प्याज के दाम गिरने से किसानों नही मिल रहे वाजिब दाम
गाँव कनेक्शन 28 July 2016 5:30 AM GMT

औरैया। किसानों की किस्मत में लगता है रोना ही लिखा है कभी प्याज की मंहगाई उन्हें रुलाती है तो कभी टमाटर की, लेकिन जब वही किसान अपनी बदहाली दूर करने के लिये अपने खेतों में फसल उगाता है तो बाजार में उसके रेट इतने गिर जाते हैं कि उसकी लागत तक नहीं निकल पाती। ताजपुर गाँव के किसानों ने सरकार से एक ऐसी नीति बनाये जाने की माँग की है ताकि किसानों को उनकी फसल का वाजिब मूल्य मिल सके और खेती घाटे का सौदा न रहे।
ज्ञातव्य हो कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेई की सरकार महंगे प्याज के कारण ही गिर गई थी कुछ ऐसा ही हाल अभी छह महीने पहले हमारे उत्तर प्रदेश में भी था जहां प्याज की कीमतें बढ़ते-बढ़ते 90 रुपये प्रतिकिलो तक जा पहुंची थी। हालत यह थी कि आम आदमी को तो प्याज के दर्शन ही दुर्लभ हो गये थे। मध्यम वर्ग के लोगों ने तो प्याज खाना ही छोड़ दिया था।
जिन दिनों उत्तर प्रदेश में प्याज के रेट आसमान छू रहे थे उन दिनों बिधूना तहसील के ग्राम ताजपुर में रहने वाले बेंचे लाल राठौर, अशर्फीलाल, बृजभूषण सिंह, बृजमोहन सिंह, शिवशंकर अवस्थी, महिपाल सिंह आदि किसानों ने खुद की बदहाली दूर करने के लिये प्याज की खेती पर दांव लगाया। गाँव के किसानों ने एकजुट होकर अपने सारे खेतों में प्याज बो दिया लेकिन किसानों की किस्मत देखिये जो प्याज छह महीने वाले 90 रुपये किलो में बिक रहा था वह आज घटते घटते 9 रुपये प्रतिकिलो पर आ गया।
किसानों ने सूदखोरों से कर्ज लेकर जिस प्याज की फसल इस उम्मीद में बोई थी कि यह प्याज उन्हें मालामाल कर देगा। उसी प्याज ने किसानों को खून के आंसू रोने पर विवश कर दिया। बृजभूषण बताते हैं, "हम किसानों के ऊपर सूदखोरों का बहुत सा कर्ज बकाया है। खेतों से जो प्याज की फसल उन्हें मिली थी वह बाजार में आज इतने सस्ते रेट पर बिक रहा है कि किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है।
जिस कारण ताजपुर के कई किसान अब भुखमरी की कगार पर हैं। गाँव के किसानों जगदीश सिंह, रविन्द्र प्रताप सिंह, नवल सिंह, श्यामपाल, कप्तान सिंह, बहादुर सिंह, घनश्याम सिंह, मनोज कुमार, राकेश सिंह आदि ने सरकार से माँग की है कि किसानों के हित में कोई ऐसी योजना चलाई जाये जिससे किसानों को उनकी फसल का बाजिब मूल्य मिल सके और वे सूदखोरों के चंगुल में फंसने से बच सकें।
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