पौधों से तैयार होंगी एंटीबायोटिक

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पौधों से तैयार होंगी एंटीबायोटिकgaonconnection

लखनऊ। सर्दी-जुकाम, बुखार संक्रमण से जुड़ी किसी भी बीमारी में इस्तेमाल होने वाले एंटीबायोटिक के बारे में अभी तक यही माना जाता रहा है कि ये बैक्टीरिया से बनाए जाते हैं। अब एक रिसर्च में सामने आया है कि पेड़-पौधों से भी एंटीबायोटिक तैयार किया जा सकता है।

एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी विभाग का प्रोफेसर डॉ. प्रीति माथुर ने अपने शोध में बताया कि एंटीबायोटिक के लिए जरूरी कंपाउड्स पेड़-पौधों से भी तैयार किए जा सकते हैं। हर्बल एंटीबायोटिक फॉर्मुलेशन को पेटंट करवाने के लिए प्रीति ने इसे भारत सरकार के पेटेंट ऑफिस में जमा भी कर दिया है।

प्रीति ने बताया कि वह साल 2011 से इन विषय में रिसर्च कर रही हैं। इसमें उनके साथ ‘आइसोलेशन एंड कैरेक्टराइजेशन ऑफ एंटीबैक्टीरियल कंपाउड्स फ्रॉम वाइल्डली ग्रोइंग प्लांट्स’ विषय की पीएचडी छात्रा चांदनी टंडन जुड़ी हुई हैं। इसी के साथ आरएमएल के डॉ. मनोदीप सेन और सीडीआरआई के डॉ. संजीव कनौजिया भी सहयोग कर रहे हैं।

प्रीति बताती हैं, “ये पौधे भी खासकर ऐसे पौधे हैं, जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं जैसे-भांग और धतूरा। अभी तक आयुर्वेद में ही पेड़-पौधों का इस्तेमाल होता था लेकिन अब ये एंटीबायोटिक्स के लिए भी औषधि का काम करेंगे।” डॉ. प्रीति माथुर के मुताबिक इन दिनों एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया के द्वारा होने वाले संक्रमणों के इलाज के लिए मुख्य दवा के रूप में इस्तेमाल किये जाते हैं।

इस समय जो बाजार में एंटीबायोटिक्स मौजूद हैं उनका असर कम होता जा रहा है। अब डॉक्टर भी तीन दिन की दवाई के बजाए पांच दिन की दवाई मरीज को देते हैं। ऐसे में एंटीबायोटिक बनाने के दूसरे तरीके भी होने चाहिए। डॉ. प्रीति माथुर का मानना है कि प्राण घातक बीमारियां जैसे एड्स और कैंसर का इलाज प्रकृति में ही है। वह कहती हैं कि प्राकृतिक तत्वों द्वारा बनाये गये दवाओं के साइड इफेक्ट भी बहुत कम होते हैं इसलिए सिंथैटिक एंटीबायोटिक्स की तुलना में पौधों द्वारा प्राप्त की जाने वाली एंटीबायोटिक अधिक प्रभावकारी साबित होगी।

रिपोर्टर - शेफाली श्रीवास्तव

 

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