पत्नियां करवा रहीं पतियों का एचआईवी टेस्ट

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पत्नियां करवा रहीं पतियों का एचआईवी टेस्ट

उन्नाव। रामनरेश (काल्पनिक नाम) पिछले पांच वर्षों से आबूधाबी में काम कर रहे हैं। इस बार जब वो घर लौटे तो पत्नी ने उन्हें जिला अस्पताल में एचआईवी का टेस्ट कराने को कहा। बड़ी मशक्कत के बाद जब उन्होंने जांच कराई तो जांच में रिजल्ट पॉजीटिव पाया गया। अब वो इलाज करा रहे हैं।

रामनरेश की तरह जि़ले के कई लोग खाड़ी देशों में नौकरी के लिए जाते हैं। जानकारी के अभाव में वे इस गंभीर बीमारी का शिकार बन रहे हैं। एड्स के बारे में टीवी, रेडियो, अखबार आदि विभिन्न माध्यमों से फैलाई जा रही जागरूकता का ही असर है कि वो महिलाएं गंभीर हो गई हैं, जिनके पति खाड़ी देशों में नौकरी करते हैं। जिला अस्पताल में बने एचआईवी विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2015 से अक्टूबर 2015 तक साढ़े चार हजार से अधिक लोगों ने एचआईवी की जांच के लिए काउंसिलिंग कराई है। इनमें से 2785 पुरुषों की जांच हुई है, इनमें से अधिकांश मामलों में पहल पत्नियों ने ही की थी।

जिला अस्पताल में एचआईवी विभाग के काउंसलर पंकज शुक्ला बताते है, ''बीते पांच-छह वर्षों में महिलाओं में एचआईवी को लेकर खासी जागरूकता आई है। हजारों की संख्या में महिलाएं अपने पतियों को लेकर एचआईवी जांच के लिए आ रही हैं। इन पुरुषों में करीब 70 फीसदी मामले ऐसे हैं जिनके पति खाड़ी देशों में रहते हैं।" आंकड़े बताते है, अप्रैल 2015 से अक्टूबर 2015 के बीच 20 पुरुष एचआईवी से ग्रसित मिले थे, जबकि इस दौरान महिलाओं की संख्या केवल पांच थी। इसी तरह वर्ष 2014 में 51 पुरुषों और 18 महिलाओं का एचआईवी टेस्ट कराया गया। वर्ष 2013 में 21 पुरुषों और 19 महिलाओं ने जांच कराई। आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष पुरुषों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

संतोष विमल (काल्पनिक नाम) की शादी आठ वर्ष पूर्व हुई थी। वो दुबई में एक होटल में काम करते हैं। शादी के बाद वो दुबई चले गए थे। जब  2013 में वह वापस आए तो पत्नी ने उन्हें एचआईवी की जांच कराने के लिए कहा। काउंसिलिंग में पता चला कि उन्हें एचआईवी है। इस कारण दोनों ने तय किया कि अब वो बच्चे को जन्म नहीं देंगे, क्योंकि उसको भी खतरा हो सकता है। अब दोनों उन्नाव छोड़कर दुबई में रहने चले गए हैं।एचआईवी को लेकर महिलाओं में जागरूकता केवल उन्नाव जिले में ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई जि़लों में आई है। 

नाको की वर्ष 2013-14 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में दो करोड़ से अधिक लोगों की एचआईवी काउंसिलिंग कराई गई, जिसमें से दो लाख 40 हजार 234 लोगों में एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। 

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013-14 में उत्तर प्रदेश में 11 लाख से अधिक लोगों ने एचआईवी की जांच कराई, जिसमें 12 हजार 954 लोगों में एचआईवी पॉजिटिव मिला। बीते तीन वर्षों के आंकड़ों की बात की जाए तो नाको की रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर शहर में वर्ष 2010 में 11 हजार 824 पुरुषों ने एचआईवी की काउंसिलिंग कराई थी जबकि इस दौरान 6029 महिलाओं ने एचआईवी की जांच कराई। लखनऊ शहर में वर्ष 2010 में 11 हजार से अधिक पुरुषों ने एचआईवी की काउंसिलिंग कराई जबकि इस दौरान केवल 8942 महिलाओं की जांच हुई। वर्ष 2011 में ये आंकड़ा और बढ़ गया। इस वर्ष 15396 पुरुषों की जांच हुई, वहीं महिलाओं की संख्या इस दौरान 12354 हो गई।

