फतेहपुर ज़िले में जर्जर हालत में चल रहे आंगनबाड़ी केन्द्र

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फतेहपुर ज़िले में जर्जर हालत में चल रहे आंगनबाड़ी केन्द्रgaonconnection

फतेहपुर। जनपद के ज्यादातर आंगनबाड़ी केन्द्र भवन जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं और विभाग आंगनबाड़ी केन्द्रों पर तो ध्यान नहीं दे रहा है इसके साथ ही कर्मचारीयों के बैठने के स्थान पर भी घोर लापरवाही बरत रहा है।

जिला मुख्यालय से 40 किलो मिटर दूर विकास खण्ड मलवा के शिवराजपुर आंगनबाड़ी केन्द्र का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। बारिश की वजह से भवन की छत जगह-जगह से टपका रही है, पूरी फर्श टूट चुकी है, बच्चों सहित आंगनबाड़ी कार्यकत्री के बैठने तक की जगह नहीं है। यहां की हेड मीना त्रिपाठी ने बताया हैं कि हमारे यहां रोजना वाले 53 बच्चों के साथ पोषाहार वाले कुछ बच्चों की संख्या 58 है। वहीं डेली वाले बच्चों की 30 से 35 बच्चों रोजाना आते हैं और पोषाहार वाले सारे बच्चे अपना पोषाहार लगातार लेने आते हैं साथ ही यहां गर्भवती व धात्री महिलाएं अपने छोटे बच्चों के साथ आती हैं जिन्हें हम पोषाहार वितरित करते हैं। 

बच्चों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों अौर यहां आने वाली गर्भवती और धात्री महिलाओं के लिए इस जर्जर भवन के नीचे बैठना जानबूझकर जान को खतरे में डालने के बराबर है। छत से पानी टपकने की वजह से भवन में पानी भर जाता है जिससे बैठने की कोई जबी नहीं रह जाती है।

हेड मीना त्रिपाठी बताती हैं कि इसकी जानकारी हम जुबानी और लिखित रूप में ग्राम प्रधान सहित अपने विभाग के सीडीपियो सालनी श्रीवास्तव को दे चुके हैं लेकिन आज तक ना ही किसी ने इस समस्या की सुध ली है और न ही इस समस्या से हमारे केन्द्र को निजात मिलने के काई आसार ही नजर आ रहे हैं। 

भवन निमार्ण के बाद नहीं हुई कभी मरम्मत

बताते चलें कि यह भवन जब से बना है तब से आज तक न ही भवन के मरमत की कार्य हुआ है और न ही अब तक एक भी बार पुताई करायी जा सकी है। भवन की हालत दिन पर दिन खाराब होती जा रही है। ग्राम प्रधान और विभागी अनदेखी के चलते आंगनबाड़ी कार्यकत्री सहित सारे बच्चों को इस जर्जर भावन में की बैठने को मजबूर होना पड़ता है। जिसमें हर तरफ से जान और माल का खतरा है। 

सरकारी बजट का इंतजार है

अगर ग्राम प्रधान चाहे तो मनरेगा के तहत उक्त भवन के पुताई और मरमत का कार्य करा सकते हैं। हमने विभागी स्तर पर उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारियां दी है जिसकी रिर्पोट शासन को भेजी जा चुकी है। जब भी इसका बजट पास होता है तब इसके मरमत और निर्माण के लिये हमारे द्वारा तत्यर्पता से उचित कदम उठाये जाएंगे क्योंकि हमारे विभागी के कार्य के लिये बजट पास होने में काफी समय लगता है। हम स्थिती को देखते हुए करना तो बहुत कुछ चाहते हैं लेकिन उचित सरकारी धन मुहैया ना हो पाने से मजबूरी में हमें जान कर भी अनजान बनना पड़ता है। हम बहुत जल्द उक्त आंगनबाड़ी भवन की तरफ कोई न कोई उचित कदम उठाएंगे और इसे पूरी तरह से सुरक्षित बनाएंगे। 

रिपोर्टर- आशुतोष शुक्ला

 

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