राेज़ाना ख़र्च:1 करोड़ वीआईपी ड्यूटी: 30 लाख

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राेज़ाना ख़र्च:1 करोड़ वीआईपी ड्यूटी: 30 लाखगाँव कनेक्शन

लखनऊ। अम्बेडकर की जयन्ती पर राजधानी लखनऊ में सभी राजनैतिक दिग्गज शक्ति प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतरे, जिनकी सुरक्षा में 30 लाख रुपए से ज्यादा स्वाहा हो गए, जो सरकारी कोष यानि आपकी जेब से खर्च हुए।

बृहस्पतिवार को एक तरफ लखनऊ में देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मौजूद रहे, वहीं दूसरी ओर मायवती की रैली में जनसैलाब उमड़ा। इसके आलाव कई छोटे-बड़े आयोजन हुए। 

पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इन आयोजनों में अलग-अलग पदों के 2,245 पुलिसकर्मी माननीयों की सुरक्षा में तैनात रहे, जो कि कुल 6,910 (जनपद में अलग-अलग पदों पर पुलिसकर्मियों की कुल संख्या) का 32 फीसदी हैं।

इसी तरह लखनऊ पुलिस सभी कर्मियों के वेतन पर एक दिन में सरकारी कोष से लगभग एक करोड़ रुपए खर्च करती है। यानि प्रति पुलिसकर्मी औसतन 1391 रुपए वेतन प्रति दिन। मतलब यह हुआ कि 14 अप्रैल को सुरक्षा में तैनात 2,245 पुलिस कर्मियों के केवल वेतन पर 31 लाख 22 हज़ार रुपए खर्च हुए।

इस खर्च में सुरक्षा उपकरणों या पीएसी जैसे अतिरिक्त बलों का खर्च सम्मिलित नहीं है, वो अतिरिक्त है। इन पुलिस कर्मियों में एसपी/कमाण्डेंट 11, एएसपी 17, सीओ 29, निरीक्षक/थानाध्यक्ष 29, उपनिरीक्षक 244, म.उपनिरीक्षक 10, हेड कॉन्सटेबल 187, आरक्षी 1655, महिला आरक्षी 63 शामिल रहे।

लखनऊ पुलिस के आंकिक विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसा वर्ष 2015 में लखनऊ जनपद में तैनात पुलिसकर्मी और अधिकारियों का कुल वेतन तीन अरब 46 करोड़ 12 लाख 36 हज़ार रुपये है। 

पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जिले में पुलिस उपाधीक्षक 17, निरीक्षक नागरिक पुलिस 57, निरीक्षक यातायात एक, दारोगा नागरिक पुलिस 514, दारोगा 13, दारोगा यातायात 21, मुख्य आरक्षी नागरिक पुलिस 808, हेड कांस्टेबल 199, हेड कांस्टेबल टीपी 75, सिपाही 5205 की तैनाती है। इसके अलावा लगभग एक दर्जन से अधिक एडीशनल तथा एक एसएसपी है। संख्या में कमी और वृद्धि भी होती रहती है। 

एसपी प्रोटोकॉल डॉ. अनिल कुमार मिश्र बताते हैं कि शहर में वीआईपी की संख्या बढ़ती और घटती रहती है। एक अनुमान के मुताबिक प्रतिदिन लगभग 20 स्कार्ट लग जाती है। एक स्कार्ट में एक जिप्सी वाहन, एक चालक, एक हेड कांस्टेबल और दो सिपाही तैनात होते हैं। इसके साथ ही पांच लगभग पीएसओ लग जाते हैं। पीएसओ में एक दारोगा होता है। 

पुलिस लाइन में तैनात प्रतिसार निरीक्षक द्वितीय शिशुपाल मिश्रा ने बताया कि लगभग प्रतिदिन तीन सौ सिपाहियों की ड्यूटी कोर्ट में कैदियों की पेशी कराने में लग जाती है। ऐसे ही तमाम कार्य होते हैं जिनमें लगा दिए जाने से प्रतिदिन सैकड़ों पुलिसकर्मी आम जनता की सुरक्षा से दूर हो जाते हैं।

रिर्पोटर- गणेश जी वर्मा

 

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