राजन के साथ जो हुआ उससे मैं अचंभित नहीं हूं, मुझे भी धमकियां आती थीं: सैम पित्रोदा

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राजन के साथ जो हुआ उससे मैं अचंभित नहीं हूं, मुझे भी धमकियां आती थीं: सैम पित्रोदा

लखनऊ। राजीव गांधी के समय में देश में टेलीकाम क्रांति का अहम हिस्सा रहे सैम पित्रोदा, रिज़र्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के साथ देश में हो रहे बर्ताव से खास नाराज़ हैं। 

उन्होंने कहा, "रिज़र्व बैंक का तीन साल तक गवर्नर रहने के बाद रघुराम राजन को इस्तीफे देने पर मजबूर करने के लिए जो ड्रामा हुआ उससे मैं बिलकुल भी अचंभित नहीं हूं"।

पित्रोदा ने इकॉनमिक्स टाइम्स अख़बार को दिए गए साक्षात्कार में राजन पर हो रहे आक्रमणों की कड़ी आलोचना करते हुए अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का भी ज़िक्र किया। 

पित्रोदा बोले, "पहले आप एक ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ पर हमला करने और गलत भाषा का प्रयोग करने के लिए किसी को तैनात करते हो। फिर, उसकी ईमानदारी, कर्मठता और राष्ट्रीयता पर जनता के सामने सवाल उठाते हो। इस सब के बाद आप उसे यह कहकर आपमानित करते हो कि आप उन्हें वहीं वापस भेज रहे हो जहां से वो आए हैं। मेरी सहानुभूति राजन के साथ है, जिनकी मैं बहुत इज्ज़त करता हूं। भारत के विकास के लिए बहुत ज़रूरी इस समय में उनका देश से जाना एक राष्ट्रीय नुकसान है।"

'मेरी पत्नी और बच्चों को धमकियां आती थीं'

पित्रोदा ने भारत में अपने समय का ज़िक्र करते हुए कहा, "मैं इन्हीं कारणों से राजीव गाँधी के समय में मेरे ऊपर हुए हमलों को याद करने से खुद को नहीं रोक पा रहा। एक अच्छी तनख्वाह वाली आरामदायक नौकरी और अमेरिका का रहन सहन छोड़कर भारत आकर राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना किसी भी पेशेवर व्यक्ति और उसके परिवार के लिए आसान नहीं होता"। 

पित्रौदा ने बताया कि राजीव गाँधी के चुनाव हारने के बाद उनके परिवार को धमकी भरे फोन कॉल आते थे। उनकी पत्नी को बलात्कार की और बच्चों का अपहरण करने तक की धमकियां मिलती थीं।

सारी बातों का ज़िक्र करते हुए पित्रोदा ने अपने साक्षात्कार में ये कहा, "राजन को उनके ऊपर हो रहे इन दुर्भाग्यपूर्ण हमलों को पीछे छोड़कर नई चुनौतियों की ओर, नई ऊंचाईयों को छूने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन भारतीय राजनेताओं व नीति निर्माताओं को यह समझना चाहिए कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में कुछ लोगों के स्वार्थ को पूरा करने के लिए हमारे जैसे लोगों को बाहर करना खतरनाक है। भारत में टेलीकाम क्रांति के दौरान मैं हजारों करोड़ रुपए बना सकता था, मैं खुद के लिए एक टेलिकाम लाइसेंस आसानी से ले सकता था और अरबपति बन सकता था लेकिन मैंने ऐसा करना नहीं चुना"।

 

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