यूपी में दोगुनी तेज़ी से बढ़ रहा एचआईवी

देवांशु मणि तिवारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एचआईवी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वर्ष 2008 तक प्रदेश में 50 हज़ार से कम लोग एचआईवी संक्रमित थे। 2012 में अनुमानित मरीजों की संख्या एक लाख आठ हजार जबकि 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर एक लाख 22 हजार हो गया है। इनमें से 90,000 को चिह्निïत कर उनका इलाज शुरू कर दिया गया है।

प्रदेश में एचआईवी व एड्स की रोकथाम पर काम रही सरकारी संस्था उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (यूपीएसएसीएस) की स्टेट आईसीटीसी इंचार्ज प्रीती पाठक ने गाँव कनेक्शन को बताया, ''प्रदेश में एचआईवी के मामले तेजी से बढ़े हैं क्योंकि उनकी हमें जानकारी मिलने लगी है। पहले एचआईवी संक्रमित लोगों को चिह्निïत करने के लिए बनाए गए इंट्रीग्रेटेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आईसीटीसी) कम थे। अब पूरे प्रदेश में 409 आईसीटीसी सेंटर हैं, जिससे एचआईवी मामलों को जल्दी चिह्निïत कर लिया जाता है।"

उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी से मिली जानकारी के मुताबिक देश में कुल 21 लाख संभावित लोग एचआईवी संक्रमण से पीडि़त हैं। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) ने वर्ष 2015-16 में एक लाख 22 हज़ार लोगों को एचआईवी संक्रमण होने का अनुमान लगाया था, जिसमें यूपीएसएसीएस ने एचआईवी प्रभावित 90,000 लोगों को आईसीटीसी से चिह्निïत कर लिया है।

यूपीएसएसीएस से प्रदेश में करवाई गई एचआईवी जांच में यह पता चला है कि प्रदेश में बढ़ते एचआईवी संक्रमण के पीछे लोगों का खाड़ी देशों में पलायन है। लोग काम के सिलसिले में बाहर देशों में जाते हैं और वहां से यह संक्रमण प्रदेश में ला रहे हैं। इसके अलावा सिरिंज, सामूहिक धूम्रपान भी प्रदेश में एचआईवी के बढऩे का दूसरा बड़ा कारण माना जा रहा है।

प्रदेश में बढ़ रहे एचआईवी संक्रमण के बारे में स्टेट एडल्ट काउंसलर, यूपीएसएसीएस पारुल बताती हैं,  ''प्रदेश में एचआईवी संक्रमण सिर्फ प्रौढ़ों में ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी इस खतरनाक वायरस के चपेट में आता जा रहा है। युवाओं को इस वायरस से बचाने के लिए हम ग्रामीण और शहरी कॉलेजों में रेड रिबन अभियान चला रहे हैं।"

प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को एचआईवी से मुक्त कराने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी व टार्गेट इंटरवेंशन (टीआई) और 100 के करीब गैर सरकारी संस्थाएं गाँवों में बढ़ रहे एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए लोगों को जानकारी दे रही हैं, जिससे इस वायरस से लोगों को बचाया जा सके।

''प्रदेश में आजमगढ़, जौनपुर, इटावा और सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में एचआईवी के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। प्रदेश में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को एचआईवी संक्रमण से बचाया जा सके, इसके लिए हम हर जिले में एक से अधिक आईसीटीसी सेंटर खुलवा रहे हैं, जिससे एचआईवी संक्रमित लोगों को जल्दी पहचाना जा सके और उन्हें एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी एआरटी देकर बेहतर इलाज दिलवाया जा सके।" प्रीती पाठक आगे बताती हैं।

 

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