प्राथमिक विद्यालय बने हाईटेक स्कूल

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प्राथमिक विद्यालय बने हाईटेक स्कूलamethi school

गौरीगंज (अमेठी)। अन्नीबैजल गाँव के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा चार में पढऩे वाली पूजा (सात वर्ष) अब हर दिन स्कूल जाने के लिए उत्सुक रहती है। स्कूल में कम्प्यूटर लर्निंग सेंटर बन जाने से अब कम्प्यूटर क्लास होने लगी है। सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में क म्प्यूटर की पढ़ाई एक सपना भर थी, जिसे अमेठी के कुछ गाँवों में हकीकत की शक्ल दी जा रही है।

अमेठी जिला मुख्यालय से 15 किमी पश्चिम दिशा में गौरीगंज ब्लॉक के अन्नीबैजल गाँव के सरकारी स्कूल को देखकर आप सोच में पड़ जाएंगे कि यह सरकारी विद्यालय है या कोई कॉनवेंट स्कूल। स्कूल की दिवारों पर रंग-बिरंगे चित्रों में पाठ्यक्रम से संबंधित जानकारियां बनी हैं। इसके साथ-साथ स्कूल के पास अपनी खुद की लाइब्रेरी और कम्प्यूटर लर्निंग सेंटर है। गाँव के इन स्कूलों के सुंदरीकरण व इन्हें आधुनिक बनाने के पीछे अमेठी में बड़े स्तर पर काम कर रही एक गैर-सरकारी संस्था 'देहात' और जिले में स्थापित एसीसी सीमेंट कंपनी का बड़ा योगदान है।

सरकारी स्कूलों में आए इस कायाकल्प के बारे में 'देहात' संस्था के संस्थापक जितेंद्र चतुर्वेदी बताते हैं, ''मेरा यह मानना है कि समाज के 80 फीसदी हिस्सेदारी वाले गरीब और वन्चित समुदाय के बच्चों के लिये सरकारी विद्यालयों के अलावा शिक्षा का कोई और विकल्प नहीं है। इसके बावजूद सबसे ज्यादा उपेछा और उपहास भी इन्हीं विद्यालयों को झेलना पड़ता है।''

आधुनिकीकरण की इस मुहिम को सिर्फ अन्नीबैजल गाँव के सरकारी स्कूल में ही नहीं बल्कि आस-पास के छह गाँवों (टिकरिया, बाबूपुर, असैदापुर, बेलखौर, अमिया और अन्नीबैजल गाँव) में चलाया गया है। इसके अंतर्गत आठ विद्यालयों के 2,368 बच्चों की जिन्दगी बदलने का प्रयास किया जा रहा है।

स्कूल की प्रधानाध्यापिका जानकी कश्यप बताती हैं,''स्कूल में बच्चे पहले टाटपट्टी पर बैठ कर पढ़ाई करते थे। अब इस पहल के माध्यम से स्कूल में लकड़ी की मेज-कुर्सियां उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे अब छात्र ज़मीन पर बैठ कर नहीं पढ़ते हैं।''  ''हमारी संस्था ने गौरीगंज के छह गाँवों में अभिनवी पहल करते हुए सरकारी स्कूलों के बच्चों को सम्मानजनक व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की छोटी सी कोशिश की है। इसमें हमारी मदद एसीसी सीमेंट कं पनी ने की है।'' जीतेंद्र चतुर्वेदी (संस्थापक देहात) आगे बताते हैं। 

अन्नीबैजल गाँव के प्राथमिक विद्यालय की तरह ही बाबूपुर गाँव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय को इस पहल में शामिल किया गया है। स्कूल में चलाए गए इस कार्यक्रम को सराहते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक वसीम खान बताते हैं, ''स्कूल में कम्प्यूटर के साथ-साथ लाइब्रेरी व दिवारों पर छापी गईं जानकारियों से स्कूल में रोज़ाना आने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है। हमारे स्कूल में पहले शौचालय नहीं था, जिससे छात्रों व अध्यापक दोनों को परेशानी होती थी। इस पहल के कारण विद्यालय में दो नए शौचालय भी बनवाए गए हैं।'

 

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