लखनऊ शहर का इकलौता अखाड़ा पहलवानों को सिखा रहा कुुश्ती के दांव-पेंच, देखें तस्वीरें
Vinay Gupta 3 Oct 2017 9:35 PM GMT

उत्तर प्रदेश से अखाड़ा की परंपरा लगभग लुप्त होने के कगार पर है। कभी उप्र में लगभग दो हजार से भी ज्यादा अखाड़े थे। लेकिन सरकारों की अनदेखी से 70 प्रतिशत से भी अधिक अखाड़े बंद हो चुके है। लखनऊ के सदर कैंट इलाके में गुरु जी का अखाड़ा लखनऊ में बहुत मशहूर है।
यहाँ 14 वर्ष से लेकर 25 वर्ष तक की आयु के बच्चे हैं, जो कुश्ती के दांव पेंच सीखते हैं। इस अखाड़े से कई बड़े पहलवान कुश्ती सीख चुके है। वे कहतें हैं कि उनके यहां अभी लगभग 25 से भी अधिक बच्चे हैं, जो कुश्ती के कई दांव पेंच सीखते हैं। जिनमें कई प्रदेश स्तर तक खेल चुके हैं। लेकिन सरकार के द्वारा कोई भी सुविधा न होने के कारण वे केवल कुश्ती सीखते रह जाते हैं।-
कुश्ती के लिए मिट्टी का ठंडा होना बहुत जरुरी होता है। विवेक कहते हैं, कि कुश्ती के लिए मिट्टी का ठंडा होना बहुत जरुरी होता है। इसके लिए मिट्टी में हर तीन से चार महिने में पचास लीटर सरसों का तेल, दस किलो हल्दी, और तीस लीटर दही मिट्टी में मिलायी जाती है। इसमें जब पहलवान कुश्ती करता है, और पसीना आता है, तो उसे वह अपने शरीर पर मलता है जिससे उसके शरीर में फिसलन नहीं होती है। साथ ही खान पान भी पहलवानों के लिए बहुत जरुरी होता है। पहलवानों को रोजाना 100 बादाम, 100 ग्राम घी, तीन गिलास मौसमी का जूस और 50 ग्राम काजू रोजाना खाना होता है
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