परिवार रजिस्टर के ज़रिए पंचायत अधिकारी करें किसानों का पंजीकरण

परिवार रजिस्टर के ज़रिए पंचायत अधिकारी करें किसानों का पंजीकरण

बाराबंकी। सरकार की किसानों को रजिस्टर करने की योजना का उद्देश्य है पारदर्शिता और किसानों की बैंक खाता संख्या प्राप्त करना ताकि उसे मिलने वाली हर सरकारी वित्तीय सहायता सीधे किसानों के खाते में जाए।

सरकार की इस योजना में समस्या ये हो रही है कि रजिस्ट्रेशन कराने किसान आगे नहीं आ रहे। कई कारण हैं इसके किसी के घर से ब्लॉक दूर है तो कोई खाता संख्या देने में डरता है। क्यों न किसान को रजिस्ट्रेशन के लिए बुलाने के बजाए हर ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा तैयार परिवार रजिस्टर में ही बैंकिग से जुड़ी जानकारियों को शामिल कर लिया जाए। अभियान चलाकर पंचायत अधिकारी बस सबकी बैंकिंग से जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर लें फिर उसे डाटा एंट्री के ज़रिए ऑनलाइन कर दिया जाए। यह करके सबसे कम समय में बहुत ज्यादा किसानों का पंजीकरण कराया जा सकता है।

सनेही गाँव के निवासी रिंकू (40 वर्ष) को प्राइवेट में गेहूं का बीज खरीदना पड़ा क्योंकि ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत बीज खरीदने के चक्कर में खेत में बुवाई का समय लेट हो जाता। 

योजना के तहत किसानों को सब्सिडी का लाभ लेने के लिए बैंक में उनका खाता होना अनिवार्य कर दिया गया था। किसानों को अपने बैंक खाते की जानकारी, ज़मीन का कागज़ आदि दस्तावेज देकर ऑनलाइन अपने आप को पंजीकृत करवाना था। लेकिन किसानों को इसमें बहुत झंझट लग रहा है। कई महीने बीत गए लेकिन अभी तक सारे किसान पंजीकृत नहीं किए जा सके हैं।

जि़ला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर हरख ब्लॉक के बृजेश कुमार (56 वर्ष) बताते हैं, ''मेरे पास तीन बीघा खेती है जिसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा, चक्कर लगाने पड़ेंगे। गेहूं आज खरीदना है तो चार दिन बाद मिलेगा प्राइवेट में तुरन्त गेहूं मिल जाता है और सस्ता भी।"

प्रक्रिया बहुत तेज हो सकती है अगर इस पंजीकरण कि प्रक्रिया में यदि किसानों को ब्लॉक या तहसील तक न जाना हो, किसी निजी साइबर कैफे भी न जाना पड़े बल्कि पंचायत अधिकारी जो परिवार रजिस्टर मेनेटेन करता है उसमें बैंकिंग की जानकारी भी जोड़ दी जाए। ऐसे में लंबी प्रक्रिया आसान हो जाएगी। सरकार भी अभियान चलाकर बहुत कम समय में सारे किसानों तक पहुंच पाएगी। इस पूरे डाटा को बाद में ऑनलाइन कर दिया जाए।

हरख ब्लॉक के ही किसान राजेश बताते है, ''मैंने दस बीघे में गेहूं बोया था। खेत की जुताई से पूर्व बीज के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया था, इसके बाद सूची ही नहीं आ पाई। फिर बुवाई के लिए विलंब होने लगा तो प्राइवेट में ढाई हजार रुपए प्रति क्विंटल का बीज लाकर खेतों में बो दिया।"

India 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.