वन्य जीवों को बचाने के लिए वो जंगलों में बेखौफ घूमती है, देखिए तस्वीरें 

Diti BajpaiDiti Bajpai   26 Jun 2018 6:10 AM GMT

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वन्य जीवों को बचाने के लिए वो जंगलों में बेखौफ घूमती है, देखिए तस्वीरें रसीला वाढेर हजारों जगंली जानवरों को रेस्क्यू कर उन्हें नई ज़िदगी दे चुकी हैं

लखनऊ। जंगली जानवरों के खतरे और रात में जानवरों की खोजबीन के लिए अधिकतर पुरुषों को ही वन संरक्षक का पद दिया जाता है, लेकिन इन सभी परेशानियों को दरकिनार कर रसीला वाढेर (29 वर्ष) गुजरात में गिर के जंगलों में बेखौफ घूमकर पिछले नौ वर्षों से वन्य जीवों को बचाने का कार्य कर रही है।

वर्ष 2007 में वनकर्मी की परीक्षा मैंने पास की थी तब वाइड लाइफ गाइड थी।

"मैं गुजरात की पहली महिला हूं जो वन विभाग में रेस्‍क्यू (जानवरों को बचाने का काम) करने का काम कर रही हूं। वर्ष 2007 में वनकर्मी की परीक्षा मैंने पास की थी तब वाइल्ड लाइफ गाइड थी।" रसीला ने फोन पर बातचीत में बताया, " मेरा मन था कि मैं जंगलों में जाकर जानवरों को रेस्क्यू करूं। इसलिए वर्ष 2008 में मैंने जंगल जाना शुुरू किया तब से अब तक मैंने 1100 से ज्यादा जंगली जानवरों को बचाया है।" रसीला ने रेस्क्यू ऑपरेशन में अब 500 तेंदुए, 217 शेरों के अलावा कई जंगली जानवरों को नई जिंदगी दी है।

वर्ष 2007 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन विभाग में महिला टीम का गठन किया।

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वर्ष 2007 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन विभाग में महिला टीम का गठन किया। जंगल में महिलाओं को तैनात करने वाला गुजरात पहला राज्य है। तब से लेकर अब तक महिलाएं सालों से यहां के बाघों और शेरों के अलावा कई जंगली जानवरों की देखभाल करने का काम कर रही हैं उन्हीं मे से एक रसीला भी है। रसीला बताती हैं, "जंगली जानवरों के पास जाना उनका देखभाल रख-रखाव में ही देखती हूं। बाकी टीम की महिलाएं लोकेशन ट्रेस करना, सफारी चलाना ये सब काम करती है।"

रात के जूनागढ़ जिले के भंढूरी गाँव में रसीला रहती

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गिर जंगल में घायल शेर का इलाज करती है वाढेर।

गुजरात के जूनागढ़ जिले के भंढूरी गाँव में रहने वाली रसीला के परिवार को बिल्कुल भी पंसद नहीं था लेकिन इस काम में बने रहने के लिए उनके पति ने उनका समर्थन किया। "वर्ष 2014 जब मेरी शादी की बात हुई तो मैंने पहले ही अपने पति को बता दिया था कि मैं जंगलों में देर रात और दूसरे लोगों के साथ काम करती हूं। मेरे पति ने इस काम में मेरा बहुत साथ देते है।"

गिर वन्‍य जीव अभ्‍यरण शेरों के लिए ही प्रसिद्ध है।

गुजरात में स्थित गिर वन्यजीव अभयारण्य लगभग 258.71 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। गिर वन्‍य जीव अभ्‍यरण शेरों के लिए ही प्रसिद्ध है। दक्षिणी अफ्रीका के अलावा विश्‍व का यही एक ऐसा स्थान है जहां शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है। शेरों के अलावा सबसे बड़े कद का हिरन, चीतल, नीलगाय, चिंकारा और बारहसिंगा समेत कई जंगली जानवर है।

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पिछले नौ वर्षों से वन्य जीवों को बचाने का कार्य कर रही है।

"एक साल पहले सुबह पांच में एक तेंदुआ बिल्ली के पीछे भागा और 50 फुट गहरे कुएं में गिर गया। तब गाँव वालों सूचना दी। तब मुझे उस कुएं में जाना था जहां मेरी और तेदुएं की दूरी सिर्फ 10 फीट थी। " अपने यादगार पल को सांझा करते हुए रसीला बताती हैं, " जूनागढ़ जिले के जांलधर गाँव का यह किस्सा है। एक पिंजरे के जरिए मैं उसके पास गई टैंक्यूलेजर गन से बहोश किया। एक हफ्ते तक देख-रेख में रखा और फिर उसे जंगल में छोड़ा। बहुत अच्छा लगता है जब किसी वन्य जीव की जान बचाती हूं।"

तेंदुए की जान बचाने के लिए पिंजरे में बंद होकर कुएं में गई रसीला।

गुजरात के जंगलों में तैनात इन महिलाओं के साहस को दिखाने के लिए डिस्कवरी चैनल 'लॉयन क्वीन्स ऑफ इन्डिया' नाम की डॉक्युमेन्ट्री भी चलाई थी, जिसको कई भाषाओं में तैयार किया गया था। "मैं छह-सात राज्य घूमी हूं। पर अभी तक कोई जगह नहीं है जहां पर जंगली जानवरों को रेस्क्यू करने के लिए महिला जाती हो। मैं इस काम से बताना चाहती हुं कि हर काम महिलाएं कर सकती है।"

हाल ही में डिस्कवरी चैनल 'लॉयन क्वीन्स ऑफ इन्डिया' नाम की डॉक्युमेन्ट्री भी चलाई थी।

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अपने काम के बारे में रसीला बताती हैं, "जंगली जानवरों को पकड़ना बहुत मुश्किल काम होता है। पहले घायल जंगली जानवर को पकड़ना, उनकी मरहम पट्टी करना, रेस्‍क्यू सेंटर लाना और फिर ठीक होने के बाद वापस जंगल छोड़ना बहुत ही जिम्मेदारी से काम करना पड़ता है। कई बार शेर, तेंदुए के बच्चों को भी पालना पड़ता है।

रेस्क्यू किए तेंदुए के बच्चे को दूध पिलाती रसीला वाढेर।

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