Auschwitz Concentration Camp : जहां हिटलर के आतंक के निशान आज भी मौजूद हैं
हम आपको ऑस्विट्ज़ और विर्किनाउ कैंपों की तस्वीरें दिखा रहे हैं जो इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है और नस्लीय नफरत के प्रति आगाह भी करती हैं। यहां पहुंच कर ज़ेहन में सिर्फ एक ही बात आती है कि इतिहास इस अमानवीय अध्याय को फिर न दोहराये। कभी कोई हिटलर फिर पैदा न हो।
Hridayesh Joshi 20 Dec 2018 6:31 AM GMT

पोलैंड। विश्व इतिहास के सबसे रक्त रंजित पन्नों में है बीसवीं सदी। दो विश्व युद्ध और लम्बे शीत युद्ध के अलावा हिंसा के कई अध्याय इसमें शामिल हैं। अलग-अलग अनुमान बताते हैं कि 7 से 8 करोड़ लोग तो दो विश्व युद्धों में ही मारे गये। लेकिन इसके अलावा इसी दौर में टर्की में ऑटोमन साम्राज्य की सरपरस्ती में आर्मिनियाइयों का नरसंहार और हिटलर की नाज़ी हुकूमत द्वारा यहूदियों का कत्लेआम भी हुआ।
गांव कनेक्शन की टीम पिछले दिनों पोलैंड में थी जो पूरे यूरोप में नाज़ी हुकूमत के उस अत्याचार का गवाह रहा। यहां बनाये गये यातना गृहों में लाखों लोग लाये गये और मारे गये। इन्हीं यातना गृहों में सबसे अधिक बदनाम और आतंकित करने वाला कैंप बना ऑस्विट्ज-बिर्किनाउ कैंप जहां सामूहिक क़त्लेआम साधारण बात थी।
नाजियों ने यहां 10 लाख से अधिक लोगों की हत्या की। मारे गये लोगों में ज्यादातर यहूदी थे। इनमें करीब ढाई लाख बच्चे थे। जो कैदी काम कर सकते थे उनसे अमानवीय तरीके से कठिन श्रम कराया गया और बुज़ुर्गों, कमज़ोर या बीमार लोगों के साथ बच्चों को मरने के लिये विषैली गैस के चैंबर में भेज दिया गया।
ऑस्विट्ज़ के प्रवेश द्वार पर ही लिखा है - आर्बेटमाक्टफ्रे (Arbeit Macht Frei)
यह संदेश आतंक के पर्याय से कम नहीं था। अंग्रेज़ी में इसका मतलब है - "Work Sets You Free" यानी "काम करने से आप मुक्त होते हैं"लेकिन नाज़ी यातनागृहों में काम करवाने का मतलब सिर्फ मौत तक धकेलना ही था।
ऑस्विट्ज़ पहुंच कर पता चलता है कि क्रूरता की क्या इंतहा हो सकती है। नस्लवाद किस स्तर तक अंधा कर सकता है। जब स्टालिन की सेना ने इन कैंपों में कैद लोगों को आज़ाद कराया तो कई कंकालनुमा आकृतियों में रह गये थे। हिटलर की सीक्रेट पुलिस गेस्टापो (SS) के नृशंस आपराधिक कृत्य में एक था कि उन्होंने नाज़ी चिकित्सकों से बच्चों पर अनैतिक और गैरकानूनी प्रयोग भी करवाये। कई बेहद कम उम्र के बच्चों पर विषैली ज़ाइलॉन गैस का प्रयोग किया ताकि उसकी घातकता का पता चले।
हम आपको ऑस्विट्ज़ और विर्किनाउ कैंपों की तस्वीरें दिखा रहे हैं जो इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है और नस्ली नफरत के प्रति आगाह भी करती हैं। यहां पहुंच कर ज़ेहन में सिर्फ एक ही बात आती है कि इतिहास इस अमानवीय अध्याय को फिर न दोहराये। कभी कोई हिटलर फिर पैदा न हो।
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