असली दंगल ... अखाड़े में पुरुषों को पटखनी देती हैं ये लड़कियां

Diti BajpaiDiti Bajpai   15 Dec 2017 1:06 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
असली दंगल ... अखाड़े में पुरुषों को पटखनी देती हैं ये लड़कियांअखाड़े में खेलती हरियाणा के चरखी दादरी के रनीला गाँव की बबीता गोस्वामी।

अखाड़े में पुरुषों को पुरुषों और महिलाओं को महिलाओं से लड़ते आपने जरुर देखा होगा। लड़कियां पुरुषों से भी लड़ती है, लेकिन बहुत कम। फिल्मों में जरुर ऐसे कई सीन नजर आ चुके हैं। लेकिन खुलेआम लड़कों को पटखनी देने के नजारा कौन अपनी आंखों में भरना नहीं चाहेगा।

लखनऊ में कुछ दिनों पहले जब अखाड़े में एक लड़की ने पुरुष खिलाड़ी को पटखनी दी तो दर्शक काफी देर तक तालियां बजाते रहे। ये वो लड़कियां हैं जो असली दंगल खेलती हैं।

"जब मैं कुश्ती लड़ती हूं और लोग मेरे लिए तालियां बजाते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। गाँव में लोग अभी भी ताने मारते हैं। लेकिन अपने मम्मी-पापा की वजह मैं जहां पर भी कुश्ती प्रतियोगिता होती है तो वहां जाती हूं। और जीत कर आती हूं।" ऐसा बताती हैं, बबीता गोस्वामी (17 वर्ष)। बबीता जैसी तमाम लड़कियां जिनको घर से निकलने की भी इजाज़त नहीं थी। आज वह पुरुषों के साथ कुश्ती लड़ती है और अपने हथकड़ों से उन्हें पटखनी देती है।

यह भी पढ़ें- इस गाँव के लोग अब लड़कियों को कुश्ती सीखने से नहीं रोकते

लखनऊ के आशियाना स्थित स्मृति उपवन में उत्तर प्रदेश सरकार और पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री की तरफ से चल रहे पांचवें अंतरराष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में पुरुष और महिला कुश्ती का आयोजन किया गया। इस आयोजन में हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से आई छह महिलाओं ने कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लिया।

हरियाणा के चरखी दादारी जिले के रनीला गाँव की बबीता पिछले तीन सालों से कुश्ती लड़ रही है। अपने हाथ पैर में लगी मिट्टी को झांडते हुए बबीता बताती हैं, "मैं दो बार नेशनल स्तर पर खेल चुकी हुं। मैं ओलम्पिक खेल कर देश के लिए मेडल लाना चाहती हूं। जैसे लोग साक्षी मालिक, गीता और बबीता को जानते है वैसे ही मुझे भी जानेंगे।"

पांचवें अंतरराष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में पुरुष और महिला कुश्ती का किया गया आयोजन।

यह भी पढ़ें- खेलों की वजह से सूखा नहीं पड़ता

भारत में कुश्ती का बहुत पुराना इतिहास रहा है। हिंदू पौराणित कथाओं में भी कुश्ती का ज़िक्र है। लेकिन बदलते समय के साथ कुश्ती में बड़े बदलाव आए हैं। जहां आखड़े में पुरुष ही नज़र आते थे वहां अब महिलाओं ने भी अपनी अलग एक जगह बना ली है।

पिछले 17 वर्षों से हरियाणा के चरखी दादारी जिले में रतन कुमार कुश्ती अकादमी में कोच है। रतन बताते हैं, "समाज में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है लड़कियां अब घर को चौका-चूल्हा छोड़कर कुश्ती सिखने के लिए आती है। अभी हमारे पास 12 लड़कियां है, जिनको हम ट्रेंनिग दे रहे है। हरियाणा के जिलों में महिला अखाड़ों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।"

यह भी पढ़ें- बुज़ुर्गों को बचपन की याद दिला रहा 'उमंग'

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की रहने वाली सोनिका (17 वर्ष) पिछले चार वर्षों से चरखी दादारी जिले मे रहकर कुश्ती सिख रही है। सोनिका बताती हैं, "मेरे मोहल्ले के लोग मेरे घरवालों को यही ताना मारते है कि ये क्या अपनी लकड़ी को पहलवान बनवाऐंगे। मैं कुश्ती में ही अपना करियर बनाना चाहती हुं। अभी मैं नेशनल स्तर पर खेली हूं। एक दिन ओलम्पिक के लिए भी खेलूंगी।"

सोनिका आगे बताती हैं, हमारे घरवालों वाले तो पूरा सपोर्ट करते है। लेकिन अभी भी कुछ लड़कियां ऐसी है जो कुश्ती सिखाना चाहती है। पर उनके परिवार वाले उनको बाहर नहीं भेजते है।"

यह भी पढ़ें- मिसाल : मजहब की बेड़ियां तोड़ पिच पर उतरीं कश्मीरी महिला क्रिकेटर

गीता और बबीता फौगाट के अलावा सोनिका कालीरमण, किरण सिहाग, नेहा राठी ने भी हरियाणा में कुश्ती से पूरे नारी समाज को कामयाबी की राह दिखाई। यह वह दौर था जब गांवों में बटियों के लिए घर से निकलने की ही इजाजत नहीं थी। लेकिन, यह सभी चुनौतियां को धराशायी करती आगे बढ़ गई।

"पहले मेरे परिवार वाले मुझे कूश्ती के लिए मना करते थे लेकिन जब गाँव की कई लड़कियों को कूश्ती सिखे देखा तो परिवार वालों ने भी मदद की। जहां मैं नेशनल स्तर पर खेलने के लिए बाहर जाती हूं और कोई मना करता है। मैं बड़े होकर कोच बनाना चाहती है ताकि मैं सबको सिखा सकूं।" ऐसा बताती हैं, आशू अलरिया। हरियाणा के चरखी दादरी जिले के रनीला गाँव की आशू बारहवीं पढ़ाई कर रही है। आशू बताती हैं, "पढ़ाई के साथ-साथ में अंग्रेजी भी सिख रही हूं। जब मैं हरियाणा के अलावा विदेशों में जाऊंगी तो अंग्रेजी में बात कर सकूंगी।"

यह भी पढ़ें- केजीएमयू में बनेगा उत्तर प्रदेश का प्रथम खेल मेडिसिन विभाग

hariyana Wrestling कुश्ती girls players in wrestling himanchal pradesh women empowerment कृषि मेला Farmer fair 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.