उत्तर भारत में मौसम से हुई तबाही की 20 तस्वीरें, देखिए कैसे बर्बाद हुईं फसलें

Arvind ShuklaArvind Shukla   16 March 2020 11:25 AM GMT

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उत्तर भारत में मौसम से हुई तबाही की 20 तस्वीरें, देखिए कैसे बर्बाद हुईं फसलें

किसानों के लिए मार्च का महीना तबाही लाने जैसा है। बेमौसम की भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के चलते गेहूं, आलू, प्याज, चना, सरसों समेत रबी की सीजन की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। तो आकाशीय बिजली गिरने से अकेले यूपी में पिछले 24 घंटे में 28 लोगों की मौत हुई है।

उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत राज्यों में मौसम के बदलाव ने किसानों की कमर तोड़ दी है। इस सीजन में पहली भारी बारिश 29 फरवरी को हुई, उसके बाद 3, 4 और 5 मार्च से लेकर 14 मार्च तक पिछले 15 दिनों में 3 बार अलग-अलग वक्त और अंतराल में हुई बारिश खड़ी फसलें बर्बाद कर दी हैं। यूपी समेत कई राज्यों में की फसल को भी नुकसान पहुंचा है।

किसानों के खेतों में हुई इस तबाही का असर आने वाले दिनों में बाजार और आपकी किचन के बजट पर भी नजर आएगा। फसलों का नुकसान होने से कई खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं। तस्वीरों में देखिए कैसे बर्बाद हुई हैं

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मौसम में आए बदलाव के चलते न सिर्फ किसानों का आर्थिक नुकसान हुआ बल्कि कई राज्यों में लोगों की जान भी चली गई। अकेले उत्तर प्रदेश में १३ और १४ मार्च को आकाशीय बिजली गिरने से २८ किसानों की २४ घंटे के अंदर मौत हो गई।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के गोंदलामऊ ब्लॉक में ओलावृष्टि के बाद का नजारा। फोटो साभार- किसान

वीडियो में देखिए, यूपी, हरियामा, पंजाब, राजस्थान समेत उत्तर भारत में बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं से कैसे बर्बाद हुईं फसलें..

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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में १३ मार्च हो हुई भारी ओलावृष्टि से बर्बाद हुई गोभी की फसल।


भारी बारिश के चलते सबसे ज्यादा नुकसान मार्च महीने में रबी की फसल को हुआ है। क्योंकि अगले कुछ दिनों में फसल पकने वाली थी। फोटो- अरविंद शुक्ला


बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में भारी बारिश और ओलावृष्टि से दलहनी और तिलहनी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। चने और गेहूं का खेत दिखाता बुजुर्ग किसान। फोटो- अरविंद सिंह परमार




वेस्टर्न डिस्टर्वेंस यानी पश्चिमी विक्षोभ के चलते मौसम में आए परिवर्तन से तेज हवाएं चलने से यूपी समेत कई राज्यों में हजारों पेड़ उखड़ गए। फोटो मिथिलेश दुबे,


उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में पिछले १५ दिनों में बारिश और ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ है। सोनभद्र में ५ मार्च को हुई बारिश से ही भारी नुकसान हुआ था, यहां १३ मार्च को आकाशीय बिजली गिरने से एक किसान की मौत हो गई। सोनभद्र में बारिश का दौर १४ मार्च को भी जारी रहा। फोटो- भीम कुमार


यूपी के बाराबंकी जिले में पांच मार्च हुई बारिश और ओलावृष्टि से आलू की फसल को भारी नुकसान पहुंचा। ये आलू की खुदाई का समय था और लगातार बारिश से कई जगह किसान खेतों से आलू खोद नहीं पाए और सैकड़ों एकड़ फसल अब खेतों में ही सड़ सकती है। फोटो- वीरेंद्र सिंह/ दीपक सिंह


ओलावृष्टि के चलते कई राज्यों में गेहूं की बालियां कुछ ऐसे टूट गई हैं। गेहूं में ये दाने बनने का समय है, ऐसे में पौधे टूटने, उनके गिरने, जलभराव के चलते गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। खेत में दिख रहे किसान का नाम गुड्डू है, इनके पास ८ बीघे गेहूं का था, जिसमें अब नाम मात्र के पौधे बचे हैं। १३ मार्च की बारिश और ओलावृष्टि ने यहां तबाही मचाई। गुड्डू उसी सीतापुर जिले के हैं जहां आकाशीय बिजली गिरने से ५ लोगों की मौत हुई। फोटो- अरविंद शुक्ला


हरियाणा में बारिश और ओलावृष्टि का सिलसिला ४ मार्च को शुरु हुआ था, पिछले १० दिनों में यहां पर गेहूं और सरसों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।


रबी की सीजन की फसलें चौपट होने के बाद किसानों के कहा- उनके पास अगली फसल के इंतजार के अलावा कोई विकल्प नहीं। कई राज्यों में किसानों ने नहीं कराया था फसल बीमा।


उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में फसल नुकसान का जायजा लेते जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह।


बेमौसम की बारिश ओलावृष्टि से फल और सब्जियों की खेती को भारी नुकसान पहुंचा है। टमाटर, गोभी, मिर्च, प्याज, लहसुन, भिंडी, लौकी, तरोई के साथ तरबूज और खरबूजे की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। फोटो- यूपी के सीतापुर में जिले में टमाटर की फसल की।



तस्वीर में दिख रही महिला किसान का नाम गिरजा देवी है, वो बुंदेलखंड में चित्रकूट के रामपुर बेलारी गांव की रहने वाली हैं। अपने खेतों में इतने बड़े-बड़े ओलों से फसल बर्बाद देख उनके आंसू छलक आए। फोटो साभार- मो. शहनवाज


देश में अलग-अलग राज्यों के किसानों ने गांव कनेक्शन को अपने भेजे गए मैसेज और कमेंट में बताया कि कई जगह नींबू के आकास से भी बड़े ओले गिरे।


तेज हवाओं के चलते कई जगह पेड़ गिर गए।

नोट- ऊपर दी गई तस्वीरें, गांव कनेक्शन के रिपोर्टर, कम्युनिटी जर्नलिस्ट, किसानों द्वारा भेजी गई और कुछ किसानों से जुड़े सोशल मीडिया ग्रुप से हैं।

    

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