राजद्रोह के मामले की जांच में बाधा पैदा नहीं कर रहे कन्हैया: उच्च न्यायालय

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राजद्रोह के मामले की जांच में बाधा पैदा नहीं कर रहे कन्हैया: उच्च न्यायालयgaonconnection

नई दिल्ली (भाषा)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि ऐसा नहीं लगता कि जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) अध्यक्ष कन्हैया कुमार राजद्रोह के मामले की छानबीन में बाधा पैदा कर रहे हैं। अदालत ने पुलिस से जानना चाहा कि क्या ऐसे हालात हैं कि कन्हैया को मिली अंतरिम जमानत रद्द करने की जरुरत है।

इस मामले में दिल्ली पुलिस की पैरवी के लिए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त किए गए वकील शैलेंद्र बब्बर से न्यायमूर्ति पीएस तेजी ने पूछा, ‘‘जब आपकी जांच सही से चल रही है, तो ऐसा क्या है कि (कन्हैया की) जमानत रद्द कराने की जरुरत है? वह चल रही जांच में कोई बाधा पैदा नहीं कर रहे।'' अदालत के सवाल का जवाब देते हुए बब्बर ने कहा कि जमानत रद्द करने के लिए पुलिस की ओर से कोई अर्जी दाखिल नहीं की गई है।

सुनवाई के दौरान बब्बर ने कहा, ‘‘हम इसकी (जमानत रद्द करने की) मांग नहीं कर रहे।'' कुछ निजी व्यक्तियों ने कन्हैया को दी गई छह महीने की अंतरिम जमानत रद्द करने की मांग की है। अर्जी दाखिल करने वालों ने इस आधार पर जमानत रद्द करने की मांग की है कि मार्च में तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने जो भाषण दिया वह ‘राष्ट्र विरोधी' था और उन्होंने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है। उच्च न्यायालय ने दो मार्च को कन्हैया को अंतरिम जमानत दी थी।        

बीते नौ फरवरी को जेएनयू परिसर में हुए एक विवादित कार्यक्रम में कथित तौर पर देश विरोधी नारेबाजी के मामले में कन्हैया पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने अर्जियों पर जवाब दाखिल न करने पर उस वक्त पुलिस की खिंचाई भी की जब बब्बर ने बताया कि उन्होंने मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है। बब्बर ने कहा, ‘‘स्थिति रिपोर्ट के रुप में यह एक जवाब है।'' इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुझे जवाब चाहिए, स्थिति रिपोर्ट नहीं। पिछली बार साफ कर दिया गया था कि आपको जवाब देना है, स्थिति रिपोर्ट नहीं।'' अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख नौ अगस्त तय की।

 

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