प्रदेश के स्कूलों के लाखों छात्रों को नहीं मिल रहा है दोपहर का खाना
श्रृंखला पाण्डेय 4 March 2016 5:30 AM GMT

श्रृंखला पाण्डेय
लखनऊ। जिले के कई ब्लॉकों के प्राथमिक स्कूलों के चूल्हे बंद पड़े हैं, क्योंकि पिछले 6 महीनों से यहां काम करने वाले रसोइयों को उनका पैसा नहीं मिला है, जिसके चलते उन्होंने स्कूल जाना बंद कर दिया है। लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर बत्तखखेड़ा गाँव के आंगनबाड़ी की रसोइयां किशनावती देवी (45वर्ष) बताती हैं, "हम लोगों का 6-7 महीने से ऊपर हो गया तनख्वाह नहीं आई। कई बार कहा भी गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ अब जब तक पैसा नहीं देंगे तब खाना नहीं बनेगा।"
जिले के कई ब्लॉक मोहनलालगंज, सरोजिनीनगर, गोसाईंगंज ब्लॉक के कई प्राथमिक स्कूलों की रसोइयों का भुगतान नहीं हो पाया है जिसके कारण स्कूलों में मिड डे मील बनना बंद हो गया है। इसका कारण बताते हुए मिड डे मील समन्वयक खनऊ, आनन्द मौर्या बताते हैं, "ये जिम्मेदारी अक्षयपात्र वालों के पास थी उन्हें पैसे दिए गए थे कि वो सीधे रसोइयों के खाते में भेज दें लेकिन फिर भी पैसा नहीं आया। इसका कारण पता किया जा रहा है जल्दी ही उनका भुगतान हो जाएगा। फिलहाल मिड-डे मील योजना से प्रदेश के 1 लाख 14 हज़ार 256 प्राथमिक स्कूल और 54 हज़ार 155 उच्च प्राथमिक स्कूल फायदा ले रहे हैं। इन स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर पढ़ाई करने वाले 133.72 लाख छात्र और उच्च प्राथमिक स्तर पर 57.78 लाख छात्र फायदा ले रहे हैं। लखनऊ जिले में लगभग 4000 रसोइएं काम करते हैं। 6 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण इन रसोइयों के घर खर्च पर भी काफी असर पड़ रहा है। किसी के बच्चे की फीस रुकी है और किसी को कम राशन में काम चलाना पड़ रहा है। रसोइयां किशनावती बताती हैं, "उधार मांगकर कमा चला रहे हैं, हम गरीबों के पैसे में ही लाले पड़ते हैं। अधिकारियों के तो समय पर मिल जाते हैं।"
"अक्षयपात्र को पैसा ट्रांसफर करना था लेकिन वहां से देरी हुई है जबकि विभाग से रसोइयों का पैसा उन्हें दिया जा चुका है। इसकी कार्रवाई की जा रही है, रसोइयों का भुगतान जल्दी ही कर दिया जाएगा।" बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी, लखनऊ बताते हैं।
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