। कार्यशाला का आयोजन गाँव कनेक्शन और एमपी बिरला सीमेंट के सहयोग से किया गया था। गोरखपुर के ब्लॉक बांसगांव में आयोजित कार्यक्रम में एमपी बिरला सीमेंट की तकनीक टीम ने प्रधान और अधिकारियों को शौचालय और पक्की गलियां बनाने के आधुनिक गुर भी बताए।

एमपी बिरला के तकनीकी ऑफिसर सत्य प्रकाश पटेल ने प्रधानों और सचिव को बताया, " घर बनाते समय हमें साफ पानी क इस्तमाल करना चाहिए, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में भवनों के निर्माण के लिए लोग तालाब या पोखरों के पानी क इस्तमाल करते हैं। लेकिन हमें वाही पानी इस्तमाल करना चाहिए जिसका उपयोग हम पानी पीने में करते है। इसका सीधा संबंध मकनों की मजबूती से होता है। साफ पानी में मिटटी नहीं होती है, जिससे भवन काफी मजबूत बनता है।"

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कार्यक्रम में मौजूद बीडीओ खंड विकास अधिकारी अनिल कुमार चौधरी ने गाँव कनेक्शन और एमपी बिरला सीमेंट को धन्यवाद देते हुए यह कहा, " गाँव कनेक्शन और एमपी बिरला सीमेंट का यह साझा प्रयास काफी सराहनीय है। इस कार्यक्रम में बहुत ही अच्छी जानकारियां मिलीं। हम लोग गांव में शौचालय, नाली, आवास जैसे काम कराते हैं। निर्माण कार्य के समय होने वाली छोटी छोटी कमियों के विषय की जानकारी जो मिली है उससे भविष्य में होने वाला निर्माण कार्य प्रयोग किया जाएगा। "

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बिरला के सेल्स मैनेजर कृष्ण पाल सिंह ने बताया, " देखने में आता है कि ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले निर्माण में राजमिस्त्री की भूमिका काफी अहम होती है। मकान बनाते समय ज्यादातर लोग राजमिस्त्री से सलाह लेते हैं। घर का नक्शा कैसा होगा? नींव बनेगी या पिलर पर मकान बनना है, दीवार में कौन सी सीमेंट और ईंट लगेगी और छत में कौन सी ईंट और सीमेंट लगेगी, मकान की तराई कितने दिन में करनी हैं? यह सब निर्णय राजमिस्त्री की सलाह से ही लिए जाते हैं। लेकिन राजमिस्त्री को कुछ पता नहीं होता है। एक लेबर कुछ साल काम करने के बाद खुद को मिस्त्री कहने लगता है। उसे न तो मकान संबंधी निर्माण की जानकारी होती है और न ही सीमेंट और सरिया की।"

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